विजिलेंस जांच में घिरे डीजीएम भूपेंद्र कुमार पर हाईकोर्ट सख्त, जांच पूरी करने के लिए तीन माह की समय सीमा तय

विजिलेंस जांच में घिरे डीजीएम भूपेंद्र कुमार पर हाईकोर्ट सख्त, जांच पूरी करने के लिए तीन माह की समय सीमा तय
देहरादून। विजिलेंस जांच का सामना कर रहे उत्तराखण्ड परिवहन निगम के उप महाप्रबन्धक भूपेंद्र कुमार एक बार फिर चर्चा में हैं। हाईकोर्ट ने भ्र्ष्टाचार व आय से अधिक संपत्ति के मामले को गम्भीर मानते हुए विजिलेंस जांच की समय सीमा तय कर दी है।
नैनीताल हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी को कहा है कि परिवहन निगम के उप महाप्रबन्धक भूपेंद्र कुमार पर चल रही भ्र्ष्टाचार के आरोपों की जॉच तीन महीने के अंदर पूरी करें।
इसके अलावा हाईकोर्ट ने भूपेंद्र कुमार की ओर से आईएसबीटी दिल्ली में किये गए ट्रांसफर को रद्द करने सम्बन्धी याचिका को भी निरस्त कर दिया है।
हाईकोर्ट की ओर से बीते दो साल से भ्र्ष्टाचार के मामले की विजिलेंस जांच की समय सीमा तय होने से भूपेंद्र कुमार व उनके आकाओं को गहरा झटका लगा है।
दूसरी ओर, राज्य निगम कर्मचारी-अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश ने भूपेंद्र कुमार के आईएसबीटी दिल्ली में हुए ट्रांसफर को निरस्त नहीं करने की मांग की है। इस बाबत गुसाईं ने परिवहन निगम की प्रबन्ध निदेशक को पत्र भी लिखा है। पत्र में कहा गया कि भूपेंद्र कुमार चिकित्सा अवकाश लेकर सचिवालय में घूमते देखे गए हैं।
गौरतलब है कि मई 2023 में राज्य निगम कर्मचारी-अधिकारी महासंघ ने सीएम धामी को भेजे शिकायती पत्र में डीजीएम वित्त भूपेंद्र कुमार पर तथ्यों के साथ भ्र्ष्टाचार के गम्भीर आरोप लगाए थे।
शिकायती पत्र में कहा गया कि निगम में अनुबंधित बस स्वामियों से पारवारिक सदस्यों के बैंक खातों में नगद, ATM व NEFT से लाखों रुपये जमा कराए गए। बरसों से पैसे जमा करवाये जा रहे थे।
पत्र के साथ पारिवारिक सदस्यों के नाम,बैंक खातों का विस्तृत ब्यौरा भी दिया गया। साथ ही रुपए जमा करने वाले वाहन स्वामियों के नाम भी सरकार को उपलब्ध कराए गए।
इतना ही नहीं, निगम के रिटायर व कार्यरत कार्मिकों के भी विभिन्न भुगतान के एवज में नगद रुपए विभिन्न खातों में जमा किये गए। इसके प्रमाणित साक्ष्य भी सीएम को दिए गए।
सीएम धामी के निर्देश के बाद शासन स्तर पर गठित सचिव समिति ने परिवहन निगम के डीजीएम भूपेंद्र कुमार के खिलाफ विजिलेंस जांच की संस्तुति की थी। लेकिन दो साल बाद भी विजिलेंस जांच फाइनल नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।
इधर, नैनीताल हाईकोर्ट ने उप महाप्रबंधक भूपेंद्र कुमार के मसले पर दिए निर्देशों के बाद विजिलेंस जॉच में तेजी आने की उम्मीद बंधी है।
( इस मुद्दे पर परिवहन सचिव /आयुक्त बी के संत से बात करने की कोशिश की गई लेकिन मोबाइल नहीं उठा। इस मुद्दे पर डीजीएम भूपेंद्र कुमार का लिखित पक्ष मिलने पर प्रकाशित किया जाएगा। )
यह हैं भ्र्ष्टाचार के आरोप
अपने पद का दुरुप्रयोग करते हुये अनुबन्धित वाहन स्वामियों से मिलीभगत कर भ्रष्टाचार की धनराशि अपने पारिवारिक सदस्यों के बैंक खाते में जमा कराये जाने।
निगम के सेवानिवृत्त एवं कार्यरत कार्मिको से भी कार्य के बदले धनराशि वसूल किये जाने एवं अपने विभागीय सैलरी/अन्य बैंक खातो में अलग-अलग बार में लाखों रूपयो की धनराशि नगद में जमा कराये जाने के प्रमाणित साक्ष्य।
राज्य निगम कर्मचारी-अधिकारी महासंघ के शिकायती पत्र का अंश
भूपेन्द्र कुमार, उत्तराखण्ड परिवहन निगम, मुख्यालय, यू०सी०एफ० सदन, दीपनगर रोड, विष्णु विहार, अजबपुर कला, देहरादून में वर्तमान में उप-महाप्रबन्धक (वित्त) के पद पर कार्यरत है। भूपेन्द्र कुमार एक बहुत भी भ्रष्ट अधिकारी है उनके द्वारा निगम के कार्मिको से उनके देयको के भुगतान (जैसेः- ग्रेच्यूटी, नगदीकरण, चिकित्सा बिल, वेतन एरियर, ए०सी०पी० एरियर इत्यादि) एवज में पैसो की माँग की जाती है तथा जिनके द्वारा उनकी मॉग के अनुरूप पैसा दे दिया जाता है उनके द्वारा उसका सबसे पहले भुगतान करा दिया जाता है। इसके अतिरिक्त निगम की सेवा से सेवानिवृत्त हो गये कार्मिकों का भी देयक भुगतान कराने के लिये भूपेन्द्र कुमार द्वारा पैसा की भोंग की जाती है तथा जिस सेवानिवृत्त कार्मिके द्वारा उनके मॉग पूरी कर दी जाती है उसको अन्य से पहले भुगतान हो जाता है। इस कार्य के लिये उनके द्वारा निगम के कुछ कार्मिको के साथ एक रैकेट / समूह बनाया गया है जिसके माध्यम से वह उक्त भ्रष्टाचार के पैसे को लेते है।
रीना जोशी प्रबंध निदेशक उत्तराखण्ड परिवहन निगम, मुख्यालय, देहरादून।
विषयः- गंभीर भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने एवं उनके स्थानांतरण आदेश को किसी भी दशा में निरस्त न किए जाने के सम्बन्ध में।
महोदया,
उत्तराखण्ड परिवहन निगम में अनुशासन एवं प्रशासनिक स्वच्छता बनाए रखने हेतु आवश्यक है कि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाए। यह सर्वविदित है कि भूपेंद्र कुमार, उप महाप्रबंधक (वित्त) परिवहन निगम, मुख्यालय के विरुद्ध गंभीर वित्तीय अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मुख्यमत्री के निर्देशो के अनुरूप सर्तकता विभाग द्वारा खुली जांच गतिशील है।
इसके अतिरिक्त उच्च न्यायालय, नैनीताल की संयुक्त खण्डपीठ द्वारा वाद सख्या WPSB 47/2025 में अपने आदेश 05.03.2025 के अन्तर्गत उनके आई०एस०बी०टी० दिल्ली स्थानांतरण को वैध ठहराते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है। बावजूद इसके संबंधित अधिकारी चिकित्सा अवकाश का दुरुपयोग कर अपने स्थानांतरण आदेश को निष्प्रभावी करने का प्रयास कर रहे हैं तथा लगातार चिकित्सा अवकाश पर होने पर भी सचिवालय में घूमते पाये जा रहे है। महासंघ के संज्ञान में आया है कि वह शासन के उच्चाधिकारी से सिफारिश करवा रहे हैं ताकि उन्हें आई०एस०बी०टी० दिल्ली के स्थान पर किसी अन्य सुविधाजनक स्थान में तैनात कराया जा सके
महोदया इस सम्बन्ध में महासंघ स्पष्ट चेतावनी देता है कि भूपेंद्र कुमार के विरुद्ध विजिलेंस जांच पूरी होने तक स्थानांतरण आदेश को किसी भी स्थिति में निरस्त न किया जाए और उनके विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। यदि उनके स्थानांतरण आदेश को शासन स्तर पर प्रभावी सिफारिशों के माध्यम से रद्द किया जाता है तो महासंघ इसे भ्रष्टाचार को खुला संरक्षण देने का संकेत मानेगा।
यह अत्यंत आपत्तिजनक है कि संबंधित अधिकारी अपने शासन स्तर के उच्चाधिकारियों से अच्छे एवं पारिवारिक संबंधों का खुलेआम हवाला देते हुए यह दावा कर रहे हैं कि उनका कुछ नहीं होगा और कोई उनका कुछ नहीं कर सकता। महोदया यदि ऐसा किसी भी स्तर पर सिद्ध होता है तो यह न केवल निगम की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाएगा, बल्कि इससे निगम के अन्य कर्मियों में भी अनुशासनहीनता को बढ़ावा मिलेगा।
महासंघ इस विषय को अतिशीघ्र मुख्यमंत्री के समक्ष भी प्रस्तुत करेगा। साथ ही महासंघ न केवल भ्रष्ट अधिकारी के विरुद्ध, बल्कि ऐसे भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों के विरुद्ध भी मोर्चा खोलने से पीछे नहीं हटेगा।
अतः आपसे आग्रह है कि अनुशासनहीन, भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारी को किसी भी प्रकार की राहत प्रदान न करें। अन्यथा महासंघ अपने सदस्यों के साथ मिलकर कठोर कदम उठाने के लिए बाध्य होगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी निगम प्रशासन की होगी।