EXCLUSIVE

”गंजे” को ”आरती” पसंद है

राजेन्द्र जोशी 
उत्तराखंड के सत्ता के गलियारों में आजकल बस एक ही धुन सुनाई दे रही है ”गंजे को आरती पसंद है” पहले तो हर कोई यह सोचता रहा कि कहीं यह वही रीमिक्स गाना तो नहीं कि ‘बेबी को बेस पसंद है’ लेकिन जब सत्ता के गलियारों में चल रही कानाफूसी पर कान गए तो पता चला माज़रा तो कुछ और ही है। इन्द्रप्रस्थ की हर गली हर कुचे में हर जगह यही तराना और यही गाना सुनने को मिला रहा है कि ”गंजे को आरती पसंद है”

इन्द्रप्रस्थ के सत्ता के गलियारों में चल रही कानाफूसी पर अब यकीं भी हो गया की वास्तव में ”गंजे को आरती पसंद है” चर्चाएँ तो यहाँ सरे आम हैं कि गंजा आजकल बहुत ही प्रभावशाली हो चुका है वह राजा को रंक तो रंक को रजा तक बनाने की क्षमता रखता है, और तो और जब राजा ही उसकी तान पर नृत्य कर रहा है तो बाकियों की क्या बिसात। ताकत इतनी है कि आजकल कि जिसको चाहे धूल में मिटा दे, जमीं पर तो आजकल उसके पांव ही नहीं पड रहे उसे तो बस ”आरती” पसंद है, जो भी उसकी आरती उतरता है उसकी मनचाही मुराद पूरी हो रही है। कई तो उसके ऐसे भक्त हैं जो आरती के साथ साथ उसकी परिक्रमा भी कर रहे हैं आजकल। और ”गंजा” उन्हें बाबा अमरनाथ की तरह फल भी दे रहा है।

वैसे देखा जाय तो गंजे ने उसकी आरती और परिक्रमा करने वाले और खासकर मगध प्रान्त के कई लोगों को ऐसे-ऐसे फल दे दिए हैं सत्ता के गलियारों में फल पाने की आस में बैठे और लोगों को यकीं तक नहीं हो रहा कि आखिर ऐसा भी फल मिल सकता है। फल की आस में बैठे लोगों ने बताया कि गंजे में वो शक्ति आ गयी है वह सिपाही हो टेक्नोक्रेट बना सकता है और मास्टर को ब्यूरोक्रेट।

”गंजा” सर्वशक्तिमान हो गया है यह बात अब सबको पता चल गयी है। लेकिन सूबे के एक अधिकारी को नहीं था पता और वह ले बैठा पंगा गंजे से और गंजे ने उसे ही धूल चटा दी। मामला कुछ इस तरह हुआ कि उस एक अधिकारी को नहीं पता था कि गंजे के कई जगह एशगाह भी बनायीं हुई है और कहीं निर्माणकार्य आजकल तेज़ी से चल रहा है तो उस अधिकारी ने कमाई की लालच में गंजे के एशगाह पर भेज डाले अपने चंगु-मंगू। अब भला गंजे को यह कहाँ पसंद कि कोई उसकी एशगाह की तरफ आँख भी उठाकर देखे। ऐसे में गंजे ने चंगु-मंगुओं को तो छेड़ा नहीं और उसके मातहत के ही पंख काट डाले बेचारा कुछ दिन तक तो छटपटाहट मचाता रहा और बैठ गया चुपचाप.यकीन उसके बाद जो कहानी हुई उसको सुनकर तो सत्ता के गलियारों में फुसुसाहट हो रही है कि वाकई में ”गंजे को आरती पसंद है”

बेचारा हारा थका गया एक बजीर को मिलने क्योंकि कभी बेचारे की भी तूती बोलती थी पूरे इन्द्रप्रस्थ को कंक्रीट के जंगल में बदलने की बेचारे को महारत हासिल थी और उसने बदल भी डाला था, इन्द्रप्रस्थ में उसके कई चेले और चेलियाँ थी और कई भतीजे भी, जो इन्द्रप्रथ में एक भी ईंट कहाँ रखी जा रही थी उसके पल-पल की खबर बेचारे को दे दिया करते थे और इसी खबर के एवज में वे वसूली कर अपना शौक पूरा कर रहे थे, कभी -कभी शाम को चेले और चेलियाँ और कई भतीजे बेचारे की शाम को रंगीन भी बना दिया करते थे यानि पूरा इन्द्रप्रस्थ मौज काट रहा था। ऐसे में एक दिन गंजे ने उसके ही नाखून काट डाले कि ले बेटा अब खुजा मेरा सर.

गंजे की कई कहानियां आजकल विक्रम और बेताल की कहानियों की तरह सत्ता के गलियारों से लेकर इन्द्रप्रस्थ तक की गलियों में चल रही हैं इतना ही नहीं यहाँ की कहानिया तो अब मगध प्रान्त से लेकर नवाबों की नगरी तक भी बड़े चटखारे के साथ लोग सुन रहे हैं अब इंतज़ार है तो बस गंजे की नयी कहानी का जैसे ही आएगी आपको सुनाई देगी.

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »