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हाईकोर्ट ने रक्षा मंत्रालय और केंद्र से सियाचिन में तैनात सैनिकों को मिल रही वर्दी में खामियों पर मांगा जवाब

भारतीय फौज को दी जा रही है 2010 की तकनीक से बनी वर्दी 

वर्दी के अंदर भाप बनने से जवानों का शरीर हो रहा ठंडा 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

नैनीताल । अमेरिका तथा नाटो की सेना की तर्ज पर भारतीय फौज को स्नोसूट उपलब्ध कराने की मांग को लेकर दायर एक याचिका में सियाचिन में तैनात भारतीय फौज के लिए उच्च तकनीक की वर्दी नहीं दिए जाने का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। कोर्ट ने इससे संबंधित मामले में दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार, रक्षा मंत्रालय के साथ ही संबंधित विभागों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हरिद्वार निवासी राजेंद्र मोहन डबराल की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि सियाचिन में तैनात भारतीय फौज को 2010 की तकनीक से बनाई गई वर्दी दी जा रही है, जबकि इस वर्दी में तमाम खामियां हैं। वर्दी के अंदर भाप बनने से जवानों का शरीर ठंडा हो रहा है। मंत्रालय ने 2017 की तकनीक पर बनी वर्दी उपलब्ध कराने का भरोसा दिया था, मगर यह अब तक नहीं दी गई।

याचिका में मांग की गई है कि अमेरिका तथा नाटो की सेना की तर्ज पर भारतीय फौज को भी बेहद ठण्ड वाले स्थानों के लिए स्नोसूट उपलब्ध कराने की बात कही गयी है। सियाचिन में जवान -30 डिग्री सेल्सियस में देश की सीमा की रक्षा में मुस्तैद रहते हैं। रक्षा मंत्रालय यहां तैनात सैनिकों के लिए ठंड से बचाव के लिए स्नोसूट खरीद रहा है। जून 2019 में श्रीलंका की कंपनी से इसकी खरीद की प्रक्रिया शुरू की गई है।

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