UTTARAKHAND

त्रिवेंद्र सरकार की आबकारी नीति काटेगी शराब माफिया के पर

आबकारी नीति के सहारे भ्रष्टाचार पर करारा वार

सरकार ने बार लाइसेंस की प्रक्रिया को किया आसान

भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे सभी चैनलों को किया बंद 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने आबकारी नीति में बदलाव करके शराब के धंधे में अब तक चल रहे भ्रष्टाचार का खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। शराब के दाम में लगभग 20 फीसदी तक कमी होने से तस्करी पर रोक लगने के साथ ही राजस्व में भी भारी इजाफा होगा। वहीं शराब पर आबकारी विभाग और निदेशालय स्तर के हस्तक्षेप को काफी हद तक कम करके प्रक्रियाओं को सरल तथा पारदर्शी बनाया गया है। बार के लाइसेंस की प्रक्रिया को सरल करते हुए उन तमाम चैनलों को बंद कर दिया, जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे थे। प्रदेश सरकार की इस व्यवस्था को भ्रष्टाचार के विरुद्ध बड़ा कदम माना जा रहा है। 

भारी मात्रा में शराब तस्करी की घटनाओं पर लगेगी रोक : पहले तो उन कारणों पर चर्चा करते हैं, जिनकी वजह से सरकार को शराब के दाम में कमी करनी पड़ी। पहली वजह, राज्य में नजदीकी राज्यों से शराब की तस्करी और माफिया का नेटवर्क है। नजदीकी राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, हिमाचल राज्यों से राज्य में भारी मात्रा में शराब तस्करी की घटनाएं आए दिन सामने आती रही हैं। यह केवल शराब की तस्करी तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि राज्य में भ्रष्टाचार की जड़ों को भी मजबूत कर रहा था। राज्यभर में शराब तस्करी का धंधा संगठित गिरोह के रूप में होने से राजस्व पर भारी नुकसान उठाना पड़ा।

नई व्यवस्था लागू होने से अवैध और नकली शराब बिक्री नहीं हो सकेगी और तस्करी का किस्सा ही खत्म हो जाएगा। बाहरी  राज्यों से शराब की तस्करी पर रोक लगने से उत्तराखंड के शराब के ठेकों पर बिक्री में वृद्धि होगी, जिसे सीधे तौर पर राजस्व में बढ़ोतरी के रूप में देखा जा सकता है। सरकारी स्तर पर इस बात की पूरी संभावना जताई जा रही है कि नई आबकारी व्यवस्था राज्य के हित में कारगर साबित होगी। 

कच्ची व अवैध शराब से होगा पियक्क्ड़ों का मोह भंग : वहीं, राज्यभर में सरकार के इस फैसले को सही करार दिया जा रहा है। राज्य में देशी मदिरा के दाम कम होने से अधिकतर लोगों का अवैध रूप से बनने वाली कच्ची व अवैध शराब से मोह भंग हो जाएगा और वो ठेके की शराब खरीदेंगे, जो सुरक्षित है। इससे काफी हद तक अवैध शराब से होने वाली घटनाओं की आशंका खत्म हो जाएगी। 

आबकारी विभाग के दफ्तरों के चक्कर काटने हुए कम : वहीं सरकार ने बार लाइसेंस की प्रक्रिया को आसान करके हुए आवेदकों को राहत देने के साथ उन सभी चैनलों को बंद कर दिया, जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे थे। बार के लाइसेंस के लिए आवेदकों को जिला मुख्यालय, आबकारी निदेशालय, आबकारी विभाग के दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे थे, वो काम अब जिलाधिकारी स्तर से हो जाएगा। वहीं बार के लाइसेंस के लिए अब लाखों खर्च नहीं करने पड़ेंगे और समय की भी बचत होगी। 

तस्करी पर करारा वार ः सरकार ने पड़ोसी राज्यों से तस्करी रोकने के लिए एक और कारगर व्यवस्था की है, जिसके तहत हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल, देहरादून एवं ऊधमसिंह नगर की सीमाओं पर स्थित दुकानें, जो पड़ोसी राज्यों की सीमा से 10 किमी. भीतर स्थित है, को रात्रि 11 बजे तक खोला जा सकता है।राज्य में शराब की दुकानें खुलने का समय सुबह दस से रात्रि दस बजे तक किया गया है, जबकि नगर निगम क्षेत्र में शराब की दुकानें रात्रि 11 बजे तक खोली जा सकती हैं।

ट्रैक एंड ट्रैस सिस्टमः शराब के कारोबार में पारदर्शिता लाने तथा अवैध शराब पर रोक लगाने के लिए ट्रैक एंड ट्रैस सिस्टम व्यवस्थित रूप से लागू करने की तैयारी कर ली गई है। शराब को डिस्टलरी से लेकर दुकान तक ले जाने वाले वाहनों पर जीपीएस/जीआरपीएस लगाने होंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शराब को परिवहन करने वाला वाहन किस समय कहां था। इस तरह डिस्टलरी से लेकर गोदाम और वहां से ठेकों तक शराब की आपूर्ति करने वालों वाहनों का रूट व टाइम डिजीटली रिकार्ड हो सकेगा।

इस व्यवस्था से वाहन अपने रूट से इधर उधर नहीं हो सकेंगे। वहीं अवैध शराब पर रोक लगाने के लिए बोतल पर होलोग्राम लगाए जाएंगे, ये होलोग्राम संबंधित प्रभारी आबकारी अधिकारी के सामने लगाए जाने की व्यवस्था दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि शराब के कारोबार में पारदर्शिता आएगी और अवैध बिक्री पर अंकुश लगेगा।   

devbhoomimedia

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