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भारी चूक : कोरोना पॉजिटिव चिकित्सक की पहचान आखिर कैसे हुई उजागर

चिकित्सक के परिजन को झेलना पड़ सकती है सामाजिक उपेक्षा

चमोली निवासी कोरोना पॉजिटिव लड़की के मुद्दे पर भी हुई थी चूक

अविकल थपलियाल  
देहरादून : दून के चिकित्साकर्मियों के कोरोना पॉजिटिव आने से हडकंम्प मचा हुआ है। यही नही प्रदेश के वीवीआईपी के चिकित्सक की पहचान उजागर होने को भी गंभीरता से लिया जा रहा है।
दरअसल, दून हॉस्पिटल 8 जून से लगातार चूक पर चूक किये जा रहा है। 30 मई से 8 June तक कोरोना संक्रमित तीमारदार चमोली निवासी लड़की को दून अस्पताल ने उसके लकवा ग्रस्त भाई के साथ रखा। फिर 8 जून को रात 7:00 बजे कोरोनेशन जो कि नॉन कोविड अस्पताल है वहां भेज दिया। लड़की की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट देखने के बाद कोरोनेशन अस्पताल के कर्मियों ने आवाज उठाई । दून अस्पताल की गलती को लेकर भी पत्र लिखे। साथ ही चिकित्साकर्मियों की पर्याप्त सुरक्षा की भी मांग की।
आखिरकार 15 जून को 7 दिन बाद पीड़ित चिकित्सा कर्मियों के टेस्ट कराए गए। 18 जून की शाम सीएमओ ने सबकी नेगेटिव रिपोर्ट का व्हाट्सएप मैसेज डाल डयूटी पर लौटने को कहा। 19 जून को जारी पत्र में दो चिकित्सक समेत 9 चिकित्साकर्मियों को वापस डयूटी पर आने को कहा। इस पत्र में कोरोना पॉजिटिव लड़की व उसके लकवाग्रस्त भाई का भी उल्लेख किया गया है। (पत्र देखें)
चिकित्सा कर्मी वापस ड्यूटी पर आ गए । लेकिन 19 की रात बताया गया कि वे कोरोना पॉजिटिव है। कोरोना पॉजिटिव लड़की को तीलू रौतेली छात्रावास भेजने के बाद भी यह आशंका जताई गई थी कि दून व कोरोनेशन अस्पताल का स्टाफ संक्रमित हो सकता है। अब यह आशंका हकीकत में तब्दील हो चुकी है।चिकित्सक समेत अन्य कर्मी भी कोरोना की चपेट में आ गए।
इस लापरवाही पर दून व कोरोनेशन अस्पताल प्रबंधन के बीच काफी तनाव बढ़ गया था। लेकिन अभी तक संक्रमित लड़की के दून अस्पताल से 8 जून को किये गए डिस्चार्ज में लापरवाह स्टाफ कर्मियों के खिलाफ कोई एक्शन नही लिया गया। इधर, 19 जून की रात्रि चिकित्सक व अन्य स्टाफ के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद स्थिति और बिगड़ गयी है। यही नही चिकित्सक की पहचान उजागर होने से उनके सामाजिक बहिष्कार का खतरा भी पैदा हो गया है। इससे पूर्व भी कोरोना पॉजिटिव एक महिला चिकित्सक के परिजनों को समाज की अवहेलना झेलनी पड़ी थी।
एक बार फिर कोरोना पॉजिटिव चिकित्सा अधिकारी व कर्मियों का टेस्ट किये जाने की बात हो रही है। लेकिन इस पूरे एपिसोड से साफ हो गया है कि दून अस्पताल में पॉजिटिव लड़की का अपने लकवाग्रस्त भाई की तीमारदारी करते रहना। दून अस्पताल प्रबन्धन का पॉजिटिव लड़की को डिस्चार्ज करना। बीमार भाई के साथ उस कोरोना पॉजिटिव लड़की का कोरोनेशन अस्पताल में लगभग 24 घण्टे तक रहना। अस्पताल में दहशत मचना। लड़की को तत्काल कोविड छात्रावास में शिफ्ट करना। इस सब कसरत में बड़ा झोल नजर आ रहा है। नतीजा वही आया जिसका डर था। कई स्वास्थ्यकर्मी कोरोना की चपेट में। दो सरकारी अस्पताल के बीच जारी कुश्ती में आशंका सही साबित हुई।

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