UTTARAKHAND

ईको सेंसिटिव जोन के विस्तार को लेकर जन सुनवाई में जमकर हुआ हंगामा

जन प्रतिनिधियों और ग्रामीणों कहा, ईको सेंसिटिव जोन विस्तार विकास में है बाधा

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

इको सेंसिटिव जोन घोषित करने का पहले भी हुआ था विरोध 

राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क से सटे रायवाला के कुछ क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने के लिए बुलाई जन सुनवाई बैठक में हंगामा हो गया। बैठक में ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया और वार्ता का बहिष्कार कर दिया। राजाजी टाइगर रिजर्व की ओर से इको सेंसिटिव जोन को लेकर निदेशक की ओर से पत्र भेजकर जंगल सीमा से सटे तीन गांवों को जन सुनवाई में अपना पक्ष रखने के लिए बुुलाया गया था। इस दौरान भारी संख्या में ग्रामीण रेंज कार्यालय पहुंचे थे। हरिपुरकलां, रायवाला और खांडगांव के ग्रामीणों को वार्डन अजय कुमार की ओर से बिंदू वार इको सेंसिटिव जोन की परिधि में पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी दी गई। वार्डन अजय कुमार ने बताया कि इको सिस्टम को बिगड़ने से रोकने के लिए जोन की परिधि में तीन प्रकार के नियम लागू होंगे। इसमें पहला नियम इको सिस्टम को खराब होने की दशा में पूरी तरह रोक लगाना होगा, दूसरा प्रदूषण नियंत्रित करने और तीसरा किसी भी काम के लिए स्वीकृत लेनी होगी। नियमों को सुनते ही ग्रामीणों ने विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया।

ऋषिकेश : राजाजी टाइगर रिजर्व की गौहरी रेंज से सटे गांवों में ईको सेंसिटिव जोन के विस्तार को लेकर आयोजित बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई। ग्रामीणों ने ईको सेंसिटिव जोन को क्षेत्र के विकास में बाधा बताते हुए जन सुनवाई से पहले ही विरोध कर दिया। जिसके बाद अधिकारी बैठक छोड़कर चले गए।

गीता भवन नंबर छह के सभागार में राजाजी टाइगर रिजर्व की गौहरी रेंज से सटे गांवों सिमलडण्डी, खैरगई, मौन, गुदानू, शंकराचार्य आश्रम, स्वर्गाश्रम, गोहरी घाट, जौंक, लक्ष्मणझूला, खरगोसा, भौन, कुठार, नीलकंठ, तौली, पुंडरासू, भादसी, मराल, सिमलखेत, रत्तापानी, करौंदी, मालासेरा, सिरासू, कोटा, धोतियां धूनार गांव, फूलचट्टी, पटना, हलदोगी आदि गांवों के जन प्रतिनिधि व नागरिकों के साथ राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने बैठक रखी थी। जैसे ही अधिकारी पहुंचे ग्रामीणों ने सभा स्थल के बाहर ही हंगामा शुरू कर दिया।

ग्रामीणों का कहना था कि राजाजी टाइगर रिजर्व ने जन सुनवाई के लिए ऐसा वक्त चुना जबकि पंचायतों के अधिकार सीज हैं। ग्रामीण इस बात से भी नाराज थे कि 31 अगस्त के बजाय 30 अगस्त को ही बैठक क्यों बुलाई गई। रातों-रात बैठक का स्थान परिवर्तन करने व राजाजी पार्क के डायरेक्टर की गैर मौजूदगी पर भी ग्रामीणों ने सवाल उठाए।

ईको सेंसिटिव जोन के महत्व को बताने के लिए पहुंचे वाइल्डलाइफ वार्डन अजय शर्मा ने लोगों को शांत कराने की कोशिश की, मगर ग्रामीणों ने एक न सुनी। ग्रामीण नारेबाजी करते हुए सभागार में घुस गए और माइक व कुर्सियां उछालनी शुरू कर दी। कुछ महिलाओं ने पार्क के अधिकारियों की ओर चूड़ियां भी उछाल दी। काफी देर तक चले हंगामे के बाद वन विभाग के अधिकारी यहां से चले गए। कुछ जन प्रतिनिधियों तथा नागरिकों ने अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपे। ग्रामीणों ने अलग-अलग न्याय पंचायतों में जन सुनवाई करने का सुझाव भी दिया।

जन सुनवाई के लिए वन क्षेत्रधिकारी डीपी उनियाल, वन दरोगा रमेश कोठियाल, अली हसन राजाजी पार्क की ओर से सुनवाई के लिए पहुंचे थे। वहीं विरोध करने वालों में निवर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष माधव अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष शकुंतला राजपूत, निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य मीरा रतूड़ी, डॉ. शक्तिशैल कपरुवान, विक्रम रौथाण, मनोज द्विवेदी, सीपी लखेड़ा, गजेंद्र बिष्ट, प्रदीप राणा, यशपाल असवाल, देवेंद्र राणा, क्रांति कपरुवान, दिनेश भट्ट, प्यारे लाल जुगलान, गुरुपाल बत्र, भरत लाल, गोपाल अग्रवाल, हरीश कंडवाल, शोभाराम रतूड़ी, वचन बिष्ट, हरेंद्र पयाल, धनवीर बिष्ट आदि शामिल थे।

विधायक की उपस्थिति ने पार्क अधिकारियों ने रखा अपना पक्ष

राजाजी पार्क में इको सेंसिटिव जोन के विस्तार के लिए आयोजित बैठक हंगामें के बाद बेनतीजा रही। वन अधिकारी बैठक छोड़कर चौरासी कुटी में चले गए। कुछ देर बाद क्षेत्रीय विधायक रितु खंडूरी यहां पहुंची। जिसके बाद चौरासी कुटी के सभागार में विधायक की उपस्थिति में राजाजी पार्क के अधिकारियों ने लोगों को इको सेंसिटिव जोन की जानकारी दी।

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