रुद्रप्रयाग। पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विश्व सिद्घ भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से वैदिक मंत्रोच्चारण, देवी-देवताओं के निशाणों, श्रद्घालुओं की जयकारों, महिलाओं के मांगल गीतों व स्थानीय वाद्ययत्रों की मधुर धुनों के साथ अपने मदमहेश्वर धाम के लिये रवाना हो गयी है। डोली आगमन पर श्रद्घालुओं ने जौ, पुष्प-अश्रत्रों से डोली का भव्य स्वागत कर चल विग्रह उत्सव डोली को लाल-पीले वस्त्र अर्पण कर मन्नतें मांगी। 18 मई को द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के छह माह के लिये खोल दिये जाएंगे।
विदित हो कि द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को दो दिन पूर्व शीतकालीन गीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर के गर्भ गृह से सभा मंडप में विराजमान किया गया था तथा स्थानीय श्रद्घालुओं द्वारा दशकों से चली आ रही परम्परानुसार भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्ति को नये अनाज का भोग अर्पण कर विश्व कल्याण व क्षेत्र की खुशहाली की कामना की गयी थी।
मंगलवार को मन्दिर के वेदपाठियों, विद्वान आचार्यो व गांैडार के हक हकूकधारियों ने भगवान मद्महेश्वर की मूर्तियों का अभिषेक कर आरती उतारी तथा चल विग्रह उत्सव मूर्ति को परम्परानुसार चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान कर चल विग्रह उत्सव डोली का फूल मालाओं, जौ की हरियाली व लाल पीले वस्त्रों से विशेष श्रृंगार किया। रॉवल भीमाशंकर लिंग द्वारा मद्महेश्वर धाम के धान पुजारी टी राजशेखर लिंग को पगड़ी पहनाकर छ: माह मद्महेश्वर धाम में पूजा करने का संकल्प दिया गया।
द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली सवा आठ बजे कई देवी-देवताओं के निशाणा, के साथ अपने शीतकालीन गीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर की तीन परिक्रमा कर हिमालय के लिए रवाना हुई। भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली नेे डंगवाडी़, ब्राह्मणखोली, मंगोलचारी, फापंज, मनसूना, बुरुवा, राऊ लैंक, ऊनियाणा यात्रा पड़ावों पर श्रद्घालओं को आशीष दिया और थम रात्रि वास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रांसी पहुंची।
राऊलेक पहुंचने पर विवेकानन्द पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं द्वारा डोली की अगुवाई की गई। 17 मई को द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की डोली रांसी से स्थान कर द्वितीय रात्रि वास के लिए सीमान्त गांव व मद्महेश्वर यात्रा के अहम पडा़व गौंडार गांव पहुंचेगी। 18 मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार गांव सें स्थान कर अपने धाम मद्महेश्वर पहुुंचेगी तथा चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर लग्रानुसार द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट आम श्रद्घालुओं के दर्शनार्थ खोल दिये जायेेंगे।