15 जनवरी को पूर्ण हो गई थी तथा फैसला रखा गया था सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर हो, इसमें आरक्षण को न बनाया जाए आधार
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नयी दिल्ली : माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहम फैसले में उत्तराखंड में पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने के राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगाने के हाईकोर्ट के फैसले को अवैध ठहरा दिया। इस फैसले के बाद पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने का सरकार का आदेश फिर प्रभावी होने का रास्ता साफ हो गया है। अब राज्य सरकार को हाईकोर्ट के आदेश पर पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने के फैसले को सही ठहराने के एवज में मात्रात्मक (क्वांटीफायेबल) डाटा नहीं देना होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश में पदोन्नति पर लगी रोक भी जल्द हट सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में यह भी साफ किया है कि पदोन्नति में आरक्षण देना राज्य सरकार का अधिकार है। संविधान के अनुच्छेद-16 (4-ए) में राज्य सरकार इस बारे में फैसला लेने को स्वतंत्र है। उसे आदेश नहीं दिया जा सकता। इस संबंध में हाईकोर्ट के एक अप्रैल, 2019 को दिए गए फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध करार दिया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में पांच सितंबर, 2012 को राज्य सरकार के पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने के आदेश पर रोक लगा दी थी।
हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने एवं इस संबंध में आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के संबंध में राज्य सरकार को मात्रात्मक डाटा चार महीने में एकत्र करने के आदेश दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में स्पष्ट किया है कि जब राज्य सरकार ने उत्तराखंड में आरक्षण देने की कोई नीति लागू नहीं की गई है तो ऐसे में आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधित्व के लिए आंकड़े जुटाने को सरकार को बाध्य करना अविधिक है। इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के एक अप्रैल, 2019 और इस संबंध में दायर पुनर्विचार याचिका में 15 नवंबर, 2019 को पारित निर्णय को खारिज कर दिया।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट के उक्त आदेशों के खिलाफ मुकेश कुमार व अन्य की विशेष अनुज्ञा याचिका के संबद्ध अन्य विशेष याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति जस्टिस एल नागेश्वर राव व न्यायमूर्ति जस्टिस हेमंत गुप्ता की बैंच ने उक्त फैसला सुनाया है।