UTTARAKHAND

इस तरह तो कोई भी तथाकथित प्रभावशाली व्यक्ति भेद सकते हैं सुरक्षा : मनोज रावत

यूपी के विधायक के उत्तराखंड के ग्रीन जोन में प्रवेश पर नाराज हुए केदारनाथ के विधायक

केदारनाथ क्षेत्र के विधायक ने कहा, हमारे लिए पहले राष्ट्र और नागरिकों की सुरक्षा, फिर यात्रा 

हम सभी ने कपाट खुलते समय भारत सरकार के दिशा निर्देशों का पूरा पालन किया 

हम अपनी परंपरा से भले ही समझौता नहीं करते हैं, लेकिन देश के कानून को सर्वोपरि मानते हैं

देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। केदारनाथ क्षेत्र के विधायक मनोज रावत ने यूपी के विधायक अमनमणि त्रिपाठी के उत्तराखंड के ग्रीन जिलों में प्रवेश पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इससे यह सिद्ध हो गया कि उत्तराखंड में कोई भी तथाकथित प्रभावशाली व्यक्ति, स्थानीय निवासियों द्वारा अपने परंपरागत हितों को त्यागकर बनाई सुरक्षा को भेद सकता है।
प्रेस को जारी विज्ञप्ति में केदारनाथ क्षेत्र के विधायक रावत ने कहा कि मैं स्वयं भैरव पूजा की रात्रि को और केदारनाथ डोली के विदा होने के दिन प्रातः ऊखीमठ में होने के बाद भी ऊषामठ मंदिर में नहीं गया। न ही कपाट खुलने पर भी श्री केदारनाथ धाम गया। यही गंगोत्री और यमुनोत्री के विधायकों ने किया। हम सबका मत यह है कि पहले राष्ट्र और नागरिकों की सुरक्षा, फिर यात्रा हो। लेकिन यूपी के विधायक अमनमणि त्रिपाठी के उत्तराखंड के ग्रीन जिलों में प्रवेश से यह सिद्ध हो गया कि उत्तराखंड में कोई भी तथाकथित प्रभावशाली व्यक्ति, स्थानीय निवासियों द्वारा अपने परंपरागत हितों को तिलांजलि देकर बनाई सुरक्षा को भेद सकता है।
विधायक रावत ने कहा कि भगवान केदारनाथ धाम के मंदिर के कपाट खुलने की प्रक्रिया में रावल जी, स्थानीय पंच गांवों के निवासियों, हक हकूकधारियों, तीर्थ पुरोहित समाज, केदारनाथ के स्थानीय निवासियों व जिला प्रशासन ने कोविड -19 की वजह से घोषित लॉकडाउन में भारत सरकार के दिशा निर्देशों का पूरा पालन किया।
उन्होंने कहा कि नंगे पैर 20 फीट बर्फ के बीच भगवान की डोली को केदारनाथ तक विदा करने वाले परंपरागत हक हकूकधारियों को अपने आराध्य भगवान केदारनाथ जी की डोली को वाहन द्वारा ऊखीमठ से गौरीकुंड तक ले जाना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। देश के कानून और संकटकाल की मर्यादा को मानते हुए हम सब केदारघाटी के निवासियों ने दुनियाभर के धर्मों के लोगों को संदेश दिया कि हम अपनी परंपरा से भले ही समझौता नहीं करते हैं, लेकिन देश के कानून को सर्वोपरि मानते हैं और संकटकालीन परिस्थितियों के अनुसार धार्मिक व्यवहार करते हैं।
विधायक ने कहा कि गंगोत्री और यमुनोत्री के हक हकूकदारियों ने भी संकट काल में बहुत ही अच्छा उदाहरण पेश किया और जरूरत पड़ने पर बदरीनारायण से जुड़े सभी परंपरागत हकूकधारी भी यही करेंगे। पूज्य केदारनाथ रावल जी और बदरीनाथ के रावल जी ने भी कोरोना नैगेटिव होने के बाद भी 14 दिन का क्वारान्टाइन काल समाप्त करके सिद्ध किया कि वे देश के कानून और अपने धार्मिक कर्तव्यों को बराबर महत्व देते हैं। देश के कानून को महत्ता देते हुए पहली बार भगवान बदरीनारायण जी के मंदिर के कपाट बसंत पंचमी में तय तिथि की बजाय अन्य तिथि को खुल रहे हैं।

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