कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आवेदन शुरू
15 मार्च तक होंगे रजिस्ट्रेशन
12 जून से 8 सितंबर के बीच होगी यात्रा
25 दिनों की होती है कैलाश मानसरोवर यात्रा
देहरादून : विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए पहली फरवरी से रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए हैं. यह यात्रा 12 जून से शुरू होकर 8 सितंबर को समाप्त होगी. इस यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराने की अंतिम तिथि 15 मार्च, 2017 है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस यात्रा के लिए योग्य आवेदकों की आयु एक जनवरी, 2017 को कम से कम 18 साल और 70 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कराया जा सकता है।
यह यात्रा दो रास्तों से संपन्न की जाएगी. एक मार्ग उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से होते हुए है. इसमें कुछ ट्रेकिंग भी शामिल है। इस यात्रा का प्रति व्यक्ति खर्च एक लाख, 60 हज़ार रुपये है. इस रास्ते से यात्रा के लिए 18 जत्थे जाएंगे और हर जत्थे में 60 तीर्थयात्री शामिल होंगे। इस मार्ग से यात्रा की अवधि 24 दिनों की होगी और हर जत्थे को तीन दिन दिल्ली में प्रारंभिक तैयारी करनी होगी। दिल्ली सरकार यात्रियों के लिए साझा तौर पर खान-पान और ठहरने की सुविधाओं का निःशुल्क प्रबंध करती है।
मानसरोवर यात्रा का दूसरा मार्ग सिक्किम के नाथु ला दर्रे से होकर जाता है। यह वरिष्ठ नागरिकों के अनुकूल है क्योंकि इसमें ट्रेकिंग नहीं करनी होती है. यात्रा वाहन से होती है. इस रूट से कैलाश मानसरोवर जाने पर प्रत्येक यात्री को 2 लाख रुपये खर्च करने होंगे और इस मार्ग से यात्रा की अवधि 21 दिन की होगी।
उत्तराखंड में कैलाश मानसरोवर यात्रा संचालन की जिम्मेदारी संभालने वाली संस्था कुमाऊं मंडल विकास निगम से मिली जानकारी के मुताबिक एक फरवरी से यात्रा के लिए आवेदन हो रहे हैं। दूसरे चरण में चयनित यात्रियों का मेडिकल आदि कराया जाएगा। यात्रा इस वर्ष भी उत्तराखंड के लिपूलेख दर्रे और सिक्किम के नाथूला दर्रे से कराई जाएगी।
उत्तराखंड से इस वर्ष 18 जत्थे यात्रा में जायेंगे यहां से यात्रा करने में 25 दिन का समय लगता है। सिक्किम से आठ जत्थों को यात्रा में जाने की अनुमति मिलेगी। यहां से यात्रा करने में 23 दिन का समय लगेगा। उत्तराखंड में यात्रा संचालन में तिब्बत सीमा पर तैनात आईटीबीपी की भी मदद ली जाती है।
यात्रा एक जून से प्रारंभ होगी। यात्रा का पहला दल दो जून को यात्रा के आधार शिविर धारचूला पहुंचेगा। इस वर्ष उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में सड़क का निर्माण हो जाने से यात्रियों को काफी कम पैदल यात्रा करनी होगी। बता दें कि उत्तराखंड से होते हुए जो लोग इस यात्रा पर जाएंगे उन्हें कम पैसे देने होंगे।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा अपने धार्मिक मूल्यों और सांस्कृतिक महत्व के कारण जानी जाती है। भगवान शिव के निवास के रूप में हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ यह जैन और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए भी धार्मिक महत्व रखता है।
वायु मार्ग :
वायु मार्ग द्वारा काठमांडू तक पहुंचकर वहां से सड़क मार्ग द्वारा मानसरोवर झील तक जाया जा सकता है।
काठमांडू से नेपालगंज :
कैलाश तक जाने के लिए हेलिकॉप्टर की सुविधा भी ली जा सकती है। काठमांडू से नेपालगंज और नेपालगंज से सिमिकोट तक पहुंचकर, वहां से हिलसा तक हेलिकॉप्टर द्वारा पहुंचा जा सकता है। मानसरोवर तक पहुंचने के लिए लैंडक्रूजर का भी प्रयोग कर सकते हैं।
चाइना एयर वायुसेवा :
काठमांडू से लहासा के लिए ‘चाइना एयर’ वायुसेवा उपलब्ध है, जहां से तिब्बत के विभिन्न कस्बों- शिंगाटे, ग्यांतसे, लहात्से, प्रयाग पहुंचकर मानसरोवर जा सकते हैं।