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प्रेमनगर से बलपूर्वक हटाया गया अतिक्रमण
- भीड़ को तितर-बितर करने को किया लाठीचार्ज
- एमडीडीए का भ्रष्टाचार आया खुलकर सामने
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । प्रेमनगर में अवैध दुकान ढहाने के दौरान हंगामा मच गया। अतिक्रमण ढहाने गई टीम भारी विरोध का सामना करना पड़ा। गुस्साए दुकानदार धरने पर बैठ गए। मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज तक करना पड़ा।
प्रेमनगर बाजार के अतिक्रमण पर शुक्रवार से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू हो गई। 15 मिनट की कार्रवाई में प्रेमनगर का अतिक्रमण मलबे में तब्दील हो गया। इस दौरान निशान से ज्यादा हिस्सा तोड़ने पर व्यापारियों ने एसडीएम से नोकझोंक भी की। इसके बाद वे धरने पर बैठ गए। पुलिस ने पहले उन्हें समझाने का प्रयास किया, न मानने पर पुलिस को बल का प्रयोग करना पड़ा। लाठीचार्ज के बाद भीड़ को वहां से हटाया गया। अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत टास्क फोर्स ने प्रेमनगर मुख्य बाजार से लेकर नंदा की चौकी तक 155 से ज्यादा बड़े अतिक्रमण चिह्नित किए हैं।
अतिक्रमण की जद में पांच से आठ मीटर तक दुकानें और मकान आने के चलते व्यापारियों और लोगों ने इसका विरोध भी किया। राजनीतिक मुद्दा बनने पर भाजपा के विधायक एकजुट होकर अतिक्रमण के विरोध में खड़े हो गए। इस बीच सरकार मलिन बस्तियों पर अध्यादेश तो लाई, लेकिन प्रेमनगर को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की। जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन ने बताया कि शुक्रवार को सुबह सात बजे से यहां अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई थी।
- हम अवैध हैं तो हमारा नक्शा पास क्यों किया: व्यापारी
एमडीडीए का गठन देहरादून के सुनियोजित विकास के लिए हुआ था। किन्तु उसके उलट एमडीडीए में व्याप्त भ्रष्टाचार के देहरादून की शक्ल की बदल डाली। जहां तहा शहरभर मंे अवैध कब्जे करा दिए गए। इतना ही नही एमडीडीए की मिलीभगत से लोगों की जमीनों को खुलेआम खुर्द-बुर्द भी किये जाने का काम किया जा रहा है।
एमडीडीए के कार्मिकों ने दलालों के साथ मिलकर लोगों की जमीनों पर खुलेआम कब्जे करा रहे है। जिससे आम आदमी का जीना मुहाल हो गया है। आज के समय में एमडीडीए की भ्रष्टाचारी कार्यशैली के कारण खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण हाथीबड़कला क्षेत्र में देखने को मिला। यहां शिकायत के बावजूद एमडीडीए ने 38 हाथीबड़कला निवासी विजय प्रकाश पर तब तक कोई कार्यवाही नही की जब तक उसने अपने पड़ोसी 39 हाथीबड़कला निवासी महेश कोहली व अनिल कोहली का रास्ता रोक कर उसपर अवैध निर्माण नही कर लिया। इससे पीडित पक्ष का बिजली पानी व मुख्य रास्ता तक समाप्त कर दिया गया।
इतना ही नही शिकायत करने के बाद भी एमडीडीए ने पूरी तरह से अवैध कब्जेदार विजय प्रकाश व सत्य प्रकाश का पक्ष लिया। बिना कागज व प्रमाण के विजय प्रकाश एमडीडीए के महेश कोहली व अनिल कोहली को दो वर्षो तक चक्कर कटाते रहा। एमडीडीए में सुनवाई कर रही तत्कालीन संयुक्त सचिव मीनाक्षी पटवाल पीड़ित पक्ष को दो सालों तक बेकार मे चक्कर कटाते रही। साथ ही उन्हे केस वापस लेने का दबाव लगातार एमडीडीए बनाता रहा। वो किसी भी दशा में पीड़ित पक्ष को सुनने के लिए तैयार नही थी। बाद में यह मामला उच्चाधिकारियो ंकी संज्ञान में आया।
उच्च अधिकारियों के हस्ताक्षेप के बाद दो साल बाद एमडीडीए को उस अवैध निर्माण को तोड़ने के आदेश तो देने पड़े किन्तु इस मामले में भी एमडीडीए ने अपने आदेश गोलमोल दिए। जबकि विजय प्रकाश के महेश कोहली व अनिल कोहली की जमीन का फ्रंट कब्जाया गया। जिससे कि वे यह जमीन छोड़कर भाग खड़े हो। उसके बाद भी एमडीडीए के कर्मचारी विजय प्रकाश को राय देते रहे। मामला कमीश्नर कोर्ट में पहंचंकर भी महेश कोहली व अनिल कोहली के पक्ष में पूरी तरह से नही हो सका।
विजय प्रकाश जमीन के बगैर कागज के पिछले दो साल से कमीश्नर कोर्ट में तारीख पर तारीख ले रहा है। सूत्रों के अनुसार एमडीडीए से कमीश्नर कोर्ट तक दलालों की एक लाबी काम कर रही है। जिसके चलते इन दोनों जगहों से भ्रष्टाचार को समाप्त करना चुनौती बना हुआ है। जिसके चलते आज भी 39 हाथीबड़कला निवासी महेश कोहली व अनिल कोहली का परिवार इंसाफ के लिए राह तक रहा है। उनकी किसी भी स्तर पर कोई सुनवाई नही हो रही है। खुद एमडीडीए के कार्यकर्ता उन्हे अपनी जमीन बेचने का दबाव बना रहे है। एक ओर जहां दून को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद जारी है। ऐसे में एमडीडीए की कार्यप्रणाली को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वे अपने फायदे के लिए शहरवासियो के हितों को बाजार में बेच सकते है।
इधर प्रेमनगर बाजार में अतिक्रमण हटाने के लिए शुक्रवार को ‘महाअभियान’ चलाया गया। सुबह करीब आठ बजे यहां बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ शुरू हो गई। जिसके विरोध में व्यवसायी धरने पर बैठ गए। उन्होंने पक्षपात का आरोप लगाया। व्यापारियों ने कहा कि पहले अवैध अतिक्रमण हटाओ, फिर हम खुद अपनी दुकानें तोड़ेंगे। अगर हमारी दुकानें अवैध हैं तो नक्शा पास क्यों किया गया? प्रशासन ने अवैध काम क्यों किया? व्यापारियों ने अधिकारियों को बुलाने की बात भी कही। इस दौरान एक व्यापारी ने आत्मदाह की धमकी भी दे डाली। लेकिन उसके बाद वह खुद ही अपना शो रूम तोड़ने में लग गया। गुस्साए लोगों ने टीम से नोक-झोंक कर दी। जिसके बाद लोगों को खदेड़ने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। एक व्यापारी ने तो एसपी सिटी प्रदीप कुमार राय से अभद्रता तक कर दी। व्यापारी ने उनका कॉलर पकड़ दिया।