बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद
- हजारों श्रद्धालुओं ने किए बद्रीनाथ के दर्शन
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
बदरीनाथ। मंगलवार को दोपहर बाद 3.21 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस अवसर पर पांच हज़ार से अधिक तीर्थयात्रियों ने बद्रीनाथ धाम के दर्शन किये। श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही उत्तराखंड के चार धाम यात्रा भी आगामी ग्रीष्मकाल तक के लिए बंद हो गयी है। श्री बदरीनाथ धाम के कपाटबंदी से पहले नर-नारायण पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित भगवान नारायण के मंदिर का फूलों से खुबसूरत शृंगार किया गया।
कपाट बंदी के अवसर पर बद्रीश पुरी सेना के बैंड की धुनों से गुंजायमान रही। गढवाल स्काउट, बीआरओ , श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर मंदिर समिति के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। वहीं मंदिर के कपाट बंद होने के साथ आज श्री माता मूर्ति मंदिर और भविष्य बदरी मंदिर सुवाई (तपोवन ) के कपाट भी बंद कर दिए गए ।
प्राचीन परंपरा के अनुसार मंगलवार सुबह धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने महिला के रूप में श्रृंगार कर भगवान बदरी नारायण के प्रतिनिधि के रूप में परिक्रमा परिसर स्थित लक्ष्मी मंदिर में जाकर मां लक्ष्मी को भगवान बद्रीविशाल के साथ गर्भगृह में विराजने का न्यौता दिया। इस दौरान रावल ने पूर्व की भांति भगवान बद्रीविशाल की पद्मासन मूर्ति का अंतिम आभूषण शृंगार किया जिसका वहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने दिव्य दर्शन किया।
कपाट बंदी से पूर्व भगवान का श्रद्धालुओं द्वारा लाए गए फूलों से भव्य शृंगार किया गया और मंदिर और मंदिर परिसर को करीब बीस क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया। फूलों से सजे मंदिर की चमक देखते ही बन रही है।