नगर निकायों व गांवों में शरणगृह बनाने को हो रही भूमि की तलाश के निर्देश
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : सरकार देवभूमि में निराश्रित गोवंश को जल्द ही सहारा देने के उद्देश्य से प्रदेश के सभी शहरों के अलावा 25-25 गांवों के समूह में एक-एक गो-सदन अथवा शरणगृह तैयार करने पर विचार कर रही है। एक जानकारी के अनुसार प्रदेश के शहरों में नगर निकाय और गांवों में जिला पंचायतों के जरिये इनका निर्माण किया जायेगा। शासन ने इस सिलसिले में नगर निकायों और जिला पंचायतों को भूमि चयनित कर प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं। उत्तराखंड गो सेवा आयोग ने हाई कोर्ट के आदेशों के क्रम में दोनों विभागों के सचिवों को पत्र भेजकर त्वरित कार्यवाही को कहा था।
गौरतलब हो कि उत्तराखंड के 92 नगर निकायों के साथ ही 7797 ग्राम पंचायतों में निराश्रित गोवंश और आवारा पशुओं को शरण देने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। पूर्व में शहरी क्षेत्रों में कांजी हाउस थे, मगर तमाम स्थानों पर ये या तो बंद हो चुके हैं या फिर इनका संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है। वहीं, ग्राम पंचायतों में ऐसी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में निराश्रित व आवारा गोवंशीय पशुओं को शहरों, गांवों में सड़कों व रास्तों पर विचरण करते देखा जा सकता है। इससे आमजन के साथ ही यातायात के सुचारू संचालन में दिक्कतें पेश आ रही हैं। वहीं दुर्घटनाओं का अंदेशा भी बना रहता है।
गौतरलब है कि वर्ष 2016 और 2018 में हाई कोर्ट ने इस समस्या का संज्ञान लेते हुए राज्य के सभी मार्गाें को आवारा पशुओं से मुक्त रखने के लिए नगर निकायों के अलावा 25-25 गांवों के समूह में गोसदन अथवा शरणगृह बनाने के आदेश दिए थे। बावजूद इसके शरणगृह के निर्माण की मुहिम अभी तक परवान नहीं चढ़ पाई।
उत्तराखंड गो सेवा आयोग ने इस स्थिति पर नाराजगी जताते हुए सचिव शहरी विकास और पंचायतीराज को पत्र भेजा। आयोग के उपाध्यक्ष पं. राजेंद्र अणथ्वाल की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद प्रदेश में किसी भी नगर पंचायत ने निराश्रित गोवंश के लिए एक भी शरणगृह का निर्माण नहीं कराया है।
हाई कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए उन्होंने इस संबंध में तत्काल कार्रवाई के लिए कहा है। आयोग के उपाध्यक्ष पं.अणथ्वाल के मुताबिक, शहरी विकास और पंचायतीराज विभाग के सचिवों ने अवगत कराया है कि सभी नगर निकायों और जिला पंचायतों को शरणगृह के लिए भूमि चयनित कर प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए हैं। प्रस्ताव मिलने पर निराश्रित गोवंश को शरण और उसकी सुरक्षा के मद्देनजर शरणगृहों का निर्माण कराया जाएगा।