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नहीं रहे यायावर घुमन्तु पत्रकार दिनेश कंडवाल

नार्थ ईस्ट में त्रिपुरा सरकार द्वारा उनकी पुस्तक “त्रिपुरा की आदिवासी लोककथाएँ” प्रकाशित की

ओएनजीसी की त्रिपुरा मैगजीन “त्रिपुरेश्वरी” पत्रिका का वर्षों सम्पादन किया

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र रावत ने जताया  दुःख 

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पत्रकार श्री दिनेश कंडवाल के निधन पर शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति व शोक संतप्त परिवार जनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है। उन्होंने कहा विलक्षण प्रतिभा के धनी श्री दिनेश कंडवाल यायावर घुमन्तु प्रकार के अलावा एक दार्शनिक और अच्छे व्यवहार के लिए सबके बीच प्रिय थे। 
देहरादून। देहरादून डिस्कवर मासिक पत्रिका  के सम्पादक दिनेश कंडवाल ने रविवार को ओएनजीसी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। दो दिन पहले आंतों में इन्फेक्शन की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति तथा शोक संतप्त परिवारजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
दिनेश कंडवाल ने अपनी जिंदगी की शुरुआती दौर की पत्रकारिता ऋषिकेश में भैरव दत्त धूलिया के अखबार  तरुण हिन्द  से बतौर पत्रकार शुरू की। इसके बाद उन्होने पार्टनरशिप में एक प्रिटिंग प्रेस भी चलाई और एक अखबार का सम्पादन भी किया। ओएनजीसी में नौकरी लगने के बाद भी उन्होंने अपना लेखन जारी रखा। स्वागत पत्रिका, धर्मयुग, कादम्बनी, हिन्दुस्तान, नवीन पराग, सन्डे मेल सहित दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में उनके लेख छपते रहते थे। 
नार्थ ईस्ट में त्रिपुरा सरकार द्वारा उनकी पुस्तक “त्रिपुरा की आदिवासी लोककथाएँ” प्रकाशित की,जो आज भी वहां की स्टाल पर सजी मिलती है। इसके अलावा उन्होंने  ओएनजीसी की त्रिपुरा मैगजीन “त्रिपुरेश्वरी” पत्रिका का वर्षों सम्पादन किया।
ट्रेकिंग के शौकीन दिनेश कंडवाल ने नार्थ ईस्ट से लेकर उत्तराखंड के उच्च हिमालय क्षेत्र के विभिन्न स्थलों की यात्राएं की और इन यात्राओं पर लेख भी लिखे। उनकी यात्राओं में 1985 संदक-फ़ो(दार्जिलिंग)-संगरीला (12000 फिट सिक्किम ), “थोरांग-ला पास”(18500 फिट) दर्रे, डिजोकु-वैली ट्रैक, मेघालय में “लिविंग रूट ब्रिज” ट्रैक तथा गढ़वाल-कुमाऊं में कई यात्राओं में वैली ऑफ़ फ्लावर, मदमहेश्वर, दूणी-भितरी, मोंडा-बलावट-चाईशिल बेस कैंप, देवजानी-केदारकांठा बेस, तालुका-हर-की-दून बेस आदि दर्जनों यात्राओं के अलावा लद्दाख में धर्मपत्नी श्रीमती सुलोचना कंडवाल के साथ “सिन्दू-जसकार नदी संगम का चादर ट्रैक” प्रमुख रूप से शामिल है। 
2012 में ओएनजीसी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से पहले ही  उन्होंने 2010 में अपनी पत्रकारिता को व्यवसायिकता देते हुए  “देहरादून डिस्कवर” नामक पत्रिका का नाम आरएनआई को अप्रूव के लिए भेजा और 10 अक्टूबर 2011 में उनकी मैगजीन का विधिवत प्रकाशन शुरू हुआ। 
लगभग 66 साल की उम्र में उनकी अंतिम यात्रा “हिमालयन दिग्दर्शन ढाकर शोध यात्रा 2020” शामिल रही, जिसमें उन्होंने चार दिन की इस ऐतिहासिक शोध यात्रा में लगभग 42 किमी. पैदल सहित 174 किमी. की यात्रा की। उनकी मृत्यु पर जिलाधिकारी पौड़ी ने उनकी पौड़ी गढ़वाल की अंतिम यात्रा का स्मरण करते उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। 
वेब पोर्टल एंड ब्लॉग मीडिया एसोसिएशन के समस्त साथियों  सहित राजेन्द्र जोशी ,मीरा रावत,नारायण परगाई, कपिल गर्ग,राजीव कुमार वर्मा ,कुंवर आदित्य सिंह,विपिन चंद्रा,भुवन उपाध्याय,नीतू सोनी,मोहन भुलानी,विनोद भगत,संजीव कुमार, त्रिलोक चन्द्र, सुमित धीमान, मनीष वर्मा आदि ने श्री कंडवाल के निधन को पत्रकारिता जगत के लिए बड़ा आघात बताया और श्रद्धांजलि अर्पित की है।

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