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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से मिले 700 करोड़ रुपये से सुधारी जाएगी राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं

धनराशि बीते साल की तुलना में लगभग 200 करोड़ रुपए अधिक मिले 

बागेश्वर, चमोली, चम्पावत, टिहरी एवं उत्तरकाशी के गुर्दा रोगियों के लिए लगेगी दो-दो डायलिसिस मशीनें 

17 मोबाईल मेडिकल यूनिट संचालित करने के लिए 4.18 करोड़ अनुमोदित

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून : उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य सेवाओं के विकास एवं विस्तार के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से लगभग 700 करोड़ की धनराशि का अनुमोदन किया गया है। यह धनराशि बीते साल की तुलना में लगभग 200 करोड़ रुपए अधिक है, जिसके अन्तर्गत तकनीकी मानव संसाधन की कमी दूर किए जाने को प्राथमिकता प्रदान की गयी है।
गौरतलब हो कि बीते दिनों में भारत सरकार के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों की बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए स्वास्थ्य सचिव श्री अमित नेगी ने बताया था कि आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में 400 एएनएम, 150 स्टाॅफ नर्स, 500 कम्युनिटी हैल्थ आफिसर्स, 13 डिस्ट्रिक्ट कोआडिनेटर्स, 21 सुपरवाईजर्स (टीबी उन्मूलन योजना के अन्तर्गत) रखे जायेगें। इसके अतिरिक्त जनपद पौड़ी में पांच, चमोली में दो तथा टिहरी व उत्तरकाषी में एक-एक  आरबीएसके टीम नियुक्त की जायेगी।
इसी क्रम में प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी  ने भारत सरकार द्वारा दी गयी स्वीकृतियों की विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित सभी महत्वपूर्ण गतिविधियों के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध की गयी है जिसमें मातृत्व स्वास्थ्य की देखभाल के लिए 54 डिलीवरी प्वाईंट एवं 29 एफआरयू Field-replaceable unit को सुदृढ़ किया जायेगा एवं पांच नई Field-replaceable unit हरिद्वार, उत्तरकाशी, पौड़ी, ऊधमसिंहनगर तथा टिहरी जनपदों के लिए स्वीकृत की गयी है।
वहीं समुदाय स्तर पर होने वाली मातृ मृत्यु की सूचना देने वाले प्रथम व्यक्ति को एक हज़ार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। जबकि प्रसव उपरान्त जच्चा-बच्चा को घर तक छोड़ने के लिए 94 खुशियों की सवारी को विभिन्न अस्पतालों पर उपलब्ध किया जायेगा, जिस हेतु लगभग 10 करोड़ स्वीकृत किया गया है। वहीं 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवाओं के संचालन हेतु लगभग 41 करोड़ तथा 17 मोबाईल मेडिकल यूनिट संचालित करने के लिए 4.18 करोड़ अनुमोदित किया गया है।
जबकि वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए राज्य के 28 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर फिजियोथैरेपी की सेवाओं को सुदृढ़ किया जायेगा तथा इन चिकित्सा इकाईयों पर फिजियोथैरेपिस्ट नियुक्त किए जायेगें। वहीं मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल से संबंधित सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए आत्महत्या जैसी प्रवृत्तियों को रोकने के लिए बचाव संबंधित गतिविधियां किए जाने का अनुमोदन प्राप्त हुआ है।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के अन्तर्गत बागेश्वर, चमोली, चम्पावत, टिहरी एवं उत्तरकाशी के गुर्दा रोग से पीड़ित मरीजों को अब डायलिसिस की सेवाएं जिला अस्पताल पर उपलब्ध हो पायेंगी। प्रत्येक जनपद की डायलिसिस यूनिट में तीन मशीनें उपलब्ध रहेंगी।
वहीं राज्य में नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में महिला चिकित्सालय पिथौरागढ़ में सिक न्यू बाॅर्न केयर यूनिट NICU की स्वीकृति दी गयी है तथा चिकित्सालयों पर इस सेवा को सुदृढ़ करने के लिए 64 स्टाॅफ नर्सों की भर्ती की जायेगी।
वहीं शहरी स्वास्थ्य मिशन को भी भारत सरकार द्वारा प्राथमिकता प्रदान की गयी है तथा राज्य के पांच जनपदों  देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल व ऊधमसिंहनगर में 38 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के संचालन की स्वीकृति प्रदान की गयी है। इन केन्द्रों पर हैल्थ एण्ड वैलनेस सेन्टरों पर दी जाने वाली सेवाएं भी उपलब्ध रहेंगी तथा 11 इकाईयां सरकार द्वारा एवं 27 इकाईयां लोक निजी सहभागिता के अन्तर्गत संचालित होंगी। इस वर्ष  सरकारी क्षेत्र में संचालित होने वाली दो शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को कायाकल्प अवार्ड हेतु भी नामित किया जायेगा।
निःशुल्क जांच सेवा के लिए 6 करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ है, जिसके अन्तर्गत गढ़वाल एवं कुमायूं मण्डल में निजी लैब को आउटसोर्स के माध्यम से विभिन्न प्रकार की जांचों के लिए अनुबंधित किया जायेगा। जबकि  राज्य में रक्तकोशों के सुदृढ़ीकरण के लिए 5.28 करोड़ की धनराषि स्वीकृत की गयी है।
वहीं टीकाकरण कार्यक्रम के सुदृढ़ीकरण के लिए 17.58 करोड़ की धनराशि का अनुमोदन दिया गया है। वहीं भारत सरकार द्वारा वायरल हेपेटाईटिस पर नियंत्रण, बचाव एवं उपचार के लिए दवाईयों के साथ-साथ रेपिड जांच किट तथा प्रयोगशाला संबंधित सामग्री के लिए लगभग 2 करोड़ का अनुमोदन दिया गया है।
राज्य में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के लिए लगभग 14 करोड़ की धनराषि मरीजों के उपचार एवं प्रबंधन हेतु स्वीकृत की गयी है। इसके अन्तर्गत लोक निजी सहभागिता के माध्यम से निजी क्षेत्र में टी0बी0 मरीजों के उपचार पर होने वाले व्यय का वहन भी किया जायेगा। जबकि डेंगू, मलेरिया से बचाव हेतु एंटीजन किट क्रय करने और अस्पतालों के स्तर पर निरन्तर रोग निगरानी हेतु भारत सरकार द्वारा बजट की व्यवस्था की गयी है।

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