Army chief : तीन कुमाऊं राइफल्स का रहा है गौरवशाली इतिहास
- 100 साल पूरे होने पर आर्मी चीफ ने जारी किया डाक टिकट
- वीर चक्र, शौर्य चक्र, चीफ ऑफ आर्मी सम्मान से सम्मानित होने का भी मिला गौरव
- स्थापना के एक साल के भीतर ही इस रेजिमेंट ने युद्ध में भाग लेकर वीरता का परिचय दिया
पिथौरागढ़ : थल सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने कहा कि तीन कुमाऊं का इतिहास गौरवशाली रहा है और कुमाउंनी जवान हर परिस्थिति में अपना मनोबल बनाए रखते हैं। हर परिस्थिति को अपने अनुकूल बना लेते हैं। इस बात को तृतीय कुमाऊं रायफल्स ने हर मोर्चे पर साबित भी किया है। आर्मी चीफ रावत ने कहा कि कि भारतीय सेना में तीन कुमाऊं का योगदान सराहनीय रहा है। उन्होंने पूर्व सैनिकों और विधवाओं की पेंशन से जुड़ी दिक्कतों का समाधान तत्परता से करने का भी इस अवसर पर आश्वासन दिया।
भारतीय सेना की कुमाऊं बटालियन जो वर्तमान में तीन कुमाऊं राइफल्स के नाम से जानी जाती है, इस वर्ष अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे कर रही है । सौ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करने आये देश के थल सेना अध्यक्ष बिपिन रावत ने तीन कुमाऊं रायफल्स के सौ साल के इतिहास को गौरवशाली बताया। उन्होंने कुमाऊं रायफल्स के उल्लेखनीय कार्यों का हवाला देते हुए कहा कि अपनी स्थापना के एक साल के भीतर ही इस रेजिमेंट ने युद्ध में भाग लेकर वीरता का परिचय दिया है।
उन्होंने कहा कि इस बटालियन के जवानों ने विभिन्न अभियानों में सफलता के झंडे गाड़ कर अपने पराक्रम को दिखाते हुए 58 आतंकवादियो को मार गिराया। साथ ही वीर चक्र, शौर्य चक्र, चीफ ऑफ आर्मी सम्मान से सम्मानित होने का गौरव पाया है। उन्होंने रायफल्स के पूर्व सैनिकों, वीर नारियों की समस्याओं के समाधान की कोशिश करने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र दुर्गम और दूरस्थ है। इस समारोह में पूर्व सैनिक,वीरांगनाएं और उनके आश्रित भाग ले रहे हैं। इस मौके पर थल सेना अध्यक्ष बिपिन रावत ने तीन कुमाऊं के 100 साल पूरे होने पर डाक टिकट जारी किया। ।
उल्लेखनीय है कि 23 अक्तूबर 1917 को अल्मोड़ा के सितोली गांव में तीन कुमाऊं राइफल्स की स्थापना हुई थी। यह सर्वविदित है कि तीन कुमाऊं के जवानों ने दो विश्व युद्ध के साथ पाकिस्तान और चीन के खिलाफ युद्ध में अपना पराक्रम दिखाया। तीन कुमाऊं को युद्ध में पराक्रम दिखाने पर आजादी से पहले 28 पदक और आजादी के बाद अब तक 166 पदक मिले हैं। कुमाऊं रेजीमेंट का गौरवशाली इतिहास इससे से समझा जा सकता है कि इस रेजीमेंट के वीर सपूत को देश का पहला परमवीर चक्र मिला था। वहीं इस रेजीमेंट ने देश को तीन सेनाध्यक्ष दिए हैं।