-वर्ष 2013 की आपदा के बाद से की जा रही है विस्थापन की मांग
-आवासीय भवनों को बना है खतरा, रातभर जागकर सहम रहे हैं ग्रामीण
रुद्रप्रयाग । लगातार हो रही बरसात के कारण सेमी गांव के कई आवासीय भवनों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। आलम यह है कि वर्ष 2013 की त्रासदी के बाद बचे आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त भवन भी अब खतरे की जद में आ गये हैं। जहां एक ओर कई भवनों की पीछे की दीवार गिर चुकी है, वहीं लेंटर में भी बड़े-बड़़े छेद हो गये हैं। प्रभावित परिवारों ने सरकार पर पीड़ित परिवारों की समस्या को नजरअंदाज करने का भी आरोप लगाया है, जबकि आपदा के बाद गांव की दयनीय स्थिति को देखते हुए सरकार ने सेमी गांव के प्रभावित परिवारों को विस्थापित किये जाने को लेकर कई बार आश्वासन भी दिये।
दरअसल, वर्ष 2013 की आपदा में मंदाकिनी नदी के जलस्तर बढ़ने तथा भूस्खलन होने के कारण सेमी गांव के लगभग 12 आवासीय भवन जमींदोज हो गये थे, साथ ही दर्जन भर भवनों में मोटी मोटी दरारें आ गयी थी। तब सरकार ने पीड़ित परिवारों के लिये अन्य सुरक्षित भवनों पर रहने के लिये छः माह का किराया भी दिया था, साथ ही यह भी आश्वस्त किया था, कि सभी औपचारिकतायें पूर्ण करके सेमी गांव को अन्य सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किया जायेगा। पीड़ित इंतजार करते रहे, मगर सरकार की ओर से उन्हें महज कोरे आश्वासनों के सिवा कुछ भी नहीं मिला।
गत दिनों से क्षेत्र में हो रही मूसलाधार बरसात के कारण सेमी गांव के महेन्द्र सिंह, सुरेन्द्र सिंह, दौलत सिंह तथा पवित्रा देवी के आवासीय भवन भी काफी क्षतिग्रस्त हो गये हैं। मंदाकिनी नदी के कटाव तथा गुप्तकाशी जखोली मोटर मार्ग से लगातार गिरते मलबे तथा बोल्डरों के कारण एक बार फिर सेमी गांव के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है। पीड़ितों के आवासीय भवनों की पीछे की दीवार पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गयी है, साथ ही लेंटर, छत तथा चौक में भी मोटी दरार पड़ने के साथ ही अब भारी भरकम गड्डे भी होने लगे हैं।
पीड़ित महेन्द्र बर्त्वाल ने बताया कि गत रात्रि को भूस्खलन होने के कारण उनके भवन के पीछे की दीवार टूट गयी है, साथ ही अन्य कमरों में भी लेंटर में छेद हो गया है। कहा कि रात को ही अन्य ग्रामीणों की सहायता से इन कमरों से सामान को सुरक्षित भवनों में पहुंचाया गया, लेकिन अब बरसात में रात को वे डर के साये में जीवन यापन करने को मजबूर हैं। बरसात के दिन सभी पड़ोसी एक स्थान पर एकत्रित होकर रात भर जागरण कर रहे हैं और दूसरे दिन दोपहर में सो जाते हैं। पूर्व प्रधान कुंवरी देवी का कहना है कि आपदा के बाद उनके आवासीय भवनों में हल्की दरारें जरूर पड़ी थी, मगर कुछ खास नुकसान नहीं हुआ। लेकिन लगातार हो रही बरसात तथा भूस्खलन के कारण आये दिन सेमी गांव में आवासीय भवनों में दरारें पड़ रही हैं, जिस कारण पीड़ित परिवार चैन से सो तक नहीं पा रहे हैं। कहा कि आपदा के चार वर्ष पूर्ण होने के बाद भी सेमी गांव को विस्थापित करने की दिशा में कोई सकारात्मक कार्य नहीं किया जा रहा है, जबकि कई परिवार सुरक्षित ठौर की खोज में पलायन कर चुके हैं। जबकि वर्ष 2013 की आपदा के बाद गांव में पीड़ितों की सुध लेने पहुंचे कई सरकारी नुमांइदों ने गांव को विस्थापित किये जाने के वायदे किये थे, जो अभी तक पूर्ण नहीं हो पाये हैं और प्रतिवर्ष गांव में कई आवासीय भवन खंडहर बनते जा रहे हैं। उन्हांने बताया कि कई पीड़ित परिवारों को अभी तक मुआवजा तक भी नहीं मिल पाया है।
विधायक मनोज रावत ने किया निरीक्षण
रुद्रप्रयाग । केदारनाथ क्षेत्र के विधायक मनोज रावत ने सेमी गांव पहुंचकर पीड़ितों के हाल चाल जाने। विधायक श्री रावत प्रत्येक प्रभावित परिवार से मिले और गांव का धरातलीय निरीक्षण करके सम्बन्धित विभागों को फौरी तौर पर सहायता उपलब्ध कराने के के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि गांव की स्थिति वास्तव में दयनीय है। भारी बरसात तथा भूस्खलन गांव को कभी भी नेस्तानाबूत कर सकता है। ऐसे में शासन और प्रशासन को मुस्तैदी दिखाते हुए गांव को विस्थापित करने की पहल करनी चाहिए। श्री रावत ने कहा कि पीड़ितों को सहयोग पहुंचाने तथा उन्हें सुरक्षित विस्थापित करने के लिए शीघ्र प्रदेश के मुख्यमंत्री से मुलाकात की जायेगी।