CHAMOLI

सड़क खुलने के बाद अब बदरीनाथ हाईवे पर लगा 25 किमी लंबा जाम, 15 हजार से ज्यादा गाड़ियां फंसी

जोशीमठ  : 27 घंटे बाद बदरीनाथ हाईवे खुलने के बाद रविवार की सुबह एक बार फिर हाथी पहाड़ के पास हाईवे पर 25 किमी. लंबा जाम लग गया। शनिवार को 27 घंटे बाद बदरीनाथ हाईवे सुचारु हो सका। हाथी पर्वत से टूटकर गिरे मलबे और बोल्डरों को हटाकर बीआरओ ने शनिवार शाम साढ़े छह बजे छोटे-बड़े वाहनों के लिए हाईवे को खोल दिया था।

लेकिन शनिवार को रुक-रुक कर हो रही बारिश से एक बार हाथी पर्वत के पास भारी बोल्डर और मलबा रास्ते में आने से मार्ग अवरुद्घ हो गया। जिस कारण हाईवे पर 25 किमी. से ज्यादा लंबा जाम गया। बताया गया कि दोनों ओर करीब 15 हजार वाहन फंसे हुए हैं। मार्ग को सुचारु करने का कार्य किया जा रहा है। बाद में लंबा जाम देखते हुए यहां ट्रैफिक वन वे कर दिया गया। जिससे चारधाम यात्रियों का खासी फजीहत झेलनी पड़ रही है।

शनिवार रात आठ बजे तक बदरीनाथ की ओर से करीब चार हजार तीर्थयात्रियों को जोशीमठ तक सुरक्षित पहुंचाया गया। बदरीनाथ की ओर से करीब साढ़े तीन सौ छोटे-बड़े वाहनों को निकाला गया।

हालांकि हाथी पर्वत के पास बदरीनाथ हाईवे अभी भी खतरनाक बना हुआ है। बारिश होने पर यहां चट्टान से बोल्डरों के गिरने का खतरा बना हुआ है। इन 27 घंटों में हाईवे में फंसे तीर्थयात्रियों को काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी। हाईवे बंद होने की वजह से तेलंगाना से पहुंचे 35 तीर्थयात्री पीपलकोटी से बिना दर्शन किए ही लौट गए थे।

दिल्ली के 12 तीर्थयात्रियों का दल भी यात्रा शेड्यूल बिगड़ जाने से बिरही से ही लौट गया था। चमोली कस्बे में करीब चार हजार तीर्थयात्री फंसे रहे। इन यात्रियों का आरोप है कि प्रशासन की ओर से खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। यहां तक की शौचालय की व्यवस्था भी नहीं थी। मालूम हो कि 19 मई को शाम साढ़े तीन बजे बदरीनाथ हाईवे पर हाथी पर्वत के एक हिस्से के टूटने से बदरीनाथ यात्रा पर ब्रेक लग गया था।

चमोली से बदरीनाथ के बीच हैं  दर्जनभर से ज्यादा  भूस्खलन जोन

बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर चमोली से बदरीनाथ के बीच दर्जनभर से ज्यादा भूस्खलन क्षेत्र चिह्नित तो किए गए हैं, लेकिन इनके स्थायी ट्रीटमेंट को लेकर सरकारी सुस्ती यात्रा पर भारी पड़ रही है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कमांडर आर सुब्रमण्यम भी मानते हैं कि यहां स्थायी प्रकृति के ट्रीटमेंट की आवश्यकता है। वह बताते हैं कि स्थायी ट्रीटमेंट के लिए सर्वेक्षण का कार्य राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के पास है।

दरअसल, हाथीपहाड़ दरकने के बाद यह सवाल उठ रहा है कि मानसून के दौरान हालात क्या होंगे। पहाड़ों में भूस्खलन होना कोई नई बात नहीं है, विशेषकर बरसात में दरकते पहाड़ यात्रियों की परीक्षा लेते रहते हैं। लेकिन इस बार हाइवे पर ऐसी स्थिति बरसात से काफी पहले आ गई। लंबे समय से स्थानीय लोग प्रशासन से भूस्खलन क्षेत्रों के स्थायी ट्रीटमेंट की मांग करते रहे हैं। बावजूद इसके कामचलाऊ इंतजाम ही किए जाते रहे हैं। 

सूत्रों की मानें तो 2013 से 2016 के बीच बीआरओ कई बार केंद्र सरकार को स्थायी ट्रीटमेंट के प्रस्ताव भेज चुका है, लेकिन योजना को मंजूरी नहीं मिल पाई। बाद में ट्रीटमेंट की जिम्मेदारी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को सौंप दी गई। चार दशक से नासूर बने बदरीनाथ हाइवे पर स्थित लामबगड़ भूस्खलन जोन का कार्य अभी शुरुआती दौर पर है। 99 करोड़ की लागत से यहां ट्रीटमेंट कार्य चल रहा है, लेकिन काम की रफ्तार से साफ है कि इसमें अभी समय लगेगा।

ये हैं चमोली से बदरीनाथ के बीच भूस्खलन जोन

कमेड़ा, चटवापीपल, लंगासू, परथाडीप, मैठाणा, छिनका, पातालगंगा, रड़ांग बैंड, हाथीपहाड़, करुणा गदेरा, गोविंददघाट, लामबगड़ स्लाइड जोन, पिनौला घाट, कंचनगंगा

devbhoomimedia

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