राष्ट्रीय दलों ने बाहरी प्रत्याशियों को टिकट दिया तो भुगतना होगा नुकसान
-केदारनाथ में नारी और रुद्रप्रयाग में बाहरी मुक्त का चल पड़ा नारा
-सीएम हरीश रावत के लिये भी आसान नहीं केदारनाथ से चुनाव लड़ना
-रुद्रप्रयाग विस की जनता पैरासूट प्रत्याशियों के खिलाफ होने लगी लामबंद
-सर्जिकल स्ट्राइक से पांच सौ और हजार के नोट बंद होने से बाहुबली दुबके
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
रुद्रप्रयाग । जिले की केदारनाथ और रुद्रप्रयाग विधानसभा में राष्ट्रीय दलों ने पैरासूट प्रत्याशियों को टिकट दिया तो उनकी खैर नहीं। जनता राज्य निर्माण के बाद तीन बार हुये विधानसभा चुनावों में पैरासूट प्रत्याशियों को देख चुकी है और जिले का विकास न होने से जनता परेशान है। केदारनाथ से नारी मुक्त और रुद्रप्रयाग से बाहरी मुक्त का नारा चल चुका है। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में हर किसी के मुंह से एक ही आवाज सुनाई दे रही है कि केदारनाथ विधान सभा क्षेत्र से नारी मुक्त और रुद्रप्रयाग विधानसभा से बाहरी मुक्त करके ही दम लेंगे।
राज्य निर्माण के सोलह सालों में हुए तीन विधान सभा चुनावों में रुद्रप्रयाग विधान सभा क्षेत्र से बाहरी प्रत्याषियों का ही कब्जा रहा और केदारनाथ विधान सभा में महिलाएं ही चुनाव जीतने में सफल रही। 2017 के विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने नया इतिहास रचने का मन बना लिया है। केदारनाथ और रुद्रप्रयाग विधान सभाओं में पिछले तीन सालों से धनबल और बाहुबलियों ने चुनाव जीतने के हर हथकण्डे अपनाए हुए दावेदारों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सर्जिकल स्ट्राइक पांच सौ एवं हजार रूपए के नोट बंद करने से बाहुबली इन दिनों जनता के बीच नहीं, बल्कि बिलों में दुबके हुए हैं और मोबाइल नम्बर नोट रिचेबल हो रखें हैं।
केदारनाथ विधान सभा से मुख्यमंत्री हरीष रावत के चुनाव लड़ने की भी चर्चाएं हैं और रूद्रप्रयाग विधान सभा की जनता इस बार भी आशंका जता रही है कि कहीं राष्ट्रीय पार्टियां बाहरी को ही टिकट न दे दें। राज्य निर्माण के बाद केदारनाथ विधान सभा क्षेत्र में 2002 से 2012 तक भाजपा से आशा नौटियाल विधायक रहीं और 2012 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की शैलारानी रावत विधायक निर्वाचित हुई। रूद्रप्रयाग विधान सभा से 2002 से 2012 तक भाजपा के मातबर सिंह कण्डारी विधायक रहे और 2012 के विधान सभा चुनाव में जनता ने कांग्रेस के प्रत्याषी डाॅ हरक सिंह रावत को विधायक बनाया। 18 मार्च 2016 को विधान सभा में हुए राजनैतिक भूचाल के बाद जिले के दोनों कांग्रेस विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस विधायक शैलारानी रावत के कांग्रेस से भाजपा में षािमल होने के बाद जन चर्चाएं हैं कि केदारनाथ विधान सभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री हरीश रावत चुनाव लड़ेंगे लेकिन जनता के जेहन में एक ही सवाल कुरेद रहा है कि जो लोग सालों से विधान सभा चुनावों की तैयारियों में जुटकर जनता की सेवा में जुटे हुए हैं आखिरी वे कहा जांएगे और कब तक पैरासूट प्रत्याषियों को ही ढोते रहेगे। राज्य निर्माण के बाद केदारनाथ विधान सभा में हुए चुनावों में राश्ट्रीय पार्टियों ने महिलाओं को ही टिकट दिया और वे चुनाव जीतने में सफल भी रहे, लेकिन इस बार केदारघाटी की जनता बदलाव के मूड में साफ दिखाई दे रही है और बच्चे बूढे की जुबा पर एक ही षब्द निकल रहा है कि हमें नारी से मुक्ती दो और विकास की मुख्य धारा से जोड़ो।
राज्य निर्माण के बाद रूद्रप्रयाग विधान सभा चुनाव में तीनों बार पैरासूट प्रत्याषी ही चुनाव जीतने में सफल रहे। 2002 से 2012 तक भाजपा से मातबर सिंह कण्डारी चुनाव जीते और 2012 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस से डाॅ हरक सिंह रावत चुनाव जीते, लेकिन राज्य निर्माण के बाद जिस तेज गति से अन्य जनपदों का विकास हुआ, रूद्रप्रयाग जनपद आज भी विकास से उपेक्षित हैं और विकास से कोसों दूर जिले की जनता ने अबकी बार निर्णय लिया है कि केदारनाथ विधान सभा को नारी मुक्त और रूद्रप्रयाग विधान सभा को बाहरी से मुक्त कराकर ही सांस लेंगे। भाजपा और कांग्रेस ने केदारनाथ विधान सभा से महिलाओं को 2017 के चुनाव में फिर से प्रत्याषी बनाया तो जनता गुप्त मतदान से दोनों राश्ट्रीय पार्टियों को कहीं करारा जवाब न दे। इसलिए राश्ट्रीय पार्टिया भी इस बार केदारनाथ विधान सभा में फूंक-फूंककर चल रही है। क्योंकि अब तक के हुए तमाम सर्वे में जनता ने अपनी बात को खुलकर रखा है और इसी को लेकर राश्ट्रीय पार्टियां भी चिंतित हैं।
रूद्रप्रयाग विधान सभा में हुए तीनों चुनावों में पैरासूट प्रत्याषी ही चुनाव जीतने में सफल रहे। दो बार भाजपा के मातबर सिंह कण्डारी चुनाव जीतने में सफल रहे, जो कि टिहरी जनपद के घनसाली विकास खण्ड की ग्राम पंचायत जाख नैलचामी से तालुक्क रखते हैं और 2012 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के डाॅ हरक सिंह रावत चुनाव जीते। जो कि पौड़ी जनपद के विकास खण्ड खिर्सू की गाम पंचायत गहड़ से तालुक रखते हैं। कांग्रेस से डाॅ हरक सिंह रावत इसलिए 2012 के विधान सभा चुनाव में जीतने में सफल रहे। क्योंकि भाजपा के प्रत्याषी मातबर सिंह कण्डारी से जनता काफी नाराज थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा श्री कंडारी के बजाय किसी भी स्थानीय कार्यकर्ता को प्रत्याषी घोषित करती तो उसकी जीत तय थी। इलाके के लोगों का कहना है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने बाहरी प्रत्याषियों को टिकट दिया तो भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
विधान सभा चुनाव के दौरान डाॅ हरक सिंह रावत ने रूद्रप्रयाग की जनता को विकास के ऐेसे सब्जबाग दिखाए कि जनता ने सोचा कि पांच सालों में विधानसभा तो रही दूर जनपद की तस्वीर ही बदल जाएगी। लेकिन हुआ सीधा उल्टा। चुनाव जीतने के बाद डाॅ हरक सिंह रावत ने उल्टा मुड़कर नहीं देखा और कहा कि तेरह दिन में भले ही मैं चुनाव जीत गया, लेकिन एक गिलाश पानी का भी दो हजार में पीया। डाॅ रावत की इस बयान से जनता को षर्मिंदा भी होना पड़ा। रूद्रप्रयाग विधान सभा में इन दिनों एक नारा चल पड़ा गर्व से कहो हम रुद्रप्रयाग वासी है, विकास को तरस रही जनता के आंखों में एक ही दर्द झलक रहा कि अपना स्थानीय विधायक होता तो विकास के लिए नहीं छटपटाना पड़ता, लेकिन स्वयं अपने पांव पर ऐसी कुलहाड़ी मार दी, अपनों पर विष्वास न कर बाहरी पर विष्वास कर गहरे कुएं में गिर गए। केदारनाथ नारी मुक्त और रूद्रप्रयाग बाहरी मुक्त का नारा वास्तविक में बुलंद हुआ तो कांग्रेस एवं भाजपा जैसी राश्ट्रीय पार्टियों को सोचने को मजबूर होना पड़ेगा। जिस तरह से केदारनाथ और रूद्रप्रयाग विधान सभा में आम चर्चाएं चल रही है कि मुख्यमंत्री हरीष रावत हों चाहे कोई भी बड़ा पैरासूट प्रत्याषी चुनाव लडा तो उसे बैरंग लौटाया जाएगा। ऐसी परिस्थितियों में अब की बार जिले की दोनों विधान सभा सीटों पर पैरासूट प्रत्याषियों को चुनाव लड़ना आसान नहीं है।