राजधानी के मुद्दे पर दोनों राष्ट्रीय दलों ने पर्वतीय क्षेत्र की जनता को छला
गैरसैंण। क्रांति मोर्चे की बैठक में वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण में बनाने के नाम पर दोनों राष्ट्रीय दलों के नेताओं ने पर्वतीय क्षेत्र की जनता को छला है।
गैरसैंण क्रांति मोर्चे की श्रीभुवनेश्वरी महिला आश्रम परिसर में आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा कि पृथक राज्य की नीव शहीदों के बलिदान पर पड़ी थी। उस समय पर्वतीय क्षेत्र की जनता को उम्मीद थी कि शहीदों के सपने साकार होंगे पर अब तक गैरसैंण में जितनी भी बैठकें हुई हैं वह मात्र पिकनिक मनाने तक सीमित रही हैं। हालात यह हैं कि प्रस्तावित विधानसभा भवन दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। इसलिए जनता को जागरूक करने और वर्तमान सरकार को जगाने के लिए मोर्चा दो अक्टूबर को मुजफ्फरनगर से गैरसैंण तक यात्रा अभियान की शुरूआत होगी। इसके बाद हरिद्वार में यात्रा की रूपरेखा तय की जाएगी। पर्वतीय क्षेत्र के गांव-गांव संपर्क कर राजधानी मामले पर व्यापक जनजागरण कर आमजन को कैसे जागरूक किया जाए।
चर्चा में सरकार से गठित पलायन आयोग का विरोध कर कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में बनाने से स्वतरू ही पलायन पर रोक लग सकेगी। मोर्चा संयोजक नमन चंदोला ने कहा कि करोड़ों की राशि खर्च कर गैरसैंण के भराड़ीसैंण में बडेघ् पैमाने पर निर्माण कार्य जारी है। ऐसे में यदि ग्रीष्मकालीन राजधानी की बात की जा रही है तो पहाड़वासियों को बरगलाने का प्रयास मात्र है जो प्रदेश हित में नही है।
बैठक में कहा गया कि ग्रीष्मकालीन राजधानी के नाम पर सियासी सैर-सपाटे व जनता के पैसों की बर्बादी के सिवा कुछ भी हासिल नही होने वाला है गैरसैंण में आयोजित विगत तीन विधानसभा सत्रों का हवाला देते उन्होंने कहा कि अधिकांश नेतागण हवाई मार्ग से यहां पहुंचे और चले गए। ऐसे में जनता की गाढ़ी कमाई को ठिकाने लगाया गया है।
बैठक में कुलदीप नेगी को चमोली व बलवंत गुसाई को पौड़ी जनपद संयोजक की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस मौके पर मनीष सुंदरियाल, संजय बुडाकोटी, तीरथ सिंह राही, हरीश सिंह, इंद्र सिंह असवाल, गांधी चौहान, महेन्द्र प्रधान, प्रवीण भट्ट, प्रकाश सुंदरियाल सहित सभी जनपदों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। उधर चिन्ह्ति राज्य आंदोलनकारी उत्तराखंड के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी पांडे ने समिति के सभी जनपद पदाधिकारियों को राजधानी मुद्दे पर व्यापक आन्दोलन की रणनीति तैयार करने संबधी पत्र प्रदेश सरकार प्रेषित करते कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में बनाने के लिए राज्य आंदोलनकारियों ने लंबी लड़ाई लड़ी थी और संगठन के माध्यम से ही यह मांग ग्रामीणों के सहयोग से शुरू की जाएगी।