- आयुध निर्माणियों को निजी हाथों में बेचना देश की सुरक्षा को खतरा
देहरादून। केन्द्र की सरकार आयुध निर्माणियों को बंद कर निजी क्षेत्र की कम्पनियों को सेना का काम दे रही है जिससे देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। यह कहना है आल इडिया डिफेंस ईम्पलाईज फैडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस एन पाठक का। श्री पाठक देहरादून में पत्रकारों से बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज सरकार ने देश की आयुध निर्माणियों को बंदी के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। सरकार लगातार कर्मचारियों के अधिकारों पर भी कुठाराधात कर रही है। श्री पाठक ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों को देश के लिए घातक है। प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि चाय बेचने वाले अब देश- विदेश के 20 कारपोरेट घरानों को देश बेचना चाह रहे हैं। रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश तथा आयुध निर्माणियों को बंद कर निजी क्षेत्र को काम देने की कवायद इसी रणनीति का हिस्सा है। 41 आयुध निर्माण के बचे तीन लाख कर्मचारी समेत 35 लाख केंद्रीय कर्मी ऐसा होने नहीं देंगे।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश में आयुध निर्माणियों की संख्या 13 से बढ़कर 41 हो गई। इन फैक्ट्रियों में सात लाख कर्मचारी काम भी करते थे, लेकिन अब सिर्फ तीन लाख कर्मचारी बचे हैं। वर्तमान सरकार आयुध निर्माणियों को निजी हाथों में बेचकर देश का राजनीतिक सौदा करना चाह रही है। उन्होंने कहा कि शाहजहांपुर ओसीएफ का सरकार सौदा कर चुकी है लेकिन कर्मचारी संगठन मंशा पूरी नहीं होने देंगे। कर्मचारी व देश राष्ट्र हित में 35 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के साथ मिलकर अनिश्चित कालीन हड़ताल की जाएगी।
एआइडीएफ राष्ट्रीय अध्यक्ष एसएन पाठक ने 1985 के निजीकरण का उदाहरण दिया। बताया कि कांग्रेस सरकार ने निजी कंपनी को सेना की वर्दी का टेंडर दिया था। 2.25 लाख वर्दी की निजी क्षेत्र से आपूर्ति की गई। कंपनी ने नीचे से दो सेमी वर्दी छोटी कर दी। इससे एक लाख वर्दी की सिलाई उधड़ने के साथ बटन टूट गए। जिसे सेना ने वापस कर दिया। जबकि आयुध वस्त्र निर्माणियों से बनी वर्दी की गुणवत्ता की देश विदेश में साख है। श्री पाठक ने कहा कि अगर फैक्ट्रियों को प्राइवेट सेक्टर में देने को सरकार अड़ी रही तो अनिश्चितकालीन हड़ताल होगी। सरकार की इस नीति से हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। जिनका असर कर्मचारियों के परिवारों के अलावा अन्य छोटे दुकानदारों और रोजी-रोटी कमाने वालों पर भी पड़ेगा। चार जून को रक्षामंत्री ने एक महीने का समय मांगा है।
उन्होंने कहा कि फेडरेशन के रुख के बाद सरकार ने इस बार रक्षा का बजट बढ़ाया है। अस्तित्व बचाने की यह लड़ाई हम जीतेंगे, सरकार को झुकना होगा। रक्षा में प्राइवेट सेक्टर को प्रवेश देना देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जनता का 40 हजार करोड़ रूपये लेकर भागे हैं। अगर इनमें से 10 हजार करोड़ रूपये आर्डनेंस फैक्ट्रियों के उत्थान पर खर्च कर दिया जाए तो फैक्ट्रियों का उद्धार हो जाएगा। अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय हो चुका है। केवल तिथि तय नहीं हुई है। इसके साथ ही सेंट्रल गर्वमेंट के कर्मचारियों की लड़ाई भी लड़ी जाएगी।