जगन्नाथपुरी की वर्ल्ड हेरिटेज रथ यात्रा शुरू

- भगवान जगन्नाथ, भगवान बालभद्र और देवी सुभद्रा
- अगले साथ दिनों तक गुंडिचा मंदिर अपने मौसीं के घर रहेंगे
पुरी: यूनेस्को द्वारा पुरी के एक हिस्सों को वर्ल्ड हेरिटेज यानी कि वैश्विक धरोहर की सूची में शामिल किए जाने के बाद पहली बार ओडिशा के पुरी की सालाना रथ यात्रा (Rath Yatra) शुरू हो गई है। इस बार की रथ यात्रा की थीम भी ‘धरोहर’ है। उल्लेखनीय है कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा (Jagannath RathYatra) आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी से शुरू होती है। इस भव्य यात्रा में शामिल होने के लिए श्रद्धालु देश विदेशों तक से यहां पहुंचे हैं। रथ यात्रा का शुभ मुहूर्त विधि -विधान से निकाला जाता है इस बार यात्रा का मुहूर्त आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया तिथि 14 जुलाई की सुबह 4 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर 15 जुलाई की रात 12 बजकर 55 मिनट तक का है ।
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भगवान बालभद्र और देवी सुभद्रा अपने घर यानी कि जगन्नाथ मंदिर से रथ में बैठकर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है।
यात्रा शुरू होने से पहले श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के रथ के सामने सोने के हत्थे वाले झाड़ू को लगाकर रथ यात्रा को आरंभ करते हैं । उसके बाद पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप के बीच तीन विशाल रथों को सैंकड़ों श्रद्धालु खींचते हैं। इस क्रम में सबसे पहले बालभद्र का रथ प्रस्थान करता है। उसके बाद बहन सुभद्रा का रथ चलता है। फिर आखिर में भगवान जगन्नाथ का रथ खींचा जाता है।
पौराणिक मान्यता है कि रथ खींचने वाले लोगों के सभी दुख -दर्द दूर होते हैं और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। नगर भ्रमण करते हुए शाम को ये तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच जाते हैं। अगले दिन भगवान रथ से उतर कर मंदिर में प्रवेश करते हैं और वे सात दिन यहीं रहते हैं।
गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। रथ यात्रा के दौरान साल में एक बार भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहनों के साथ जगन्नाथ मंदिर से इसी गुंडिचा मंदिर में रहने के लिए आते हैं। अपनी मौसी के घर में भगवान एक हफ्ते तक ठहरते हैं, जहां उनका खूब आदर-सत्कार होता है। उन्हें कई प्रकार के स्वादिष्ट पकवानों और फल-फूलों का भोग लगाया जाता है।
पौराणिक मान्यता है कि अच्छे-अच्छे पकवान खाकर भगवान बीमार हो जाते हैं। फिर उन्हें पथ्य का भोग लगाया जाता है और वह जल्दी ठीक हो जाते हैं। गुंडिचा मंदिर में इन नौ दिनों में भगवान जगन्नाथ के दर्शन को आड़प-दर्शन कहा जाता है। जगन्नाथ जी के प्रसाद को महाप्रसाद माना जाता है। इन दिनों विशेष रूप से नारियल, लाई, गजामूंग और मालपुए का प्रसाद मिलता है। फिर दिन पूरे होने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने घर यानी कि जगन्नाथ मंदिर वापस चले जाते हैं।