रामबाड़ा- चौमासी होते हुए केदारनाथ तक बनेगी सड़क

सड़क का प्रोजेक्ट पीडब्ल्यूडी (एनएच) ने किया तैयार
सड़क तो बने लेकिन स्थानीय लोगों के रोजगार पर भी फर्क न पड़े : मनोज रावत
गुप्तकाशी। 2013 में केदारनाथ में आयी आपदा के बाद अस्त व्यस्त हुआ प्रदेश तीर्थाटन भले ही फिर से पटरी पर आ गया है।लेकिन अब केदारनाथ धाम की यात्रा को और सुगम करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ धाम को सडक से जोडने की कवायद शुरु हो गई है। लोक निर्माण विभाग के राष्ट्रीय राज मार्ग शाखा (एनएच) की ओर से केदारपुरी को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए खाका तैयार कर लिया गया है। जानकारों की माने तो इस प्रोजेक्ट के तहत चौमासी क्षेत्र से रामबाड़ा तक सड़क का निर्माण किया जाना है।
जानकारों के अनुसार यह प्रोजेक्ट सीधे पीएम मोदी से जुडा हुआ है लिहाजा इसके लिए धन की भी व्यवस्था कर ली गयी है और आगामी महीने से इसका काम भी शुरू हो जाएगा। गौरतलब हो कि केदारनाथ धाम को सड़क से जोड़ने की मांग बीते चार दशकों से चली आ रही थी, अब वह हकीकत में तब्दील हो जाएगी। बताते चलें कि केंद्र से 12 हजार करोड रुपए के आल वेदर रोड के तहत रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे की सूरत तो बदलेगी ही, इसमें रामबाड़ा तक सड़क निर्माण का प्रस्ताव भी रखा गया है। यह पूरा इलाका सेंचुरी इलाके के अंतर्गत आता है। यदि रामबाड़ा तक सड़क बन गई तो इससे आगे का हिस्सा फॉरेस्ट जोन न होने के कारण सड़क निर्माण में कहीं कोई दिक्कत भरा नहीं होगा। जानकारों की मानें तो यह सड़क गौरीकुंड के बजाय सोनप्रयाग से ही चौमासी होते हुए रामबाड़ा तक जाएगी।
हालाँकि यह भी माना जा रहा है कि केदारनाथ को सडक से जोडने के बाद पैदल मार्ग से रोजी-रोटी चला रहे स्थानीय लोगों के सामने रोजगार का संकट खडा हो जाएगा। क्योकि वर्तमान में इस पैदल मार्ग से हजारों घोडा- खच्चर और डंडी -कंडी संचालकों का पैदल रुट की वजह से रोजगार चल रहा है। इसके साथ ही पैदल रुट पर चाय-पानी की सैकडों की दुकानों पर भी रोजी रोटी का संकट खडा हो जाएगा। इस मामले पर केदारनाथ विधायक मनोज रावत का कहना है कि आपदा के बाद पैदा हुए हालातों को देखते हुए केदारपुरी में सडक की जरुरत तो महसूस हो रही है, लेकिन स्थानीय लोगों के रोजगार पर भी फर्क न पडे इस बात पर भी सरकार को ध्यान देने की ज्यादा जरुरत है।