Uttarakhand

60 सालों के अध्ययन के बाद गौमुख को लेकर हुआ चौंकाने वाला खुलासा

गोमुख ग्लेशियर न केवल लंबाई बल्कि चौडाई में भी सिकुड रहा

 

उत्तरकाशी : हिमालय में हो रहे पर्यावरणीय बदलाव को हिमालयी फोटोग्राफर के नाम से विख्यात स्वामी सुंदरानंद ने 60 वर्षो तक अपने कैमरे में कैद क‌िया। लेक‌िन अब जाकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। गंगोत्री ग्लेशियर के गोमुख वाले हिस्से के ऊपर पीछे की ओर वर्षो से जमा होते मलबे का ढेर और छोटी छोटी ग्लेशियर लेक गंगोत्री के अस्थित्व के लिए भी खतरा बन सकती है।   यहां ग्लेशियर के कई छोटे हिस्से तेजी से बर्फ विहीन होने से और जमीन का वानस्पतिक आवरण नष्ट हो रहा है। जानकार इस स्थिति को ग्लोबलवार्मिग के साथ ही वीभत्स ढंग से मानवीय हस्तक्षेप को भी एक कारण मानते हैं । वहीँ बीती रविवार को दरकी  पहाड़ी व ग्लेशियर के खतरे को देखकर लोग एक किमी दूर से ही अब गंगा के उद्गम गोमुख को देख पा रहे हैं।

गंगोत्री हिमालय में हो रहे पर्यावरणीय बदलाव को 60 वर्षो तक अपने कैमरे में कैद करने वाले स्वामी सुंदरानंद कहते है कि गोमुख की हर साल शक्ल बदल रही है। पीछे रुद्रगैरा, केदार, बामक, संतोपंथ, सुरालय, सीता, कालिंदी, सखा, नीलाबंर आदि गंगोत्री ग्लेशियर के बड़े हिस्से बर्फ विहीन हो चुके हैं। पर्दे में बहने वाले गोमुख वाले हिस्से में पानी पीछे की ओर कई जगह बे पर्दा होकर बहने लगा है। 

उनका कहना है कि ग्लेशियर न केवल लंबाई बल्कि चौडाई में भी सिकुड रहा है। यदि गोमुख में ग्लेशियर का बडा हिस्सा टूटा तो अपस्ट्रीम में मलबे के देर से पटी भागीरथी का बहाव बदलने से गंगोत्री के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

वहीँ गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक श्रवण कुमार की ग्लेशियर के नुकसान के लिए ग्लोबलबर्मिग के अलावा मानवीय हस्तक्षेप भी मानते है। उन्होंने कहा कि इसके लिए गोमुख से पांच किमी पीछे भोजवासा में भागीरथी पर पुलिया लगा कर पर्यटक तथा पर्वतारोहियों को बांये किनारे से तपोवन, नंदनवन जाने का रास्ता बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहे है। गंगोत्री से भी तपोवन के लिए बांये किनारे से ट्रेक रुट है।      

इधर वर्षो से भोजवासा क्षेत्र में वनीकरण कार्य कर रही पर्यावरण विद डा. हर्षवंती बिष्ट का कहना है कि वे इस क्षेत्र के लुप्त हो रहे वानस्पति आवरण को बचाने के लिए भोज पत्र भांगिल पहाड़ी पीपल तथा ठेलू आदि स्थानीय वनस्पतियों का वनीकरण कर रही है। किंतु विभाग और पर्यावरण के लिए चलाई जा रही किसी योजना से उन्हें कभी कोई सहयोग नहीं मिला है। 

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »