व्यक्ति से समष्ठि तक, मैं से हम तक, अहं से वयं तक का भाव विस्तार ही योग : नरेन्द्र मोदी
योग करो, रोज करो, मौज करो-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश । प्रधानमन्त्री मोदी ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से परमार्थ निकेतन में चल रहे योग महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा कि सभी संतों, आचार्यों एवं सभी को प्रणाम करते हुये कहा कि मैं अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव से जुडकर प्रसन्नता महसूस कर रहा हूँ । उन्होने कहा कि ऋषिकेश से बेहतर देश में कोई दूसरा स्थान अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव हेतु उपयुक्त नहीं हो सकता। उन्होंने कहा ऋषिकेश एक ऐसा स्थान है जहां संत, महात्मा और सारी दुनिया से योगी योग के लिये माँ गंगा का तट पर आते है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि योग मानव को प्रकृति के करीब लाता है। योग भारत की धरोहर है। योग स्ट्रेस को दूर करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा महान विचारक मैक्समूलर ने कहा था कि भारत ही ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा मस्तिष्क का विकास हो सकता है और मानसिक समस्याओं का समाधान भी वहीं मिलता है। सबसे सफल व्यक्ति जिन्हे आत्म साक्षात्कार हुआ वह भी सब भारत में ही सम्भव हो पाया। उन्होने कहा योग व्यक्तियों को जोड़ने का विधान है; परिवार, समाज, अपने साथी के साथ एकता ही योग है। व्यक्ति से समष्ठि तक, मैं से हम तक, अहं से वयं तक का भाव विस्तार ही योग है। यह शक्ति आत्मा एवं मन की भावना तक की यात्रा है। योग को मात्र, शरीर को चुस्त रखने तक सीमित रखना उचित नहीं है योग से शान्ति, सान्तवना, संतोष एवं करूणा भी प्राप्त होता है।मोदी ने कहा कि योग से जीवन में शांति और अनुशासन आता है। योग से हम नए युग की शुरुआत करेंगे।
उन्होने कहा विश्व आज दो मुख्य समस्याओं का सामना कर रहा हैं आंतकवाद एवं जलवायु परिवर्तन। इसके लिये दुनिया भारत की ओर और योग की ओर शाश्वत समाधान पाने के लिये देख रही है। उन्होने पूज्य स्वामी के प्रयासों से निर्मित हिन्दु धर्म विश्वकोश को विश्व की अमूल्य धरोहर और विश्व की बड़ी उपलब्धि बताया और कहा जब इसका अनुवाद विश्व की दूसरी भाषाओं में होगा तो देश में जागरूकता का व्यापक प्रसार होगा। संस्कृति के प्रति समझ व सहयोग बढ़ेगा।इस दौरान पीएम मोदी ने देश के वैज्ञानिकों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि योगियों की तरह ही हमारे देश के वैज्ञानिक भी साधक हैं।
उन्होंने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के निर्देशन एवं संरक्षण में परमार्थ निकेतन द्वारा किये जा रहे स्वच्छता, जल एवं नदी संरक्षण तथा हरितिमा संवर्धन को कार्यो की भी उन्होने प्रसंशा की और कहा कि सारी दुनिया के लोगों को योग से जोड़ने का कार्य भी परमार्थ निकेतन ने किया है पूज्य स्वामी जी ने लोगों के जीवन में योग को उतारा है यह सामान्य बात नहीं है।
इस अवसर पर पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा, ’हम आशा करते है कि आगामी अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में माननीय नरेन्द्र मोदी जी स्वयं हमारे साथ होंगे। उन्होने प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देते हुये कहा कि यह उनके ही प्रयासों का प्रतिफल है कि आज योग विश्व में अधिकारिक रूप से अपनाया है। उन्होने सभी से आहृवान किया योग करो, रोज करो, मौज करो।
पत्रकारों से वार्ता करते हुये कहा कि देश के ऊर्जावान प्रधानमंत्री जी ने अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के माध्यम से विश्व केे सभी लोगों को एक संदेश दिया कि योग शान्ति का प्रतीक है; योग एकता का प्रतीक है; योग दिलों को जोड़ता है; योग सब को जोड़ता है और अब समय आ गया है आतंकवाद नहीं आध्यात्मवाद ही शान्ति का मार्ग है और योग उसके लिये सबसे बेहतर रास्ता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से विडियो कन्फ्रेन्स के माध्यम से रूबरू होने के पश्चात परमार्थ गंगा घाट योगी-मोदी, आई लव मोदी को नारों से गुंजायमान होने लगा। प्रतिभागी अपने हाथों में रूद्राक्ष के पौधें लेकर उन्हेे भेंट करने के लिये उत्सुक हो उठे।
गुरुवार प्रातः काल की शुरूआत कैलिफोर्निया, अमेरिका से आये गुरूशब्द सिंह खालसा द्वारा कुण्डलिनी साधना का अभ्यास कराया गया। तत्पश्चात संदीप देसाई द्वारा अष्टांग योग, डाॅ इन्दु शर्मा द्वारा पारम्परिक हठ योग आसन एवं सूर्य नमस्कार तथा कनाडा से आयी ग्लेरिया लैथम द्वारा ’आपका अंतःकरण एवं अन्तःकरण की आकांक्षायें’ विषय पर कुण्डलिनी योग की कक्षा सम्पन्न हुुयी।
अल्पाहार के पश्चात कैलिफोर्निया, अमेरिका की गुरूमुख कौर खालसा द्वारा कुण्डलिनी योगासन की कक्षायें सम्पन्न की गयी। तुर्की के मर्ट गूलर ने सूफी ध्यान का अभ्यास कराया एवं आयरलैण्ड के ब्रियान सिद्धार्थ इंगले ने सोमेटिक चिकित्सा के बारे में जानकारी दी।
कैलिफोर्निया, अमेरिका के प्रसिद्ध योगी टोमी रोजेन ने ’चेतना का विषमयकारी क्षेत्र’ विषय पर चर्चा करते हुये बताया, ’अक्रिय अनुभूतियाँ जीवित दबी रह जाती हैं जो भविष्य में व्यक्ति के स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता के लिये उत्साहवर्धक सिद्ध होती है। कालान्तर में यदि इन्हे अक्रिय अवस्था में ही छोड़ दिया जाता है इस कारण विभिन्न प्रकार के भावनात्मक एवं भौतिक लक्षण प्रकट होने लगते हैं जो व्यक्ति के लिये नुकसानदायक हो सकते हैं यदि उसे उपचार की प्रक्रिया में स्थापित नहीं किया जाता।’
वहीँ आध्यात्मिक संवाद श्रंखला सम्पन्न हुयी जिसमें पर्यावरणविद् लेखिका डाॅ वन्दना शिवा ने ’आध्यात्मिक मितव्ययिता’ विषय पर तथा पूज्य शंकराचार्य स्वामी दिव्यानन्द तीर्थ जी महाराज ने ’चेतना का प्रसार’ विषय पर अपने उद्बोधन व्यक्त किया।
दोपहर के सत्र में, बाली इण्डोनेशिया से आयी डाॅ आण्ड्रिया पेज ने ’गैर-अनुवांशिक प्रभाव’ पर प्रकाश डाला तथा माँ ज्ञान सवेरा ने रेकी का अभ्यास कराया। कैलिफोर्निया, अमेरिका से आयी कीर्तन-मण्डली द्वारा भव्य कीर्तनशाला का आयोजन किया गया। कीर्तन के इस कार्यक्रम में भारतीय संगीत की पारम्परिक गायन शैली का पश्चिम की बहुवाद्य संगीत उपकरणों के साथ सम्मिश्रण देखने को मिला।
दोपहर के बाद के सत्र में , ओडाका योग के संस्थापक रोबर्टी मिलेटी द्वारा शोल्डर ब्लिस, भूतपूर्व राज नायिक एवं कम्बोडिया में भारत के राजदूत चन्द्रमोहन भण्डारी एवं चरतसिंह द्वारा योगमुद्रा के माध्यम से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य लाभ, का अभ्यास कराया गया। जन योग की कक्षा का संचालन ऋषिकेश के आनन्द मेहरोत्रा द्वारा किया गया। कैलिफोर्निया, अमेरिका की क्रिस्टिना ओलसन ने हेवेन बाउण्ड हर्ट की कक्षा में योग का अभ्यास कराया।
गौरतलब हो कि महोत्सव में 93 देशों के एक हजार से अधिक साधक पहुंचे हैं।