अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 21जून को योग दिवस मनाने का उद्देश्य
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कमल किशोर डुकलान
देवभूमि मीडिया ब्यूरो । भारतीय संस्कृति के अनुसार 21जून को प्रकृति में सकारात्मक उर्जा सक्रिय रहती है और मनुष्य को लम्बा जीवन मिलता है। योग के जनक भगवान शिव द्वारा सप्त ऋषियों को दक्षिणायन में ही योग की दीक्षा दी गई थी इसलिए भी इस दिन को योगिक विज्ञान की सुरुआत का दिन माना गया है।
भारतीय संस्कृति के अनुसार 21जून को सूर्य जल्दी उदय होता है और देर से ढलता है। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में किसी ग्रह के अक्ष का झुकाव उस तारे की ओर सबसे अधिक झुका होता है जिसकी वह परिक्रमा करता है। इस दिन सूर्य की सबसे ज्यादा रोशनी पड़ती है,जिस कारण 21जून को सबसे लंबा दिन होता है।माना जाता है कि इस दिन सूर्य का तेज सबसे प्रभावी रहता है,और प्रकृति की सकारात्मक उर्जा सक्रिय रहती है। इस दिन की एक विशेष खासियत है कि वर्षभर के 365 दिनों में इस दिन योग करने से मनुष्य को लम्बा जीवन मिलता है।
भारतीय परम्परा के अनुसार 21 जून को आध्यात्मिक ज्ञान के लिए बेहद अनुकूल माना गया है। हमें वेदों में भगवान शिव को योग के जनक के रूप में जाना जाता है।
21 जून को ही योग दिवस मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। कहते हैं,कि योग का पहला प्रसार भगवान शिव द्वारा अपने सात शिष्यों के बीच किया गया था। कहते हैं कि इन सप्त ऋषियों को ग्रीष्म संक्राति के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा को शिव द्वारा योग की दीक्षा प्राप्त हुई थी, जिसे शिव अवतरण के रुप में भी मनाते हैं। इसे दक्षिणायन के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा भी इस दिन को योगिक विज्ञान की शुरुआत का दिन माना जा सकता है।
सूर्य के प्रकाश का संबंध सिर्फ गर्मी देने से नहीं है। इसका सम्बन्ध मनुष्य के आहार के साथ भी घनिष्ठ जुड़ा है। आत्मबल की वृद्धि के लिए सूर्य को मजबूत करना आवश्यक है।
जीवन को सफल बनाने के लिए आत्मविश्वास एवं उच्च मनोबल का होना जरूरी होता है। जिस मनुष्य में आत्मबल होता है,वह सभी तरह के कष्ट, विपत्तियों पर विजय हासिल कर सकता है। इसके लिए योग क्रियाओं में सूर्य नमस्कार को उत्तम माना गया है। कहा जाता है कि सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी होता है और योग भी आध्यात्मिक ज्ञान में ही आता है इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस’ के मनाने का फैसला किया।