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अब नहीं चलेगा भ्रष्टाचार का खेल: ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति होगी सख्ती से लागू

अब नहीं चलेगा भ्रष्टाचार का खेल: ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति होगी सख्ती से लागू

देहरादून। शासन-प्रशासन की स्वच्छ और पारदर्शी छवि को बरकरार रखने के लिए राज्य सरकार ने एक अहम पहल की है। मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने सभी अधिकारियों, विभागाध्यक्षों और सतर्कता अधिष्ठान को पत्र लिखते हुए भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। पत्र में उन्होंने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि राज्य सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के बावजूद कुछ स्तरों पर अनदेखी हो रही है, जिसे अब नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।

मुख्य सचिव द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि शासन के विभिन्न विभागों में कुछ अधिकारी और कर्मचारी अपने राजकीय कार्यों में सहयोग के नाम पर बाहरी (प्राइवेट) व्यक्तियों को शामिल कर रहे हैं, वह भी बिना विभागीय अनुमति के। ऐसा करना न केवल सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह शासन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। यह प्रवृत्ति शासन-प्रशासन की स्वच्छ छवि को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ आम जनता में भ्रष्टाचार को लेकर अविश्वास भी उत्पन्न कर रही है।

राज्य सरकार का मानना है कि ऐसी स्थितियों में कड़ा और समयबद्ध एक्शन ही जनता के विश्वास को बनाए रखने का एकमात्र रास्ता है। मुख्य सचिव ने इस संदर्भ में साफ निर्देश दिए हैं कि यदि किसी भी विभाग में इस प्रकार की गतिविधि की पुष्टि होती है, तो संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि बिना विभागीय स्वीकृति के कोई भी बाहरी व्यक्ति सरकारी कार्यों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से संलिप्त न हो।

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि सतर्कता अधिष्ठान को इन मामलों पर विशेष नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई है। सभी विभागों से अपेक्षा की गई है कि वे अपने अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों को इन दिशा-निर्देशों की सख्ती से पालना कराने हेतु आवश्यक निर्देश जारी करें।

राज्य सरकार की इस पहल को प्रशासनिक सख्ती के एक स्पष्ट संदेश के रूप में देखा जा रहा है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि अब भ्रष्टाचार या अनियमितता को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

मुख्य सचिव का यह पत्र न केवल एक प्रशासनिक चेतावनी है, बल्कि यह ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को व्यावहारिक रूप से लागू करने की दिशा में एक ठोस प्रयास भी माना जा रहा है। सरकार का यह कदम राज्य में स्वच्छ, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेतक है, जो आने वाले समय में व्यवस्था में और सुधार लाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

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