अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव 1 मार्च 2017 को होगा जो 7 मार्च तक
अन्तर्राष्ट्रीय योग महापर्व विश्व की अनेक संस्कृतियों के मिलन का केन्द्र
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड एवं गढ़वाल मण्डल विकास निगम द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 29 वें वार्षिक विश्व विख्यात अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का शुभारम्भ 1 मार्च 2017 को होगा जो 7 मार्च तक चलेगा। इस विश्व विख्यात कार्यक्रम की मेजबानी परमार्थ निकेतन द्वारा सन 1999 से निरन्तर की जा रही है। इस महोत्सव नेे विश्व स्तर पर अपनी एक विशिष्ट पहचान स्थापित की है तथा वर्ष प्रतिवर्ष पूरी दुनिया में इसका व्यापक प्रसार हो रहा है। इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में विश्व के विभिन्न देशों से 70 अधिक पूज्य संत एवं योगाचार्य सम्मिलित हो रहे है तथा इस अन्तर्राष्ट्रीय योगपर्व में सम्पूर्ण विश्व के लगभग 100 देशों के 1200 से अधिक प्रतिभागी सहभाग कर रहे हैैं।
योग की कक्षायें प्रात: 4 बजे से रात 9:30 बजे तक सम्पन्न होंगी जिसमें प्रमुख रूप से अष्टांग योग, आयंगर योग, विन्यास योग, कुण्डलिनी योग, जीवमुक्ति योग, सिन्तोह योग, सोमैटिक योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, भरत योग, गंगा योग, लीला योग, डीप योग आदि एक सन्ताह तक प्रस्तुत किये जाने वाले 150 योगों के मुख्य प्रारूप हैं। इसके अतिरिक्त ध्यान, मुद्रा, संस्कृतवाचन, आयुर्वेद, रेकी एवं भारतीय दर्शन की भी कक्षायें सम्पन्न होंगी। देश-विदेश से आये हुये आध्यात्मिक महापुरूषों एवं धर्मगुरूओं द्वारा धार्मिक सवांद एवं प्रश्नोारी का भी विशेष आयोजन इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में किया जायेगा।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का शुभारम्भ आज 1 मार्च 2017 को उाराखण्ड के राज्यपाल कृष्ण कांत पाल, स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज, पूज्य ड्रिकुगं काबगोन चेतसंगजी, प्रेम बाबा, शंकराचार्य दिव्यानन्द तीर्थ व योगाचाय दीप प्रज्जवलित कर करेंगे। 2 मार्च को भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी विडियों कान्फै्रन्स के द्वारा दोपहर 12:00 बजे सभी को सम्बोधित करेंगे। 6 मार्च को सूफी गायक कैलाश खेर के आने की भी सम्भावना है तथा 7 मार्च को शिवमणि अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। साथ ही प्रतिदिन विभिन्न देशों से आये कलाकार अपनी विशेष प्रस्तुति देंगे।
इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा उत्तराखण्ड योग की जन्मभूमि है। योग के द्वारा निरोग काया के साथ, आत्मबल, आत्मिक शान्ति और वसुधैव कुटुम्बकम की भावना का भी विकास होता है। योग चिकित्सा पद्घति नहीं जीवन पद्घति हैं।
अन्तरराष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशिका साध्वी भगवती सरस्वती जी कहा, अन्तर्राष्ट्रीय योग महापर्व विश्व की अनेक संस्कृतियों के मिलन के केन्द्र है। उन्होने कहा इस महोत्सव में माँ गंगा की कृपा एवं पूज्य संतो का आशीर्वाद हम पर बरसता रहेगा जो हमें और दिव्यता एवं पवित्र बनायेगा।