मां मनणी माई लोकजात यात्रा हुई हिमालय के लिए रवाना
महिषासुर से जुड़ी है यह वर्षों पुरानी लोकजात यात्रा
रुद्रप्रयाग : उत्तराखंड की लोक संस्कृति में स्थानीय लोकजात यात्राओं का विशेष महत्व है। मुख्यतः ये हिमालयी क्षेत्रों के दूरस्थ गांवों से प्रारम्भ होकर उच्च हिमालय क्षेत्रों तक जाती है। रुद्रप्रयाग जिले की मदमहेश्वर घाटी के दूरस्थ गांव रांसी के रांकेश्वरी देवी के मंदिर से लोकमान्यताओं और रीति रिवाज के साथ देवी की डोली उच्च हिमालयी क्षेत्र मनणी के लिए रवाना हो गई है। यह लोकजात यात्रा पांच दिन में संपन्न होगी।
लोक संस्कृति से जुड़े संजय चौहान बताते हैं कि प्रतिवर्ष श्रावण मास में शुरू होने वाली यह यात्रा 32 किमी0 की दूरी तय करती है। मान्यता है कि मनणी स्थान पर मां दुर्गा ने असुर महिषासुर का वध किया था। इस स्थान पर आज भी दूर-दूर से साधक आकर मां दुर्गा की उपासना करते हैं।
साधकों का मानना है कि इस स्थान पर मां दुर्गा की साधना करने से अभिष्ठ की प्राप्ति होती है। इस क्षेत्र में दूर-दूर तक फैले हरे-भरे मखमली बुग्याल पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को भी आकर्षित करते हैं। ट्रैकर यहां से खांम ग्लेशियर और हथिनी पीक होते हुए केदारनाथ तक भी पहुंचते हैं। इस पूरी यात्रा में प्रकृति के विभिन्न रंगों से सराबोर छटाएं बरबस ही हर किसी का मन मोह लेती हैं।
रांसी मंदिर के पुजारी और शिक्षक रवींद्र भट्ट का कहना है कि रांसी मंदिर में वर्ष भर हर माह किसी न किसी रूप में देवी के जागर गाए जाते हैं, जो कि स्थानीय लोक परंपरा की विशिष्ट पहचान हैं। इस क्षेत्र के अधिकांश युवा पर्यटन क्षेत्र से जुड़े हैं। यही उनके रोजगार का जरिया है। इसमें टूरिस्ट गाइड से लेकर छोटे-बड़े लॉज स्थानीय युवा संचालित करते हैं।
गाइड का काम करने वाले देवेंद्र सिंह का कहना है कि रांसी गांव को पर्यटक गांव के रूप में विकसित किया जा सकता है। यह इस क्षेत्र के साथ-साथ उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देगा। रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय रांसी गांव पहुंचने के लिए पहले ऊखीमठ जाना पड़ता है। फिर यहां से रांसी गांव तक जाया जाता है। गांव जाने के लिए सड़क बनी है।