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किसका पैसा,कितना पैसा कहाँ जा रहा था करोड़ों रूपया जानिए ….

  • मामला बहुत ही संगीन और है बड़ा हाई प्रोफाइल

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून में पुलिस की गाड़ी से लूट कैसे हो गयी और वह भी पुलिस वालों द्वारा इस सबके बीच यह सवाल भी फिजाओं में तैर रहा है जब पुलिस कर्मी पकडे भी गए हैं तो उस लूटे गए उस बैग में कितने करोड़ रुपये थे उसका अभी तक पुलिस ना तो खुलासा ही किया है और न ही उन लूटेरे पुलिस कर्मियों को ही जेल भेजा गया है । मामला बहुत ही संगीन और हाई प्रोफाइल लगता है अब शायद पुलिस को भी डर है कहीं पोल खुल गयी तो मित्र पुलिस के उस इकबाल का क्या होगा जो धीरे -धीरे अन्य राज्यों की पुलिस की तरह उसका भी लगातार गिरता जा रहा है । शायद पुलिस इसी लिए चुपचाप हाथ पर हाथ धरे बैठी है हालाँकि पुलिस ने मामले की जांच एसटीएफ को सौंपने की कही है लेकिन एसटीएफ में भी तो पुलिस कर्मी ही हैं जो जांच करते हैं ।

मामले में फ़िजाओं में तैर रही ख़बरों की तहकीकात पर एक चर्चित करोडपति ”गंजे” का नाम भी आ रहा है जो पिछली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ चुका है। जिसके जिम्मे इस मोटी रकम को एक राजधानी से दूसरी राजधानी तक पहुँचाने का था, क्योंकि पिछले चुनावों में इस तरह के रुपयों की खेप लाने की जिम्मेदारी जिस व्यक्ति की होती थी वह इस वक़्त ”चौकीदार का भी चौकीदार” बन गया है और उस पर एक घोटाले में फंसने के बाद ”सरकार” का उनसे विश्वास भी हट गया है लिहाज़ा एक और बड़े घोटालेबाज़ -74 के ”चिम्प्पू गंजे  ” को इस काम की जिम्मेदारी दे दी गयी हालाँकि उसने अपने संबंधों का प्रयोग ऐसे किया किसी को कानों-कान खबर ही नहीं हुई।

हालांकि यह रकम एक राजधानी से दूसरी राजधानी तक पहुँच भी गयी और उसका एक हिस्सा सफारी सूट वाले और ”फूल गोभी” के नाम से प्रसिद्द एक व्यक्ति ने अंधे की रेवड़ियों की तरह बाँट भी दिया लेकिन बाकी का बन्दर बाँट कहीं और होना था सो उसे ऐसी जगह ठिकाने लगा दिया गया जहां ”कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना” था ।

लेकिन एक कॉफ़ी हाउस में एक ”बड़बोले” ने शेखी बघारते हुए जब अपने कुछ मित्रों से यह बात शेयर कर दी क्योंकि यह मोटी रकम ”बड़बोले के बड़बोले बड़े भाई ” के द्वारा राजधानी से सटे कहीं चुनावी खर्चे के रूप में पहुंचाई जानी थी, ”खुसुर-पुसुर”सुनने के माहिर एक ”मुच्छड़ ” ने ”बड़बोलों के बीच हो रही ”गुफ्तगू” पर अपने कान लगा दिए और पूरा मामला समझने के बाद उसे अपने जानकार को ”लीक” कर डाला। मामले के बाहर आते ही हंगामा तो मचना ही था सो मचा लेकिन अभी तक उस करोड़ों की रकम का खुलासा नहीं हो पाया है जो उस कुबेर के खजाने से मिली थी ।

लेकिन एक बात तो पक्की है मामले के उछल जाने के बाद इस रकम को न तो पुलिस वाले ही पचा पाएंगे और न राजधानी वाले।, सुनने में आ रहा है जहां से बैग को उठाया गया था उन्हीं की मिलीभगत से  नोट कर्मियों के साथ बैग वापस वहीँ पहुंचा दिए गए हैं कुछ ऐसी सुगबुगाहट है की मिलजुल कर किया गया है काम ताकि जहां से चला था वही वापस पहुंच जाए और किसी को शक भी ना हो और हिस्सा भी मिल जाए तभी बरामदगी नहीं हो पाई है अभी तक कुछ ऐसी हवा है फिजाओं में।

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