चारधाम विकास परिषद ने पर्यटन विकास परिषद को दिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश
केदार दत्त
देहरादून। देवभूमि में तीर्थाटन के दृष्टिकोण से बेहद अहम माने जाने वाले पंच प्रयागों विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और देवप्रयाग की तरफ भी सरकार ने नजरें इनायत की हैं। जीवनदायिनी गंगा की सहायक नदियों के इन संगम स्थलों (प्रयाग) को चारधाम की तर्ज पर विकसित करने की तैयारी है। इस सिलसिले में चारधाम विकास परिषद ने पर्यटन विकास परिषद को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं, जिसे नमामि गंगे परियोजना के तहत केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। चारधाम की तरह राज्य में स्थित पंच प्रयागों का भी खासा महत्व है।
इन संगम स्थलों की अपनी-अपनी अलग महत्ता है और बड़ी संख्या में यात्री वहां पहुंचते हैं। नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण ये स्थल न सिर्फ धार्मिक बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं। इसे देखते हुए चारधाम की तर्ज पर पंच प्रयागों को भी उनके महत्व के अनुरूप विकसित करने की तैयारी है। सरकार की कोशिश है कि पंच प्रयागों में संगम स्थलों पर स्नान के लिए घाटों का पुनर्निर्माण और सौंदर्यीकरण हो। साथ ही इन संगम नगरियों में यात्री सुविधाएं बेहतर ढंग से विकसित करने के साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित किए जाएं। इस सबके मद्देनजर सरकार अब केंद्र में दस्तक देने की तैयारी कर रही है।
इस कड़ी में चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाई ने उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के निदेशक को पत्र भेज प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रयाग की जो महत्ता है, उसी के हिसाब से इन्हें विकसित करने को प्रस्ताव तैयार किए जाएं। उन्होंने बताया कि स्नान, दान व जप-तप के लिहाज से हर प्रयाग की अलग महत्ता है।
इसी के अनुरूप प्रस्ताव तैयार कर नमामि गंगे परियोजना में केंद्र सरकार को भेजे जाएंगे। प्रस्तावों में पंच प्रयागों में संगम स्थलों की स्वच्छता-निर्मलता, पुराने घाटों का पुनर्निर्माण, नए घाटों का निर्माण, सौंदर्यीकरण जैसे बिंदुओं को प्रस्ताव में शामिल करने को कहा गया है।
स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार पंच प्रयागों को विकसित करने की योजना में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसरों पर भी फोकस किया जाएगा। चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष के मुताबिक सभी प्रयागों में पूजन सामग्री का निर्माण वहां के लोगों से कराया जाएगा। सामग्री में स्थानीय जड़ी-बूटियां शामिल होंगी, जिससे इन्हें एकत्र करने व उत्पादित करने वाले लोगों को लाभ मिलेगा। स्थानीय कृषि समेत अन्य उत्पादों को भी तवज्जो दी जाएगी, ताकि पंच प्रयागों में आने वाले लोग इन्हें समलौंण (यादगार) के तौर पर ले जा सकें।
पंच प्रयाग राज्यों के पांचों प्रयागों में गंगा की प्रमुख सहायक नदियों के संगम हैं। विष्णुप्रयाग में धौली और अलकनंदा, नंदप्रयाग में अलकनंदा और नंदाकिनी, कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर, रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी और देवप्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी का संगम है।