HEALTH NEWS

देवभूमि में भी बढ़ रहा है एड्स का खतरा!

  • राज्य  में पिछले 7 महीनों में 503 मरीजों में एचआईवी की पुष्टि
  • देहरादून में 210 मरीजों में एचआईवी की हुई पुष्टि

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : विश्व एड्स दिवस पर तमाम कार्यकमों और दावों के बावजूद उत्तराखंड में एचआईवी पॉजिटिव के आंकड़े बेहद चौकाने वाले मिल रहे हैं, दरअसल आंकड़ों में साल दर साल एड्स के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। चिंता की बात ये है कि मरीजों में अधिकतर युवा और महिला शामिल हैं। विश्व एड्स दिवस पर एक रिपोर्ट…..

देवभूमि में एड्स जैसी गंभीर बिमारी एक बड़े संकट के तौर पर सामने आ रही है, आंकड़े बताते है की प्रदेश में इस बिमारी से पीड़ित लोगों में अधिकतर या तो युवा हैं या फिर महिला । साफ़ है कि सरकार द्वारा चलाये जा रहे जागरूकता के सरकारी दावे इन आंकड़ों के सामने झूठे दिखाई दे रहे हैं साथ ही युवाओ में एचआईवी को लेकर लापरवाही भी इन आंकड़ों से साफ़ झलक रही है। खास बात ये है कि 15 से 49 साल तक के लोग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के हर जिले में एड्स के मरीज पाए गए हैं।उत्तराखंड में जहां 9000 मरीज एचआईवी पॉजिटिव हैं वहीं  प्रदेश में राजधानी देहरादून में सबसे ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव मरीज हैं।  सरकारी आंकड़ों के अनुसार सूबे में साल दर साल मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। एक जानकारी के मुताबिक पिछले सात महीनों में देहरादून में 210 मरीजों में एचआईवी की हुई पुष्टि हुई है जबकि हरिद्वार और नैनीताल जिला एचआईवी पॉजिटिव रिपोर्ट में दूसरे और तीसरे नंबर पर आ चुके हैं। 

आंकड़े बताते हैं कि पहाड़ी जिलों के मुकाबले मैदानी जिलों में एचआईवी के ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।  उत्तराखंड में पिछले 7 महीनों में 503 मरीजों में एचआईवी की पुष्टि हो चुकी है । देहरादून के दून अस्पताल में ही रोज 60 से 70 लोग एचआईवी की जांच करवाते हैं जिसमे 1 से 2 मरीजों में रोज एचआईवी की पुष्टि होती है।

वैसे प्रदेश में हर महीने एड्स के मरीजों की अच्छी खासी संख्या आंकड़ों में जुड़ रही है।  लेकिन सरकार के अधिकारी मानते हैं की ये संख्या प्रदेश के लिहाज से ज्यादा नहीं है और सरकार जागरूकता के जरिये इसपर नियंत्रण की कोशिश कर रही है।  अधिकारियों के ये बयान तब आ रहे हैं जब सरकारी आंकड़ों में ही हर साल मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं के बावजूद एचआइवी रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। असुरक्षित यौन संबंध व संक्रमित रक्त चढ़ाने के अलावा इंजेक्शन से नशा करने वालों में एचआइवी खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। हल्द्वानी व आसपास क्षेत्रों में ही 385 मरीज पंजीकृत हो चुके हैं। इनकी उम्र 18 से 35 वर्ष है। यह संख्या बढने की गति 27 फीसद है।

हकीकत यह है कि प्रतिवर्ष एचआइवी कंट्रोल के लिए ढाई करोड़ रुपये गैर सरकारी संगठनों की मदद से खर्च किए जाते हैं। धरोहर संस्था के सर्वे में कई चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। स्लम एरिया में मरीजों की संख्या अधिक रू धरोहर विकास संस्था केंद्र सरकार की लक्ष्यगत हस्तक्षेप योजना पर काम कर रही है।

इस संस्था को हल्द्वानी में ही ड्रग एब्यूजर यानी सुई के माध्यम से नशा करने वाले 300 लोगों को खोजने का लक्ष्य दिया गया था, जो इस वजह से एचआइवी से ग्रस्त हो गए हैं। संस्था का यह लक्ष्य पूरा हो गया। इसके बाद लालकुआं क्षेत्र में 100 ऐसे लोगों का लक्ष्य मिला, इसमें से भी एचआइवी से ग्रस्त 84 मरीज पंजीकृत हो चुके हैं।

गौरतलब हो कि पर्वतीय क्षेत्र में बड़ी तादाद में लोग टैक्सी व ट्रक चलाते हैं। जिस कारण वह अधिक समय घर से बाहर रहते हैं। ऐसे में यह लोग बाहर यौन संबंध बनाकर एड्स को दावत देते हैं। जब यह वापस आएं और एड्स की जांच कराना भी चाहें तो नहीं करा सकते हैं। कारण कि आज तक जिला अस्पताल में आइसीटीसी (स्वैच्छिक परामर्श व जांच केंद्र) सेंटर नहीं है। जिसमें लोग अपनी जांच करा सकें।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल एड्स के रोगी मिल रहे हैं। वर्तमान में टनकपुर व लोहाघाट में एचआइवी जांच की जा रही है। जिसमें अब तक 63 लोग एचआइवी के रोग से ग्रसित मिल चुके हैं। आज के समय में शायद ही कोई होगा जो एचआईवी या एड्स के बारे में न जानता हो। आज एक दिसम्बर विश्व एड्स दिवस के रुप में मनाया जाता है।

सरकार एचआईवी और एड्स को नियंत्रित करने के लिए पोस्ट, बैनर, विज्ञान, एनजीओ आदि के माध्यम से जागरुकता अभियान चला रही है। इसके लिए कई चिकित्सालयों में आइसीटीसी सेंटर न बनाया जाना बड़ा दुखद विषय है। जिला चिकित्सालय बनने के कई साल बाद भी यहां अभी तक आइसीटीसी नहीं है और न ही कोई काउंसलर है।

जिला चिकित्सालय चम्पावत, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लोहाघाट, पाटी व संयुक्त चिकित्सालय टनकपुर में एचआईवी की जांच की सुविधा उपलब्ध है। जिले में 2013 से अब तक लोहाघाट में हुई जांचों में कुल 31 मरीज और संयुक्त चिकित्सालय टनकपुर में हुई जांचों में 32 मरीज एचआईवी के पाए गए। 

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »