- अयोग्य व्यक्तियों के नियुक्त होने से शैक्षिक उत्कृष्टता को काफी क्षति
नयी दिल्ली : हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सासंद व सरकारी आश्वासन संसदीय समिति के सभापति तथा पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने आज लोक सभा में प्रश्नकाल के तहत देश के निजी विश्वविद्यालयों में गिरते शिक्षणिक स्तर पर चिंता प्रकट करते हुए वैश्विक प्रतिस्पर्धा के युग में भारतीय विश्वविद्यालयों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने हेतु सरकार के प्रयासों की जानकारी मांगी।
डॉ. निशंक ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री से पूछा कि क्या सरकार ने निजी विश्वविद्यालयों को स्तरीय पाठ्यक्रम बनाने हेतु कोई दिशा-निर्देश जारी किया है। डॉ. निशंक ने यह भी पूछा कि अनुसंधान की उत्कृष्टता हेतु सरकार द्वारा क्या कोई प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा, विभिन्न संकायों का स्तर ऊंचा उठाने हेतु मंत्रालय द्वारा किए जा रहे प्रयत्नों की जानकारी मांगते हुए डॉ. निशंक ने राज्य सरकारों द्वारा स्थापित किए जा रहे विश्वविद्यालयों के लिए गुणवत्ता मानक स्थापित करने की मांग की।
अपने उत्तर में मानव संसाधन मंत्रालय ने बताया कि सरकार देश के विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों की गुणवत्ता का स्तर ऊपर उठाने हेतु प्रयास कर रही है। मंत्रालय ने यह भी अवगत कराया कि निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना संबंधित राज्य सरकार के अधिनियम के द्वारा की जाती है और उन्हें संबंधित अधिनियम के प्रावधानों द्वारा शासित किया जाता है। तथापि, यूजीसी, विनियम, 2003 के अनुसार सभी निजी विश्वविद्यालयों में मानकों को पाठ्यचर्या संरचना, विषयवस्तु, शिक्षण और अधिगम प्रक्रिया, परीक्षा और मूल्यांकन प्रणाली और छात्रों के प्रवेश के लिए पात्रता मानदण्ड सहित प्रथम डिग्री और स्नात्कोत्तर डिग्री/ डिप्लोमा कार्यक्रम से संबंधित सभी प्रासंगिक इन कार्यक्रमों को प्रारम्भ करने से पूर्व यूजीसी द्वारा विश्वविद्यालयवत निर्धारित प्रारूप में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। मंत्रालय ने डॉ. निशंक को यह भी बताया कि निजी प्रबंधित संस्थाओं को भी सामान्यतः निजी विश्वविद्यालयों के रूप में निर्दिष्ट किया जाता है। आगे मंत्रालय ने डॉ0 निशंक को यह भी बताया कि इन संस्थाओं के लिए ज्ञान के क्षेत्र में विकास के दृष्टिगत यूजीसी विनियम, 2016 में प्रत्येक तीन वर्ष में पाठ्यक्रम की समीक्षा का प्रावधान अनिवार्य है।
आगे मानव संसाधन मंत्री ने डॉ. निशंक ने निजी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति, कुलपति एवं शीर्ष प्रबंधन की नियुक्तियों पर प्रश्न उठाते हुए उन्होंने सरकार द्वारा सुयोग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर जोर दिया। डॉ. निशंक ने कहा कि किसी भी संस्थान का नेतृत्व सक्षम होगा तभी वैश्विक प्रतिस्पर्धा के युग में हम अपनी श्रेष्ठता साबित कर सकते हैं । डॉ. निशंक ने बताया कि निजी विश्वविद्यालयों में शीर्ष पदों पर अयोग्य व्यक्तियों के नियुक्त होने से शैक्षिक उत्कृष्टता को काफी क्षति पहुंची है।
डॉ. निशंक ने सरकार द्वारा इस दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी भी मांगी। मंत्रालय ने डॉ. निशंक को बताया कि उपरोक्त वर्णित दोनों संस्थाएं यूजीसी ( विश्वविद्यालय और कॉलेजों में शिक्षकों और अन्य शैक्षिक स्टॉफ की नियुक्ति सहित सभी प्रकार की नियुक्तियों हेतु न्यूनतम अर्हता और निजी विश्वविद्यालयों में मानकों के अनुरक्षण हेतु अन्य उपाय) विनियमन, 2010 द्वारा शासित है जिसके तहत संकाय और अन्य कार्मिकों की न्यूनतम अर्हता का अनुपालन करना अपेक्षित है।
इसके अतिरिक्त डॉ. निशंक ने लोक सभा में नियम 377 के तहत सरकार का ध्यान उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में वन्य जंगली जानवरों के द्वारा किसानों की फसलों को हानि पहुंचाये जाने संबंधी मामला भी सरकार संज्ञान में लाया।