चीन और पाक के एक साथ दो-दो मोर्चों पर टकराव संभव : सेनाध्यक्ष

- भारत और चीन के साथ 3500 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा
- लद्दाख और उत्तराखंड, अरुणाचल में चीन करता रहा है घुसपैठ की कोशिश
नयी दिल्ली : डोका ला विवाद हल होने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे से रिश्तों में सामान्यता के बीच सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने सेना को सतर्क किया है। जनरल रावत ने एक सेमिनार में कहा कि चीन और पाकिस्तान से एक साथ टकराव की आशंका को खारिज नहीं किया सकता, ऐसे में सेना को दो-दो मोर्चों पर एक साथ लड़ाई की तैयारी रखनी होगी।
सेनाध्यक्ष ने कहा, चीन धीरे-धीरे हमारी जमीन पर कब्जा करने के साथ सीमा पर हमारी ताकत परखने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में उसके साथ टकराव की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता। लेकिन पाकिस्तान भी उस मौके का फायदा उठा सकता है, इसलिए भारत को एक साथ उत्तरी और पश्चिमी मोर्चों पर दमखम दिखाने के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने सावधान किया कि चाहे यह संघर्ष सीमित जगह-सीमित समय का हो या फिर लंबे समय और बड़े इलाके में फैले, हमें पूरी तैयारी रखनी होगी।
थिंक टैंक सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज के कार्यक्रम में चीन की ओर इशारा करते हुए रावत ने कहा कि उसने सीमा पर आक्रामकता दिखानी शुरू कर दी है, वह धीरे-धीरे,चोरी-चुपके हमारी जमीन हथियाने की रणनीति पर चल रहा है। डोका ला गतिरोध के मद्देनजर हमें चौकन्ना तथा तैयार रहना होगा, क्योंकि पड़ोसी हमारे धैर्य और संयम की परीक्षा लेता रहा है और पता नहीं कि कब स्थिति टकराव का रूप ले ले। उन्होंने कहा कि दो मोर्चों पर चुनौतियों को देखते हुए तीनों सेनाओं के एकीकरण और आधुनिकीकरण की जरूरत है, जिसमें सेना को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
परमाणु क्षमता के भरोसे रहना ठीक नहीं
जनरल रावत ने कहा कि परमाणु क्षमता युद्ध की राह में प्रतिरोधक साबित हो सकती है, लेकिन भारत के पड़ोसियों को देखते हुए यह बात गलत भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता युद्ध के खतरे को खत्म नहीं करती। यह बात सही है कि परमाणु हथियार प्रतिरोधक का काम करते हैं और परमाणु हथियारों की क्षमता से लैस राष्ट्रों के बीच युद्ध नहीं होता। उन्होंने कहा, ‘लेकिन यह कहना कि ये युद्ध टाल सकते हैं । ये राष्ट्रों को लड़ने नहीं देंगे, यह कहना सही नहीं भी हो सकता।’
पाक से दोस्ती की गुंजाइश नहीं
पाकिस्तान का नाम लिए बिना सेनाध्यक्ष ने कहा कि उसके साथ मैत्री की कोई गुंजाइश नहीं दिखाई देती क्योंकि उनकी सेना, शासन व्यवस्था और लोगों के मन में यह भर दिया गया है कि भारत उसका शत्रु है और वह उस देश के टुकड़े करना चाहता है। उन्होंने कहा कि छद्म युद्ध के कारण टकराव की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है।
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