UTTARAKHAND

प्राकृतिक आपदाओं के दौरान दूरस्थ क्षेत्रों में राहत कार्य पहुंचाना है एक चुनौती : मुख्यमंत्री

राज्य सरकार युवा मंगल दलों एवं महिला मंगल दलों को आपदा की परिस्थिति में राहत एवं बचाव कार्य के लिए दे रही है प्रशिक्षण

देशभर में ‘आपदा मित्र‘ योजना शुरू : आपदा मित्रों को दिया जा रहा है 12 से 15 दिन का बचाव एवं राहत कार्य का प्रशिक्षण 

देश के 720 जनपदों में से 350 जनपदों में लगभग एक लाख आपदा मित्र तैयार करने की है योजना

‘आपदा मित्र‘ योजना में उत्तराखण्ड के दो जनपद हरिद्वार एवं उधमसिंहनगर शामिल

राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा विभिन्न राज्यों में बनाए जा रहे हैं शेल्टर

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के प्रतिनिधिमण्डल के सामने रखी मांग 

  • पर्वतीय क्षेत्रों में पठालों के मकानों को पक्के मकानों की श्रेणी में रखा जाना चाहिए

  • पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा प्रभावितों को होती है काफी कम आर्थिक मदद लिहाज़ा इसको बढ़ाया जाना चाहिए 

  • उत्तराखण्ड के प्रत्येक जनपद में आपदा से प्रभावित 3 हजार से 5 हजार लोगों के ठहरने हेतु बनाए जा सकते हैं शेल्टर 

देहरादून : मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में फाॅरेस्ट फायर और लैंड स्लाईड जैसी प्राकृतिक आपदाओं से अधिक नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन के तहत बनायी जाने वाली योजनाओं में वनाग्नि जैसी प्राकृतिक आपदाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों में राहत कार्य पहुंचाना भी एक चुनौती है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से युवा मंगल दलों एवं महिला मंगल दलों को आपदा की परिस्थिति में राहत एवं बचाव कार्य के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसमें घायलों को प्राथमिक चिकित्सा देने जैसे प्रशिक्षण भी शामिल हैं। उन्होंने प्रतिनिधिमण्डल से एनडीएमए द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम ‘आपदा मित्र‘ के प्रशिक्षण में ट्राॅमा ट्रेनिंग (प्राथमिक चिकित्सा) जैसे प्रशिक्षणों को शामिल करने की बात कही।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास में राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के प्रतिनिधिमण्डल ने शिष्टाचार भेंट की। प्रतिनिधिमण्डल में सदस्य एनडीएमए श्री राजेन्द्र सिंह, संयुक्त सचिव एनडीएमए श्री रमेश कुमार एवं संयुक्त सलाहकार एनडीएमए श्री नवल प्रकाश शामिल थे। इस अवसर पर उत्तराखण्ड में प्राकृतिक आपदा एवं राहत व बचाव कार्य जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबन्धन हेतु बनायी गयी योजनाओं एवं दिशानिर्देशों में मैदानी क्षेत्रों के अनुसार योजनाएं बनायी जाती रही हैं। परन्तु पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं का स्वरूप एवं प्रभाव मैदानी क्षेत्रों से भिन्न है, इसलिए योजनाओं एवं दिशानिर्देशों को बनाते समय पर्वतीय क्षेत्रों के अनुरूप योजनाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतर मकान मिट्टी एवं छतें पटालों से बनायी जाती हैं। आपदा की गाईडलाईन के अनुसार ऐसे मकानों को कच्चा मकान कहा जाता है, इससे आपदा प्रभावितों को काफी कम आर्थिक मदद प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में इस प्रकार के मकानों को पक्के मकानों की श्रेणी में रखा जाना चाहिए।
सदस्य, एनडीएमए श्री राजेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दिशानिर्देशों के अनुपालन में देशभर में ‘आपदा मित्र‘ योजना शुरू की गयी है। इस योजना के तहत आपदा मित्रों को 12 से 15 दिन का बचाव एवं राहत कार्य का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस योजना के अन्तर्गत देश के 720 जनपदों में से 350 जनपदों में लगभग एक लाख आपदा मित्र तैयार करने की योजना है, जिसमें उत्तराखण्ड के 02 जनपद हरिद्वार एवं उधमसिंहनगर शामिल हैं।
उन्होंने बताया प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2024 तक देश को आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में नम्बर वन बनाने का लक्ष्य दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा विभिन्न राज्यों में शेल्टर बनाए जा रहे हैं। यदि राज्य सरकार जमीन उपलब्ध करा दे तो उत्तराखण्ड के प्रत्येक जनपद में आपदा से प्रभावित 3 हजार से 5 हजार लोगों के ठहरने हेतु शेल्टर बनाए जा सकते हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रकार के शेल्टर आपदा प्रभावितों को राहत पहुंचाने में काफी मददगार साबित होंगे एवं इसके लिए राज्य सरकार की ओर से हर सम्भव सहायता की जाएगी।
इस अवसर पर सचिव श्री एस.ए. मुरूगेशन, मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल एवं अधिशासी निदेशक उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण श्री पीयूष रौतेला भी उपस्थित थे।

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