गायब बाघिन की लोकेशन का सही पता नहीं बस अँधेरे में हाथ -पांव मार रहे वन्यजीव अधिकारी
उत्तराखंड के वन्यजीव प्रतिपालक जहां बता रहे बाघिन, वहां अब कल से लगेंगे कमरे तो इन्हे बड़कोट रेंज में बाघिन कैसे आई नज़र
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : उत्तराखंड से पिछले ढ़ाई महीने से गायब चल रही एक बाघिन को लेकर उत्तराखंड के वन्य जीव प्रतिपालक ने जहां बीते दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित वन मंत्री तक को गुमराह कर दिया वहीं अब इस गायब बाघिन के गायब होने का संज्ञान नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथॉरटी (NTCA) ने भी ले लिया है।
गौरतलब हो कि बीते दिन उत्तराखंड वन्य जीव बोर्ड की 16 वीं बैठक के बाद जब पिछले ढाई महीने से गायब चल रही एक बाघिन का मामला उठा तो सूबे के वन्य जीव प्रतिपालक ने मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के वन मंत्री को गुमराह करते हुए बताया कि बाघिन की लोकेशन राजाजी राष्ट्रीय पार्क से 27 किलोमीटर दूर बड़कोट रेंज में पाई गयी है। लेकिन बाघिन की सही स्थिति का अभी तक अधिकारियों को नहीं पता है कि वह जीवित भी है या नहीं।
इसके पीछे तर्क देते हुए वन्य जीव प्रेमियों का कहना है कि आखिर ढाई माह से गायब बाघिन को अब तक क्यों नहीं खोजा गया जब मामला अखबारों की सुर्खियां बनने लगा तब ही वन्यजीव विभाग के अधिकारियों ने गायब बाघिन की सुध क्यों शुरू की। इनका कहना है कि राजाजी टाइगर रिज़र्व में इससे पहले भी कई बाघ और बाघिनों का अवैध शिकार हो चुका है जो कई बार जांच के बाद साफ़ भी हो चुका है ऐसे में वे वन्यजीव प्रतिपालक के इस बयान कि बाघिन सुरक्षित है, पर कैसे विश्वास कर सकते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गायब बाघिन को धूलना गांव की तरफ देखा गया है लेकिन इसकी पुष्टि अभी तक किसी ने नहीं की है। जबकि प्रभागीय वनाधिकारी देहरादून राजीव धीमान का कहना है कि हम भी बाघिन की खोज कर रहे हैं, लेकिन हमारे इलाके में इस तरह की बाघिन का न तो कोई पग मार्क ही मिला है और न किसी कमरे में वह कैद हुई है। उन्होंने बताया अधिकारियों के आदेश पर अब उनके क्षेत्र के जंगल में जहाँ से बाघिन के मूवमेंट की संभावना हो सकती है वहां 14- 15 कमरे लगाए जा रहे हैं, ताकि यदि बाघिन का यहां मूवमेंट हो तो वह कमरों में कैद हो और हमने उसकी पुख्ता जानकारी मिल सके।
वहीं लापता हुई बाघिन के मामले में NTCA ने प्रदेश के वन्य जीव प्रतिपालक को पत्र लिखकर मामले की वस्तु स्थिति से अवगत करने के निर्देश दिए हैं। NTCA की तरफ से सहायक वन महानिरीक्षक डॉ. वैभव चंद्र माथुर द्वारा यह पत्र लिखा गया है जिसकी प्रतिलिपि निदेशक राजाजी टाइगर रिज़र्व को भी की गयी है।