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कोविड-19ः नेपाल में लघु और सूक्ष्म उद्यमों में काम कर रहे हर पाँच में तीन लोगों का रोज़गार ख़त्म

कोविड-19: नेपाल में तालाबन्दी से आर्थिक गतिविधियों पर बुरा असर

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

वैश्विक महामारी कोविड-19 और उसके ऐहतियाती उपायों के मद्देनज़र लागू तालाबन्दी और पाबन्दियों से नेपाल में पर्यटन, मनोरंजन और परिवहन सैक्टर पर भारी असर हुआ है, जिससे आर्थिक विकास की संभावनाओं को गहरा झटका लगा है। नेपाल में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा कराए गए एक अध्ययन के मुताबिक लघु और सूक्ष्म उद्यमों में काम कर रहे हर पाँच में तीन लोगों का रोज़गार ख़त्म हो गया है।
यूएन विकास कार्यक्रम ने रैपिड एसेसमेंट ऑफ द सोशल एंड इकोनॉमिक इम्पेक्ट्स ऑफ कोविड-19 ऑन द वलनेरैबल ग्रुप इन नेपाल नामक रिपोर्ट को तैयार करने की ज़िम्मेदारी ‘एकीकृत विकास अध्ययन संस्थान’ को सौंपी थी। 
संयुक्त राष्ट्र समाचार के अनुसार रिपोर्ट में 700 व्यवसायों, 400 व्यक्तियों और 30 से ज़्यादा सार्वजनिक और निजी सेक्टर की संस्थाओं का सर्वेक्षण किया गया। अध्ययन के मुताबिक प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाली रक़म में भी 15 से 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जा सकती है। 
कोरोना वायरस संकट से पहले नेपाल में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था लेकिन अब इसके घटकर 2.5 फ़ीसदी से भी नीचे रहने की संभावना है।
हिमालय की गोद में बसा नेपाल एक भूमिबद्ध (Landlocked) देश है और इसकी अर्थव्यवस्था में पर्यटन का महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण पर्यटन से प्राप्त होने वाले राजस्व में वर्ष 2020 में 60 फ़ीसदी यानि क़रीब 40 करोड़ डॉलर तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है।

महामारी से औपचारिक व अनौपचारिक और मध्यम व सूक्ष्म, दोनों प्रकार के व्यवसायों पर असर हुआ है।सर्वेक्षण के मुताबिक ऐसे उद्यमों में कार्यरत 60 फ़ीसदी से ज़्यादा कामगारों का रोज़गार चला गया है और औसत मासिक आय में भी 95 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। 
व्यवसायों का कहना है कि कोविड-19 से ऐहतियाती उपायों के मद्देनज़र तालाबन्दी और अन्य सख़्त पाबन्दियाँ वो ज़्यादा से ज़्यादा दो महीनों तक ही झेल सकते हैं। 
इस अध्ययन के निष्कर्षों की मदद से संकट से उबरने और पुनर्बहाली के लिए सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों को तैयार करने में मदद मिलने की उम्मीद है। 
विश्व बैंक पहले ही एक चेतावनी जारी कर चुका है कि इस महामारी से सबसे ज़्यादा असर निम्न आय वाले वर्गों पर पड़ेगा, ख़ासतौर पर आतिथ्य सत्कार, खुदरा व्यापार और परिवहन सेक्टर में अनौपचारिक रूप से काम करने वाले कामगारों पर, क्योंकि उनके पास स्वास्थ्य देखभाल या सामाजिक संरक्षा जैसे कवच नहीं है। 
दक्षिण एशिया के देशों में कोविड-19 के कारण आर्थिक व सामाजिक विषमताओं में बढ़ोतरी की आशंका जताई गई है।  नेपाल की कुल तीन करोड़ से ज़्यादा आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए घर से काम करना, ऑनलाइन कक्षाओं में पढ़ना और घर बैठकर रोज़मर्रा की वस्तुओं को मँगाने के लिए ऑनलाइन ऑर्डर देना सम्भव नहीं है। 
सर्वेक्षण में शामिल लोगों ने सरकार की जवाबी कार्रवाई में नक़द सब्सिडी का मिलना सबसे मददगार बताया है। इसके बाद ब्याज़ दरों में सब्सिडी, रियायती दरों पर क़र्ज़, किरायों में छूट और बिल में सब्सिडी का स्थान है।
नेपाल में यूएन विकास कार्यक्रम ने एक आजीविका पुनर्बहाली कार्यक्रम शुरू किया है जिसके ज़रिये सबसे निर्बल लोगों को मदद देने का प्रयास किया जा रहा है। 
इसके पहले चरण में दो हज़ार से ज़्यादा दैनिक मज़दूरी करने वाले और प्रवासी कामगारों को अल्प-अवधि के लिए रोज़गार उपलब्ध कराया जाएगा।  
उनके पास कौशल विकसित करने के लिए प्रशिक्षण लेने और टैक्नॉलॉजी के सहारे की भी सुविधा होगी। इस पहल के ज़रिये दीर्घकालीन रोज़गारों के सृजन के लिए 600 से ज़्यादा सूक्ष्म-उद्यम स्थापित किए जाने का लक्ष्य है। 
इसके अलावा एक हज़ार से ज़्यादा अन्य लोगों को वृक्षारोपण, निर्माण और सामुदायिक स्तर पर बुनियादी ढाँचे जैसे सड़क और नहर निर्माण के तहत काम मिलेगा। 
यूएन एजेंसी पर्यटन और अतिथि-सत्कार सैक्टर में काम का अनुभव रखने वाले पाँच हज़ार से ज़्यादा लोगों के लिए अल्प-अवधि वाले रोज़गार सृजित करने की एक अन्य योजना पर भी काम कर रही है। 
ये गतिविधियाँ यूएन विकास कार्यक्रम की सामाजिक-आर्थिक पुनर्बहाली कार्रवाई का हिस्सा हैं। 
इनके समानान्तर एजेंसी नेपाल में प्रान्तीय और स्थानीय सरकारों को स्वास्थ्य प्रणालियों को दुरुस्त करने में भी हर सम्भव मदद मुहैया करा रही है।
 

devbhoomimedia

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