एम्स में 45 लोगों को अस्थायी तौर पर कार्य पर रखने पर सहमति

देवभूमि मीडिया ब्यूरो
क्षेत्रीय विधायक एवं राज्य विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेमचंद अग्रवाल व एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी के मध्य शनिवार को हुई वार्ता के परिणाम स्वरूप आउटसोर्सिंग एजेंसी ने 45 लोगों को पूर्णतया अस्थाई रूप से कार्य पर वापस रखने पर सहमति व्यक्त की है। जिन्हें आउटसोर्सिंग एजेंसी द्वारा आपसी अनुबंध की शर्तों के अनुरूप पूर्णतः अस्थाई रूप से पदों की एम्स संस्थान में उपलब्धता के अनुसार आने वाली 15 मई तक वापस काम पर लिया जाएगा।
निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने पहल करते हुए सभी वर्तमान एम्स में कार्यरत आउटसोर्सिंग कंपनी के कर्मचारियों को भविष्य में होने वाली विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी के लिए विशेष गाइडेंस क्लास देने का भी ऐलान किया है।
उपनिदेशक श्री अंशुमन गुप्ता द्वारा स्पष्ट किया गया कि सरकारी संस्थान नियम के अनुरूप ही चलते है एवं वर्तमान मे स्थाई नियुक्तियों में बिना गवर्नमेंट ऑर्डर (जीओ) के किसी प्रकार का क्षेत्रीय आधार पर आरक्षण अथवा संविदा/आउटसोर्सिंग कर्मियों के नियमितीकरण की मांग को कानूनी रूप से पूर्ण करना संभव नहीं है।
गौरतलब है कि माननीय केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, नैनीताल ने बीते शुक्रवार को एम्स संविदा कर्मियों द्वारा दायर एक लंबित मामले में दिए गए विस्तृत निर्णय द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए यह स्थिति पुनः पूर्णतया स्पष्ट कर दी है कि एम्स के द्वारा शुरू की गई चयन की प्रक्रिया पूर्णत: वर्तमान नियमों के अनुरूप एवं वैधानिक है । संविदा पर रखे गए कर्मचारियों का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है कि वह एम्स प्रशासन से विगत वर्षों में संविदा के आधार पर दी गईं सेवाओं को आधार बना कर अपनी स्थाई नियुक्ति / नियमितीकरण की मांग, समान कार्य हेतु समान वेतन अथवा अपने संविदा के अनिवार्य रूप से नवीनीकरण की मांग कर सकें। साथ ही माननीय न्यायालय ने एम्स प्रशासन की ओर से नियुक्तियों के लिए संपूर्ण भारत वर्ष में विज्ञप्ति जारी कर लिखित एवं अन्य परीक्षा कराने को पूर्णतया उचित ठहराया है।
ऐसे मे चयनित होकर आने स्थाई कर्मियों के ज्वाइन करने पर आउटसोर्स / संविदा कर्मियों की सेवाएं उनके द्वारा किए गए अनुबंध की शर्तों के अनुरूप स्वतः ही समाप्त हो जाती हैं। लिहाजा किसी भी सरकारी संस्थान को स्थाई नियुक्तियां करने से रोकना लोकहित में नहीं है।