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COVID-19 : ओलंपिक के 124 साल के इतिहास में पहली बार टले गेम्स

COVID-19 के संक्रमण के कारण दबाव में थी अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति

ओलंपिक स्थगित होने का स्वागत : आइओए

नई दिल्ली: भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) ने टोक्यो ओलंपिक-2020 के एक साल तक के लिए स्थगित होने का स्वागत किया है। आइओए ने कहा कि हम आइओसी के फैसले का स्वागत करते हैं। इस निर्णय पर पहुंचने से पहले आइओसी ने आयोजनकर्ताओं और सभी शेयरधारकों के साथ चर्चा की थी। जल्द ही लॉकडाउन खत्म होने के बाद हम अपने खिलाड़ियों, खेल महासंघों और अन्य शेयरधारकों के साथ एक बैठक करेंगे और फिर योजनाओं पर फिर से विचार करेंगे।

टोक्यो, एएफपी : जापान के प्रधानमंत्री और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ (आइओसी) मंगलवार को टोक्यो 2020 ओलंपिक गेम्स को एक वर्ष के लिए स्थगित करने के लिए राजी हो गए। यह फैसला दुनियाभर के देशों के कोरोना वायरस से जुझने की वजह से लिया गया है और यह ओलंपिक के 124 साल के इतिहास में पहली बार है कि ओलंपिक गेम्स को स्थगित करना पड़ा है।

जापान के प्रधानमंत्री एबी शिंजो ने कहा कि मैंने आइओसी अध्यक्ष थॉमस बाक के आगे मंगलवार को टेलीफोन पर बातचीत में ओलंपिक को एक साल स्थगित करने का फैसला लिया था, जिसे उन्होंने पूरी तरह से मान लिया। वहीं, यह फैसला टोक्यो शहर के लिए बड़ा झटका हो सकता है क्योंकि आयोजनकर्ताओं ने तय समय से पहले अपनी तैयारियां पूरी कर ली थी। स्टेडियम को भी खूबसूरती के साथ सजाया गया था और टिकट भी बिकने शुरू हो गए थे। ओलंपिक बहिष्कार, आतंकवादी हमले और प्रदर्शनों का गवाह रहा है, लेकिन 1948 से यह प्रत्येक चार वर्ष बाद होता आया है। यह कोरोना की वजह से प्रभावित हुआ दुनिया का बड़ा खेल आयोजन हैं। वायरस की वजह से पूरी दुनिया के सभी खेल इसकी वजह से बंद हैं। हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि अगले वर्ष यह किस समय आयोजित होंगे। इसके अलावा 25 अगस्त से शुरू होने वाले टोक्यो पैरालंपिक गेम्स और टोक्यो में ही 26 मार्च को होने वाले टॉर्च रिले कार्यक्रम को भी टाल दिया गया।

आइओसी पर पिछले कुछ दिनों से ओलंपिक गेम्स को स्थगित करने का दबाव बन रहा था। 24 जुलाई से शुरू होने वाले इस खेल में भाग लेने वाले देश कोरोना से लड़ाई लड़ रहे थे। ट्रेनिंग करना कई एथलीटों के लिए नामुमकिन हो गया और उनके पास घरों में बंद होने का एकमात्र विकल्प था। टूर्नामेंट और क्वालीफायर्स रद हो गए, वहीं दुनिया भर में यात्र भी इस वक्त बंद हो चुकी हैं। रविवार को ही आइओसी ने गेम्स के स्थगन पर फैसला चार सप्ताह के अंदर लेने की बात कही थी, लेकिन कनाडा और ऑस्ट्रेलिया सहित अमेरिकी ओलंपिक संघ, विश्व एथलेटिक्स के तय समय पर ओलंपिक होने पर बहिष्कार की बात कहने पर जुलाई से गेम्स का शुरू होना लगभग नामुमकिन हो गया था।

टोक्यो 2020 के नाम से जाना जाएगा : आइओसी की ओर से कहा गया है कि भले ही यह गेम्स अब अगले साल होंगे, लेकिन यह टोक्यो 2020 के नाम से जाने जाएंगे। आइओसी ने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए और डब्ल्यूएचओ द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आइओसी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री एबी शिंजो इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि 2020 ओलंपिक को स्थगित किया जाए, लेकिन इसे 2021 की गर्मियों से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।

जापान और आइओसी प्रमुख टोक्यो गेम्स को स्थगित करने पर हुए राजी अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन जैसे देशों ने बढ़ाया था दबाव

हजार एथलीटों पर टोक्यो ओलंपिक के स्थगित होने से असर पड़ेगा जो कई वर्षो से अपने-अपने देश के लिए पदक जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे

अरब रुपये टोक्यो ने गेम्स के आयोजन पर खर्च किए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि ओलंपिक स्थगित करने पर उन्हें 457 अरब रुपये का नुकसान होगा। इससे स्पांसर और बड़े ब्रॉडकास्टर को भी नुकसान होगा जो प्रत्येक चार साल में बड़े विज्ञापन रेवेन्यू के बारे में सोचते हैं

पैरा एथलीट भी इन खेलों के टल जाने से प्रभावित होंगे

16 दिन के गेम्स मुश्किल

2021 में 16 दिन के गेम्स को कराना इतना आसान भी नहीं होने वाला है क्योंकि अगले वर्ष विश्व तैराकी और विश्व एथलेटिक्स जैसे बड़े टूर्नामेंट हैं। हालांकि अब यह दोनों टूर्नामेंट अगले साल रोके जा सकते हैं। हालांकि विश्व एथलेटिक्स पहले ही कह चुका है कि अगर ओलंपिक अगले साल होता है तो 6-15 अगस्त 2021 तक होने वाली विश्व चैंपियनशिप को आगे बढ़ाया जा सकता है।

टोक्यो में मंगलवार को पत्रकार वार्ता के दौरान लगा टोक्यो 2021 का डिजिटल लोगो ’ एएफपी

टोक्यो : ओलंपिक खेलों ने राजनीतिक बहिष्कार (मॉस्को 1980) और आतंकवाद (म्यूनिख 1972) का सामना किया है, लेकिन खेल सिर्फ युद्ध के कारण रद हुए हैं। टोक्यो ओलंपिक 2020 स्थगित किए जाने के बाद अतीत के गलियारों में जाकर उन खेलों पर नजर डालते हैं जिन पर जंग की गाज गिरी थी।

बर्लिन 1916 : स्टॉकहोम में चार जुलाई 1912 को छठे ओलंपिक खेलों की मेजबानी बर्लिन को सौंपी गई। जर्मन ओलंपिक समिति ने युद्धस्तर पर तैयारी की। जून में बर्लिन स्टेडियम में टेस्ट स्पर्धाएं भी आयोजित हुई। दूसरे दिन ऑस्टिया के आर्कड्यूक फ्रेंक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की हत्या कर दी गई। इसके बाद के घटनाक्रम प्रथम विश्व युद्ध का कारण बने। बर्लिन ओलंपिक खेल नहीं हो सके।

टोक्यो 1940 : जूडो के अविष्कारक जापान के महान खिलाड़ी जिगोरो कानो की अगुआई में टोक्यो को 1940 में ओलंपिक की मेजबानी मिली। इतालवी निर्देशक बेनितो मुसोलिनी ने अहम मौके पर दौड़ से नाम वापस ले लिया। इस बीच, जापान और चीन में जंग छिड़ गई और राजनयिक दबाव बन गया कि जापान खेलों की मेजबानी छोड़े। आखिरकार जापान ने दवाब के आगे घुटने टेके, लेकिन 1964 में टोक्यो ओलंपिक की मेजबानी करने वाला पहला एशियाई देश बना।

लंदन 1944 : लंदन ने रोम, डेट्राइट, लुसाने और एथेंस को पछाड़कर मेजबानी हासिल की, लेकिन तीन महीने बाद ही ब्रिटेन ने जर्मनी के खिलाफ जंग का एलान कर दिया। ये खेल हुए ही नहीं और इटली में शीतकालीन खेल भी रद हो गए। लंदन ने 1948 में खेलों की मेजबानी की जिसमें जापान और जर्मनी ने भाग नहीं लिया।

आइओसी ओलंपिक गेम्स को स्थगित करने पर कोई फैसला नहीं ले रहा था, जिसके बाद से उस पर इन्हें स्थगित करने का दबाव लगातार बढ़ रहा था, क्योंकि एनबीए, यूरोपियन फुटबॉल चैंपियनशिप जैसे टूर्नामेंट पहले ही रद हो चुके थे। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इन गेम्स का बहिष्कार कर दिया था, तो ब्रिटेन, अमेरिका, न्यूजीलैंड, इंडोनेशिया और विश्व एथलेटिक्स ने कहा था कि अगर ओलंपिक तय समय पर होते हैं तो वह इसका बहिष्कार कर देंगे। ब्रिटिश साइकलिस्ट कैलम स्कीनर ने आइओसी अध्यक्ष बाक की कड़ी आलोचना की थी और कहा था कि वह अपना निजी स्वार्थ सबसे पहले देख रहे हैं। इससे पहले, जर्मनी ओलंपिक संघ के अध्यक्ष अल्फोंस होएरमैन ने भी कहा था कि ओलंपिक अगले वर्ष तक स्थगित होने चाहिए। आइओसी को इस पर सोचना चाहिए।

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