Uttarakhand

चमोली में दो स्थानों में फटा बादल, मलबे में दबे कई मकान और दुकान

  • थराली के पास आज सुबह फटा बादल,10 दुकानों सहित कई वाहन बहे
  • 70 से अधिक संपर्क मार्ग राज्य में हुए बंद, बारिश का कहर जारी 
  • ऊखीमठ में वज्रपात के साथ  फटा बादल, 350 मवेशियों की मौत

देहरादून : उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों में देर रात से हो रही बारिश के कारण चमोली जिले के दो इलाकों घाट के  कुंडी गांव और थराली के धारडंबगड में बादल फट गया। इसकी वजह से कई घर, दुकान, मवेशी और गाड़ियां मलबे में दब गई हैं। हालांकि अब तक जनहानि की कोई सूचना नहीं है। मौके में प्रशासन टीम राहत एवं बचाव कार्य में लगी हुई हैं। 

चमोली जिले के थराली और घाट क्षेत्र के दो गांवों में रविवार रात बादल फटने से भारी तबाही हुई है। थराली की सोलपट्टी के रतगांव में पानी के सैलाब ने ढाडरबगड़ कस्बे का नामोनिशान ही मिटा दिया। यहां स्थित 12 दुकानें मलबे में समा गईं। दुकानों के बाहर और अन्यत्र खड़े चार टैक्सी वाहन, चार मोटर बाइक और दो कारें भी पानी के तेज प्रवाह की भेंट चढ़ गई। घुम्मड़ गांव में तीन मकान क्षतिग्रस्त हो गए। दुकानदारों ने भागकर जान बचाई। ढाडरबगड़ को रतगांव से जोड़ने वाला मोटर मार्ग और एक पैदल पुलिया भी तबाही की भेंट चढ़ गई। रतगांव के पास रविवार मध्य रात्रि करीब एक बजे बादल फटने से गांव के किचगाड़ गदेरे में भारी मात्रा में मलबा आ गया। इससे रतगांव के मोटर पुल पर एक झील बन गई। झील बनने से कुछ ही देर में मोटर पुल बह गया और फिर पानी के तेज बहाव और मलबे ने ढाडरबगड़ कस्बे का नामोनिशान ही मिटा दिया।

देर रात्रि करीब 2 बजे ग्राम पंचायत बुरूवा से करीब 20 किमी मध्य हिमालय क्षेत्र में बिसुड़ी ताल के छजमानी में वज्रपात से 200 भेड़-बकरियां मर गई थी। घटना के बारे में वहां मौजूद भेड़पालक बीरेंद्र सिंह द्वारा गांव में सूचना दी गई। इस पर, ग्रामीणों ने उप जिलाधिकारी गोपाल सिंह चौहान को फोन पर घटना के बारे में बताया। उधर, भादड़ी में भी अतिवृष्टि से 150 भेड़-बकरियों की मौत हो गई। भेड़पालक हीरा सिंह द्वारा घटना की जानकारी अपने गांव में दी गई। उन्होंने बताया कि आसमानी बिजली की चपेट में आने से भेड़पालक देवेंद्र सिंह व आलम सिंह भी घायल हुए हैं।
बताया जा रहा है कि रविवार देर रात दैवीय आपदा आई थी जिससे पूरा गांव सहमा हुआ है। देर रात इस आपदा की वजह से 350 से ज्यादा बकरियां मर गई। जानकारी के मुताबिक देर रात सभी भेड़पालक जंगल में थे जिस वजह से सभी भेड़-बकरी इस आपदा के चपेट में आ गए। हालांकि अभी तक जनहानि की कोई सूचना नहीं मिली है।

मिली जानकारी के अनुसार चमोली जिले के थराली में सोमवार सुबह बादल फटने से दस दुकानों के साथ ही करीब दस वाहन बह गए। वहीँ साथ ही क्षेत्र के नौ पुल भी क्षतिग्रस्त हो गए। प्रदेश का चारधाम यात्रा मार्ग बार-बार अवरुद्ध हो रहा है। जिससे यात्रियोंकी परेशानी बढ़ रही है। वहीं, मौसम विभाग ने आगामी 24 घंटे तक राज्य के सात पर्वतीय जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी है। इसे देखते हुए पिथौरागढ़ के स्कूलों में छुट्टी घोषित की गई है।

थराली के ढाडरबगड़ पहुंचे एसडीएम रोहित मीणा ने बताया कि बादल फटने से हुए नुकसान का जायजा लिया जा रहा है। अब तक कैलाश चंद्र, मदन सिंह, बीरेद्र सिंह पुत्र सज्जन सिंह, बीरेंद्र सिंह पुत्र हुकुम सिंह, राम सिंह, हयात सिंह, मोहन सिंह, जयपाल सिंह, महावीर सिंह और भगवान सिंह की दुकानें, दिनेश सिंह, महावीर सिंह, मुकेश सिंह और मुकेश सिंह के टैक्सी वाहन, हुकुम सिंह सहित एक अन्य की कार, कमल सिंह, सुरेंद्र सिंह की बाइक बहने की पुष्टि हुई हैं। अन्य बही हुई दुकानों, कार और मोटर बाइक की पुष्टि की जा रही है। घुम्मड़ गांव में देवानंद चंदोला, बासवानंद और जयदत्त चंदोला का आवासीय मकान भी क्षतिग्रस्त हो गया है।

चमोली जनपद के थराली ब्लाक के धारडंबगड में तड़के करीब 3:00 बजे बादल फटने से 10 दुकानें, तीन बोलेरो वाहन, एक मैक्स, दो कार, चार बाईक के बहने की सूचना है। बादल फटने से हुए नुकसान की जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी आशीष जोशी के निर्देश पर सुबह करीब चार बजे आईआरएस की टीम मौके के लिए रवाना हुई। यहाँ 6 गाड़ियों और तीन मोटर साइकिल बहने की जानकारी है। इसके अलावा 2 से 3 मकान और 10 दुकानें मलबे की चपेट में आ गई हैं। 

यही नहीं चमोली के घाट ब्लॉक में सेराबगड व कुंडी गांव में भूस्खलन से पांच परिवारों के बेघर होने की सूचना है। साथ ही कई मवेशी मलबे में दब गए। वहीं चटवापीपल के पास मलवा आने से सडक बंद हो गई है।

डीएम ने थराली व घाट एसडीएम को रेस्क्यू टीम के साथ घटना स्थलों का मौका मुआयना करने तथा स्थिति से अवगत कराने के निर्देश दिये है। डीएम ने कहा कि यदि आवश्यकता होगी तो एनडीआरएफ को भी भेजा जायेगा।

वहीं, चमोली जिले में सुबह भी बारिश का दौर जारी है। रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी व गढ़वाल के अन्य जिलों में भी सुबह से ही बारिश हो रही है। चमोली में बदरीनाथ हाइवे चटुवापीपल, पीपलकोटी, लामबगड में भूस्खलन से बंद हो गया। इससे बदरीनाथ व हेमकुंड यात्री इन स्थानों पर रुककर रास्ता खुलने का इंतजार कर रहे हैं।

उत्तरकाशी में तड़के तीन बजे से बारिश का दौर शुरू हो गया। जिला मुख्यालय सहित आसपास के क्षेत्र की बिजली भी गुल हो गई। गंगोत्री हाईवे नालूपानी और ज्ञानसू के पास, यमुनोत्री हाईवे डाबरकोट के पास भूस्खलन होने से बंद हो गया। वहीं, केदारनाथ हाईवे तिलवाड़ा-रामपुर के बीच भूस्खलन से बार-बार बंद हो रहा है।

उत्तराखंड में मौसम के तेवर अगले एक-दो दिन तल्ख रहने वाले हैं। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में राज्य के सात जिलों में भारी और बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। पिथौरागढ़ में भारी बारिश के अलर्ट को देखते हुए जिलाधिकारी ने स सभी सरकारी, गैरसरकारी स्कूलों को बंद रखने का आदेश दिया है।

पिथौरागढ़ में मलबा आने से बंद 29 संपर्क मागों को नहीं खोला जा सका है। सातवां कैलास मानसरोवर यात्रा दल मौसम खराब रहने से पिथौरागढ़ से गुंजी नहीं उड़ सके, जबकि एक दल को मंगलवार से अल्मोड़ा में ही रोका गया है।

पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी तहसील के गौला में एक महिला चट्टानी मार्ग से फिसलकर  नाले में बह गई। गौला गांव निवासी हरुली देवी पत्नी चंद्र सिंह निकट के ओखलिया गांव जा रही थी। चट्टानी मार्ग में पैर फिसलने से वह वाथी नाले में बह गई। महिला का कोई पता नहीं चल सका है। सूचना मिलते ही नाचनी से पुलिस मौके पर पहुंच कर खोजबीन में जुटी है।

बागेश्वर में 17 से अधिक संपर्क मार्ग मलबे की वजह से बंद हैं। जिले में कई जगहों में बारिश हो रही है। उत्तराखंड मौसम विभाग ने राज्य में अगले चौबीस घंटों के लिए अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग ने उत्तरकाशी, देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, नैनीताल, बागेश्वर व पिथौरागढ़ में भारी और बहुत भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है।

  • गांव पर खतरा मंडराता देख ग्रामीणों ने बदल डाला नदियों का रूख
  • जिला प्रशासन की हीलाहवाली के बाद ग्रामीणों ने खुद उठाया बीड़ा 

धारचूला, पिथौरागढ़ : जिला प्रशासन की हीला हवाली को देखते हुए चौदास घाटी के ग्रामीणों ने गांव पर ख़तरे को देखते हुए हिमखोला नदी का रूख ही बदल दिया है इसके बाद अब ग्रामीणों ने चैन की सांस ली है।  ग्रामीणों ने यह कदम तब उठाया जब से बीते कुछ महीनों से जिला प्रशासन से जेसीबी मशीन और पौकलैंड मशीन लगाकर नदी का रूख बदलने की मांग करते आ रहे थे ।इसके बाद ग्रामीणों ने  हार मानने के बजाय खुद ही नदी का रुख बदलने का बीड़ा उठाया और  गांव की तरफ अपना बहाव दिखा रही हिमखोला नदी का प्रवाह ही बदल दिया है। आजकल हिमखोला नदी पूरे उफान पर है और गांव के तीन लोगों की जान ले चुकी है।

गौरतलब हो कि बीते दिनों की भारी वर्षा से हिमानी नदी हिमखोला ने विकराल रूप ले लिया था। हिमखोला नदी में गांव के तीन लोग बह गए थे। जिसमें अभी तक केवल दो के ही शव मिले हैं। नदी ने तबाही मचाते हुए हेमा देवी पत्नी टेसू राम का मकान बहा दिया था। गोपाल राम, सुरेश राम, रामशंकर, राजेंद्र राम के मकान मलबे से भर गए थे। तबाही के बाद से गांव के अनुसूचित जाति के 18 परिवार पिछले 13 दिनों से पंचायत घर और आंगनबाड़ी केंद्र में शरण लिए हुए हैं।

बीते दिनों हिमखोला नदी के तेज़ बहाव में चार आरसीसी पुल बहने से गांव के नम्फूकांग, खालू, चरज्याकंग और युन्कू तोकों का आपस में सम्पर्क कट गया है। ग्रामीण जान जोखिम में डालकर ग्रामीण नदी पार कर रहे हैं। इतना ही नहीं हिमखोला नदी के बहाव ने गांव की आलू और राजमा की खेती की दो सौ नाली भूमि तक को अब तक निगल लिया है।

ग्रामीणों के अनुसार हिमखोला नदी के तेज़ बहाव के चलते लगातार भू कटाव जारी है। नदी का प्रवाह बस्तियों के करीब तक पहुंच चुका है। प्रशासन द्वारा अभी तक गांव में हुई क्षति का आंकलन तक नहीं किया गया है। ग्रामीण अभी भी लगातार जेसीबी मशीन और पौकलैंड मशीन लगाकर नदी का रूख बदलने की मांग करते आ रहे हैं।

ग्राम प्रधान रश्मि देवी और बीडीसी सदस्य पुष्कर कुमार ने भारी बारिश से गिर रहे बिजली के पोलों को रस्सियों से बांध कर गांव में अनहोनी रोकी है। तवाघाट- नारायण आश्रम मोटर मार्ग कंच्योती से नारायणआश्रम तक मार्ग जगह-जगह क्षतिग्रस्त है। जिसके चलते गांव तक खाद्यान्न सहित आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पिछले 14 दिनों से रुकी हुई है।

वहीँ जिला प्रशासन और क्षेत्रीय प्रशासन गांव की परेशानी को दूर करने में प्रकृति के आगे लाचार साबित नज़र आ रहा है। जिसे देखते हुए आपदा झेल रहे ग्रामीणों ने अपने ही सीमित साधनों के माध्यम से पूरे दिन जान जोखिम में डालकर विकराल बनी हिमखोला नदी का रूख बदल कर जहाँ  प्रशासन को आइना दिखाया है वहीँ अपने गांव को भी पानी के बहाव से बचाने में कुछ हद तक सफलता प्राप्त की है।

इस गांव के ग्रामीणों के इस प्रयास को देखकर आसपास के गांवों के लोग भी चकित हैं। भारी ढलान की तरफ बहने वाली वेगवती नदी का रूखग्रामीणों  ने दूसरी तरफ कर गांव तो फिलहाल बचा लिया है।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »