विकास के नाम पर पहाड़ के विनाश को रोकने के लिए

To stop the destruction of mountain in the name of development
विकास के नाम पर पहाड़ के विनाश को रोकने के लिए सोनम वांगचुक के समर्थन में पंकज क्षेत्री का कल से चल रहा एक दिवसीय उपवास आज तीन बजे समाप्त होगा।
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हिमालय को बचाने और लद्दाख की संस्कृति व लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक 26 जनवरी से कड़ाके की ठंड में उपवास पर बैठे हैं। वास्तव में सिर्फ लद्दाख का सवाल नहीं है। समूचे हिमालय और पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों को तबाही से बचाने की जरूरत हैं। उत्तराखंड भी इस संकट के मुहाने पर खड़ा है।
जोशीमठ में भू-धंसाव से सैकड़ों परिवार बेघर होने के कगार पर हैं। कई इलाकों में मकान दरारग्रस्त हो चुके हैं। यह बड़े संकट की आहट है। देहरादून, मसूरी और नैनीताल जैसे शहरों में अवैध निर्माण और नदी-नालों पर कब्जे की होड़ चरम पर है। जल स्रोतों को गंदे नालों में तब्दील कर दिया है। राज्य बनने के बाद से ही उत्तराखंड में प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों की लूट मची है। जबकि दूसरी तरफ आपदाएं और जलवायु परिवर्तन के खतरे सामने खड़े हैं।
जल, जंगल और जमीन की लूट को रोकने के लिए हमें आवाज उठानी ही पड़ेगी। दरकते पहाड़ों की चीत्कार सुननी होगी। वरना बहुत देर हो जाएगी। हिमालय और पहाड़ों को बचाने की सोनम वांगचुक की मुहिम को समर्थन देने और उत्तराखंड में विकास के नाम पर विनाश की परियोजनाओं के खिलाफ कल 29.01.2023 से चल रहा #ClimateFast के तहत एक दिवसीय उपवास पर माँ अम्बिका देवी मंदिर, शहंशाही आश्रम देहरादून में आज तीन बजे समाप्त होगा। पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील हिमालय को बचाने के लिए हमें आवाज उठानी ही होगी। वरना बहुत देर हो जाएगी।
धन्यवाद
पंकज क्षेत्री