प्रवासी उत्तराखण्डियों ने बढ़ाई स्थानीय ग्रामीणों की चिंता
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : देश के कई राज्यों उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और महाराष्ट्र में लॉकडाउन होने के बाद इन राज्यों से प्रवासी उत्तराखण्डी वापस अपने गांव की तरफ लौटने लगे हैं। इस बीच पहाड़ से एक महिला का वीडियो सामने आया है जो बिच्छू घास यानि कंडाली से करोना वायरस को भगाने का परंपरागत उपचार तो कर ही रही है साथ ही प्रवासियों को जमकर गरिया भी रही है।
गौरतलब हो कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए पिछले एक सप्ताह में हजारों लोग उत्तराखण्ड में प्रवेश कर चुके हैं और इनकी राज्य में आमद को देखते हुए सरकार चिंतित है कि कहीं बड़े शहरों से लौट रहे इन प्रवासी लोगों की वजह से कोविड-19 पहाड़ी क्षेत्रों में न पहुंच जाये। इसी सूचना पर राज्य सरकार को राज्य में अन्तर्राज्यीय के साथ ही सार्वजनिक परिवहन पर भी प्रतिबंध लगाना पड़ा है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की एक बड़ी आबादी रोजगार की तलाश में दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़, लुधियाना सहित देश के बड़े शहरों में रोजगार कर रहे हैं। वहीं कोरोना वायरस के प्रभाव और इसकी की रोकथाम के लिये अधिकांश शहरों में लॉक डाउन घोषित हो चुका है। लेकिन प्रवासी इस लॉक डाउन को छुट्टी समझते हुए अपने -अपने गांवों की तरफ लौटने लगे हैं, जबकि सरकार का कहना है जो जहाँ प्रवास पर है वहीँ रहे कहीं ऐसा न हो यात्रा के दौरान वह किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में न आ जाय और यहाँ भी कोरोना का संक्रमण हो , लेकिन ये लोग मानने को तैयार नहीं है।
ऐसे लोगों को यह भी पता है कि उत्तराखण्ड के पहाड़ी जिलों में स्वास्थ्य सेवायें अभी इतनी दुरस्त नहीं कि इस महामारी का वह दबाव उठा सके। ऋषिकेश, हल्द्वानी ,रामनगर देहरादून से ऊपर पर्वतीय इलाकों में आईसीयू की सुविधा बहुत ही नगण्य है ऐसे में यदि पहाड़ में कोरोना पॉजिटिव संक्रमित व्यक्ति मिल गया तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है। ऐसे में प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में पहुँचने वाले व्यक्तियों को सोचना और समझना होगा कि कहीं उनके कारण यह शांत इलाका कहीं कोरोना के चपेट में न आ जाए।