सतपाल महाराज के साथ उड्डयन विभाग का षड्यंत्र !
जब नहीं थी स्वीकृति तो कोर क्षेत्र में कैसे घुस गया हेलीकाप्टर
तो हेमकुण्ड साहिब भी बिना स्वीकृति के चल रही है हेली सर्विस !
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विभाग मंत्रियों से भी बड़ा हो चला है उसे न मंत्रियों के प्रोटोकाल का पता है और परवाह, वह यह भी नहीं जानना चाहता है कि किस मंत्री को कब और कहाँ जाना है हालाँकि मंत्री के दफ्तर से 15 दिन पहले भेजे मंत्री के कार्यक्रम (प्रोटोकॉल )को यह विभाग और यहाँ के मातहत अधिकारी कूड़े के ढेर में डाल अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर देते हैं। वहीँ जानकारी में आया है कि कई मर्तबा तो मंत्री को हेलीकाप्टर मिल जाता है लेकिन उड्डयन विभाग के अधिकारियों के इशारे पर वरिष्ठ मंत्री को आधे रास्ते में उतार हेलीकाप्टर चल निकलता है।
ताज़ा मामला सूबे के कद्दावर नेता सतपाल महाराज से जुड़ा हुआ है सतपाल महाराज को एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार गंतव्य तक पहुंचाए बिना ही हेलीकाप्टर वापस लौट गया और महाराज देखते रह गए। पहला वाकया महाराज को लाटू देवता के कपाट खुलने के दिन वाण गांव जाना था, काबीना मानती के कार्यालय से मंत्री के दौरे का कार्यक्रम भी प्रोटोकॉल विभाग को जारी कर दिया गया था लेकिन ऐन मौके पर मंत्री को मौसम का बहाना मारकर हेलीकाप्टर के पायलेट वापस ले आया, दूसरा वाकया भी महाराज के साथ ही तब घटा जब महाराज को 23 मई को ”ट्रेक ऑफ़ द ईयर” के समापन समारोह में शामिल होने द्रोणागिरी जाना था 23 मई को महाराज जब हेलीकाप्टर से जोशीमठ पहुंचे तो पायलेट ने मंत्री को बताया कि वह उनको लेजाकर वहां नहीं जा सकता हाँ वह उस स्थान की ”रेकी” कर कल अपनी रिपोर्ट राज्य उड्डयन विभाग को सौपेगा जो भारत सरकार के उड्डयन मंत्रालय को रिपोर्ट देकर दो-तीन दिन में मंत्री को वहां ले जा सकता है और यह कहकर यह पायलेट मंत्री को जोशीमठ में ही छोड़ द्रोणागिरी की तरफ चल दिया, द्रोणागिरी के लोगों ने जब हेलीकाप्टर देखा तो समझा कि महाराज आ गए हैं लेकिन यह हेलीकाप्टर गांव के उपर से चक्कर मार वापस देहरादून लौट आया।
मंत्री को बीच रास्ते में छोड़े जाने को लेकर सत्ता के गलियारों से लेकर सूबे के राजनीतिक जानकारों तक में चर्चा है कि सतपाल महाराज के साथ उड्डयन विभाग ने जान बूझकर षड़यंत्र किया है, यह भी सवाल उठाये जा रहे हैं यह विभाग की किसी के इशारे पर महाराज को फेल करने की साजिश है। मंत्री के साथ उड्डयन विभाग की साजिश इस लिए भी साफ़ लगती है जब मंत्री का प्रोटोकॉल मंत्री के कार्यालय से 15 दिन पहले जारी हो जाता है तो उड्डयन विभाग को मंत्री के कार्यक्रम से सम्बंधित सभी औपचारिकताएं उन बाकी दिनों में पूरी कर लेनी चाहिए न कि उस दिन ,जिस दिन मंत्री का कार्यक्रम उस क्षेत्र का हो और उसी दिन उसे डीजीसीए से स्वीकृति की याद आये।
वहीँ लोगों का कहना है जब हेलीकाप्टर द्रोणागिरी तक पहुँच गया था तो उसे महाराज को वहां तक ले जाने में क्या परेशानी थी जबकि कबीना मंत्री को जारी प्रोटोकाल के हिसाब से हेलीकाप्टर दो इंजनों वाला भी था, वहीँ स्थानीय लोगों का कहना है की जब उस हेलीकाप्टर के पास द्रोणागिरी जाने की स्वीकृति नहीं थी तो वह नंदा देवी बायोस्फेयर क्षेत्र में अकेले क्या करने गया, क्या उसका वहां जाना अवैध रूप से सेंचुरी इलाके में अतिक्रमण नहीं था, ऐसे कई सवाल हैं जिनका सूबे के उड्डयन विभाग को जवाब देना होगा। वैसे सूत्रों का कहना है सूबे के नागरिक उड्डयन मंत्रालय की कार्यशैली से सतपाल महाराज काफी खिन्न हैं और उन्होंने मामले की जांच के आदेश भी दे दिए हैं कि आखिर उनके साथ क्यों विभाग ने षड़यंत्र किया।
वहीँ दूसरी ओर सूबे के नागरिक उड्डयन विभाग उत्तराखंड द्वारा हेमकुंड साहिब में बिना कोई एलओए अथवा टेंडर के अपनी चहेती एक एविएशन कंपनी को गोविन्द घाट से हेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया के कांजला हेलीपैड तक यात्रियों को लाने ले जाने की स्वीकृति दी है, जिसको लेकर सत्ता के गलियारों में कई सवाल उठाये जा रहे हैं।
सवाल यह भी उठ रहे हैं कि हेमकुंड साहिब में पहली बार हेली सेवा दे रही गोदावर एविएशन को किस वजह से और किसकी शह पर उड़ान भरने की अनुमति दी गई है, अब यही सवाल यूकाडा के लिए सिरदर्द बन आ खड़ा हुआ है। कि आखिर किस नियम अनुसार सिर्फ गोदावर एविएशन कंपनी को हो ही यूकाडा ने विशेषाधिकार दिया है,यहाँ क्यों नहीं प्रतियोगितात्मक टेंडर आमंत्रित किये गए जिससे यात्रियों को लाभ मिलता, क्योंकि गोविन्द घाट से हेमकुंड तक भी यात्रियों की जेब काटे जाने की शिकायत मिलनी शुरू हो गयी है जबकि अभी यहाँ यात्रा शुरू हुए मात्र तीन दिन ही हुए हैं।
यूकाडा के इस हरकत से जहां एक ओर राज्य सरकार के जीरो टॉलरेंस की नीति पर शक हो रहा है तो वहीं पारदर्शिता के वादे पर भी चोट पहुंच रही है। जिसका खामियाजा सीधे सीधे सरकार की छवि को चुकाना पड़ा रहा है।
देखिये बिना स्वीकृति के कैसे नंदादेवी बायोस्फियर इलाके में घुस आया सतपाल महाराज को जोशीमठ में छोड़कर आने वाला हेलीकाप्टर यह वीडियो द्रोणागिरी गांव से बनाया गया है जहाँ महाराज को द्रोणागिरी ट्रेक ऑफ द ईयर के समापन कार्यक्रम में शिरकत करना था…..