UTTARAKHAND

”आत्मनिर्भर भारत” की संकल्पना से देश को मिली नयी उड़ान

दुनिया में भारत ही ऐसा राष्ट्र है, जिसने कोरोना से निबटने के लिए देशवासियों के लिए इतने बड़े पैकेज की घोषणा की

कमल किशोर डुकलान
भारत एक ऐसे राष्ट्र बनने की ओर डग भर रहा है जहां न शोषक होगा, न कोई शोषित, न मालिक होगा, न कोई मजदूर, न अमीर होगा, न कोई गरीब। सबके लिए शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा और उन्नति के समान और सही अवसर उपलब्ध होंगे। कोरोना महासंकट के दौर में दुनिया में भारत ही ऐसा राष्ट्र है, जिसने इतने बड़े पैकेज की घोषणा की है।
लम्बे समय से भारत को लेकर की जा रही भविष्यवाणियां साकार होती दिखाई दे रही है। प्रभावी नेतृत्व क्षमता का, सुशासन व्यवस्था का एवं स्वतंत्र राष्ट्रीय चेतना की अस्मिता का अहसास होता दिख रहा है। आत्मनिर्भर भारत का सीधा अर्थ है कि पिछले दशकों से धराशायी कारोबार,पस्त पड़ी अर्थ-व्यवस्था एवं निस्तेज हो गये रोजगार क्षितिजों को संकट से उबारना ही नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण देश को वैश्विक महामारी में मनोबल एवं आत्म-विश्वास को नयी उड़ान भरना है। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए आर्थिक पैकेज के माध्यम से लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉज सभी पर बल दिया गया है।
कोरोना महासंकट के बीच भी देश के प्रधानमंत्री ने जिस आत्मविश्वास से इस महामारी से लड़े, उससे अधिक आश्चर्य की बात यह कि देश का मनोबल गिरने नहीं दिया। उनसे यह संकेत बार-बार मिलता रहा है कि हम अन्य विकसित देशों की तुलना में कोरोना से अधिक प्रभावी एवं सक्षम तरीके से लड़े हैं और उसके प्रकोप को बांधे रखा है। जिससे ऐसा प्रतीत होता है, कि भारत दुनिया का नेतृत्व करने की पात्रता प्राप्त कर रहा है। हम महसूस कर रहे हैं कि निराशाओं के बीच आशाओं के दीप जलने लगे हैं।
आर्थिक सभ्यता और नई जीवन शैली आम आदमी में आशाओं का संचार ही नहीं होगा,बल्कि नये औद्योगिक परिवेश, नये अर्थतंत्र, नये व्यापार, नये राजनीतिक मूल्यों, नये विचारों, नये इंसानी रिश्तों, नये सामाजिक संगठनों, नये रीति-रिवाजों और नयी जिंदगी की हवायें लिए हुए आत्मनिर्भर भारत की एक ऐसी गाथा लिखी जा रही है,जिसमें राष्ट्रीय चरित्र, सशक्त राष्ट्र का निर्माण होगा, बल्कि भीतरी परिवेश में भारत दुनिया की नजरों में अपनी एक स्वतंत्र हस्ती और पहचान लेकर उपस्थित होगा। यह आर्थिक पैकेज मनोवैज्ञानिक ढंग से चीन की दादागिरी और पाकिस्तान की दकियानूसी हरकतों को मुंहतोड़ जवाब देगा। चीन ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि भारत पर निर्भर उसकी अर्थव्यवस्था एवं बाजार को इस तरह नेस्तनाबूद किया जायेगा। किसी भी राष्ट्र की ऊंचाई वहां की इमारतों की ऊंचाई से नहीं मापी जाती बल्कि वहां के राष्ट्रनायक के चरित्र एवं हौसलों से मापी जाती है। उनके काम करने के तरीके से मापी जाती है। इस मायने में नरेन्द्र मोदी एक प्रभावी विश्व नेतृत्व बनकर उभरे हैं।
यह पैकेज एक ब्रह्मास्त्र की तरह है जिससे भारत आर्थिक महाशक्ति बनेगा।दुनिया के बड़े राष्ट्र भारत से व्यापार करने को उत्सुक रहें, महानगरों की रौनक बढ़ेंगी, गांवों का विकास होगा, कृषि उन्नत होगी, स्मार्ट सिटी, कस्बों, बाजारों का विस्तार अबाध गति से होगा। भारत नई टेक्नोलॉजी का एक बड़ा उपभोक्ता एवं बाजार बनकर उभरेगा। प्रधानमंत्री के संबोधन से इसका आभास तो हो ही गया कि इस पैकेज में व्यापार-उद्योग के साथ-साथ किसानों, रोज कमाने-खाने वालों, छोटे-मझोले कारोबारियों का खास ध्यान रखा जायेगा। इसके साथ सप्लाई चेन को सुदृढ़ करने, उत्पादों की गुणवत्ता बेहतर करने, स्वदेशी उत्पादों की खपत बढ़ाने और तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाने का काम प्राथमिकता के आधार पर किया जायेगा। स्पष्ट है कि यह एक साहस भरा एवं चुनौती भरा काम है, इसके लिये भारत के हर नागरिक को लोकल के लिये वोकल बनना होगा। स्वदेशी उत्पाद, स्वदेशी उपभोक्ता और स्वदेशी बाजार की व्यवस्था को तीव्रता से लागू करते हुए छोटे-बड़े कारोबारियों को इसे स्वीकार करना होगा। सरकार आवश्यक आर्थिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त करेगी, लेकिन कारोबार जगत को अपने हिस्से की जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाना एवं सरकार के साथ-साथ आम-जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना ही होगा।
भारत का सौभाग्य है कि उसे नरेन्द्र मोदी जैसे दूरदर्शी एवं इन्द्रधनुषी बहुआयामी व्यक्तित्व का नेतृत्व प्राप्त है। इस बात को उन्होंने न केवल अपने शासन में बल्कि कोरोना महासंकट के दौर में बार-बार दर्शाया है। नरेन्द्र मोदी इसलिये भी विलक्षण एवं चमत्कारी शासक के रुप में उभरे हैं कि उन्होंने अपने शासन में कभी स्कूलों में शौचालय की बात की है तो कभी गांधी जयन्ती के अवसर पर स्वयं झाड़ू लेकर स्वच्छता अभियान का शुभारंभ किया। कभी योग की तो कभी कसरत की, कभी आयुर्वेद की तो कभी अहिंसा-संयम संस्कृति की वकालत की।
कभी विदेश की धरती पर हिन्दी में भाषण देकर राष्ट्रभाषा को गौरवान्वित किया तो कभी “मेक इन इंडिया” का शंखनाद कर देश को न केवल शक्तिशाली बल्कि आत्म-निर्भर बनाने की ओर अग्रसर किया हैं। नई खोजों, दक्षता, कौशल विकास, बौद्धिक संपदा की रक्षा, रक्षा क्षेत्र में उत्पादन, श्रेष्ठ का निर्माण और ऐसे अनेकों सपनों को आकार देकर सचमुच मोदी ने नये भारत और आत्म-निर्भर भारत को सार्थक अर्थ दिया है। कोरोना से लड़ते हुए भी वे आज दुनिया में भारत का परचम फहरा रहे हैं। उनकी नजर में मुल्क की एकता एवं तरक्की सर्वोपरि है।

Related Articles

Back to top button
Translate »