नए जिलों के गठन को सरकार पर बढ़ा दबाव
देहरादून । राज्य में नए जिलों के गठन को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ गया है। लंबे समय से चली आ रही नए जिलों की मांग को लेकर कांग्रेस के स्थानीय विधायक तो लगातार मुद्दा उठा ही रहे हैं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी खुलकर नए जिलों की पैरवी में उतर आए हैं। भाजपा ने भी पांच वर्ष पूर्व अपनी सरकार के समय घोषित चार नए जिलों को धरातल पर उतारने के लिए सरकार से मांग कर दी है।
प्रदेश सरकार को हालांकि कमिश्नर गढ़वाल की अध्यक्षता में गठित समिति ने चार ही नए जिलों की संस्तुति की, मगर सरकार एक साथ आठ नए जिले बनाने की तैयारी में थी। वह तो गत मार्च में कांग्रेस में हुई बगावत के कारण संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट में नहीं लाया जा सका।
इसके बाद कई अन्य जगहों से नए जिलों की मांग उठने पर स्वयं मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 11 नए जिले बनाने के संकेत दिए। सरकार के समक्ष दिक्कत नए बनने वाले जिलों के सीमांकन की है। होमवर्क केवल चार ही जिलों का हुआ है। अब अगर सरकार केवल चार नए जिलों की घोषणा करती है तो अन्य जगहों पर पार्टी विधायकों व जनता में रोष व्याप्त हो सकता है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भी खुलकर नए जिलों के गठन की बात को जायज ठहराया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने पिछले चुनाव घोषणापत्र में नए जिलों के गठन का वादा किया था, लिहाजा नए जिले तो जरूर बनाए जाएंगे। अगर सरकार नए जिले बनाने की स्थिति में नहीं है तो स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए। हालांकि उन्होंने सरकार और पार्टी की नए जिलों के गठन की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि अभी आचार संहिता लागू होने से पहले कैबिनेट बैठक होनी हैं और उनमें यह प्रस्ताव लाया जा सकता है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट नए जिलों के गठन को लेकर मुख्यमंत्री को 478 वां रिमाइंडर भेज चुके हैं। अजय भट्ट ने मांग की कि सरकार पांच साल पहले भाजपा सरकार के समय घोषित चार जिलों के गठन के शासनादेश को पुनर्जीवित करें। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो इनके अलावा भी अन्य जिलों का गठन कर ले, भाजपा इसमें पूर्ण सहयोग करेगी।