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भारत की चीन को आर्थिक, कूटनीतिक और सामरिक मोर्चे पर घेरने की व्यापक तैयारी

आर्थिक मोर्चे पर चीन को घेरने की हो रही शुरुआत
शीर्ष स्तर पर आधिकारिक वार्ता से अब परहेज करेगा भारत
भारत की दो टूक : चीन अपनी सीमा न लांघे
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
हालात के मुताबिक हर कार्रवाई को तैयार
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत सीमा पर शांतिपूर्ण और स्थिर माहौल का हिमायती है। हम बातचीत के जरिए मतभेदों को सुलझाने के पक्षधर हैं। दोनों देश छह जून को बनी सहमति पर आगे बढ़ने पर सहमत हैं।
हालांकि जैसा प्रधानमंत्री ने बुधवार को कहा था कि हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए हम हालात के मुताबिक हर तरह की कार्रवाई के लिए तैयार रहते हैं।
देहरादून : गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद चीन को कूटनीतिक, आर्थिक और सामरिक क्षेत्र में चौतरफा घेरने की रणनीति बनाई जा रही है।
गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत हांगकांग और ताइवान के मुद्दे पर चीन की कूटनीतिक घेरेबंदी को तेज कर सकता है। वियतनाम से रिश्तों पर ज्यादा फोकस के अलावा क्वाड जैसे मंचों के बहाने घेरेबंदी भी चीन को पहले से ज्यादा परेशान कर सकती है। जानकारों का कहना है कि भारत ने कोविड संकट के बीच अपनी विश्वसनीयता का दायरा बढ़ाया है, जबकि चीन वैश्विक मंचों पर घिरा हुआ नजर आ रहा है। ऐसे में अगर चीन भारत के साथ विश्वासघात जारी रखता है, तो भारत को भी ‘वन चाइना पॉलिसी’ पर अपना दृष्टिकोण नए तरीक़े से तय करना चाहिए।
सूत्रों ने कहा भारत ने ताइवान के मसले पर पहले की तुलना में अब अलग रुख अपनाया है। भारत ने अमेरिका साथ ताइवान को समर्थन के मुद्दे पर बैठक में हिस्सा लिया था। ताइवान के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में भारत आधिकारिक रूप से तो शामिल नहीं हुआ, लेकिन सत्ताधारी दल के दो सांसद वर्चुअल तरीक़े से समारोह में शामिल हुए थे। चीन ने इसपर अपना ऐतराज भी जताया था। जानकारों का कहना है कि हांगकांग के मुद्दे पर भी भारत को कुछ ऐसे संदेश देने पड़ेंगे, जिससे चीन को साफ संदेश जाए कि वह अगर भारत की संप्रभुता से छेड़छाड़ करेगा, तो उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
सूत्रों ने कहा कि भारत ने बीते दिनों में ताइवान की मदद के मुद्दे पर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, वियतनाम जैसे देशों से बात की थी। हालांकि ये बातचीत तब हुई थी जब अमेरिका ने ताइवान को पर्यवेक्षक देश के रूप में डब्लूएचओ में शामिल करने की मुहिम चलाई थी। चीन ने इसपर अपना विरोध जताया था। उसने कहा था ‘वन-चाइना’ सिद्धांत की अनदेखी किसी को नहीं करनी चाहिए। हालांकि ताइवान डब्लूएचओ में शामिल नहीं हो पाया।
चीन का जिनसे विवाद वे आ गए भारत के करीब
जानकारों के मुताबिक चीन के साथ विश्व के 14 देशों की सीमाएं लगती हैं और अधिकतर देशों के साथ चीन का सीमा विवाद चल रहा है। भू-सीमा के अलावा चीन के साथ चार देशों जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और फिलीपींस की समुद्री सीमा भी लगती है। इन समुद्री सीमाओं को लेकर भी चीन का विवाद चलता रहता है। भारत का इन देशों से अच्छा रिश्ता है। ये भी चीन को चुभता है।