UTTARAKHAND

प्रधानमंत्री मोदी के लोकल फॉर वोकल की प्राथमिकता को धूल चटाते नेता और अधिकारी

पशु आहार की खरीद में तो घोटाला किया है पशु आहार के ट्रांसपोर्टेशन में भी बड़ा घोटाला

पंजाब की एक फर्म से डेढ़ गुना अधिक दाम देकर खरीदा पशु आहार

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून : उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी पर तो बे पटरी होने के आरोप राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से लगने लगे थे जो अब तक जारी हैं लेकिन वहीँ प्रदेश के नेता भी अब उन्ही की चाल से चाल मिलाते नज़र आ रहे हैं , उन्हें इतना भी ख्याल नहीं कि जिस प्रदेश का मुखिया और जिस देश का प्रधान लोकल फॉर वोकल को बढ़ावा देने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं ये उन्ही के मंसूबों को धूल में मिटाते जा रहे हैं।

मामला उत्तराखंड में उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड द्वारा ख़रीदे गए पशुआहार खरीद से जुड़ा हुआ है।  वह भी तब जब प्रदेश में पशु आहार बनाने वाली स्थानीय व सहकारी क्षेत्र की निर्माणशाला जो गुणवत्तापरक उत्पाद किसानों तक पहुंचा रही है ऐसे में राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा डेढ़ गुना अधिक दर पर पशु आहार की खरीद अपने आप में कई सवाल खड़े करती है वह भी तब उस विभाग के मंत्री के साथ सूबे के कई ब्यूरोक्रेट काम करने से पल्ला झाड़ चुके हैं। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्त्तराखण्ड के उत्तरकाशी व पिथौरागढ़ जिले में सूबे के उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के मातहत अधिकारियों  द्वारा वित्तीय वर्ष 2019 -2020 में विभागीय स्वीकृत दरों से डेढ़ गुने अधिक मूल्य पर पशु आहार ही नहीं खरीदा बल्कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के लोकल फॉर वोकल की प्राथमिकताओं को धत्ता बताते हुए नियमों के विपरीत पंजाब की एक चहेती फर्म से लगभग 12 सौ रुपए प्रति कुंतल अधिक दाम पर खरीद कर डाली। इतना ही नहीं पशु आहार के ढुलान का कार्य भी इसी फर्म को दे दिया और उसका भुगतान भी किया गया। जबकि इससे पहले पशु आहार गंतव्य तक पहुंचाने की दर आहार खरीद में मिलाकर  दे दी जाती रही है। यानि यहां ढुलान यानि ट्रांसपोर्टेशन में भी ”खेल” किया गया। हालांकि अभी तो केवल उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ जिले का घपला सामने आया है जब सूबे के शेष 11 अन्य जिलों के पुलिंदे खुलेंगे तो एक बहुत बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।

यह सब जानकारी पीपुल फॉर एनिमल संस्था की गौर मौलखी द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत 19 अक्टूबर 2020 को उत्तरकाशी तथा पिथौरागढ़ के जिला मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी से मांगी गई थी। जिसके  जवाब में विभाग द्वारा बताया गया है कि जनपद के थलकुण्डी स्थित राजकीय भेड़ प्रक्षेत्र हेतु वित्तीय वर्ष 2019-20 में उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड द्वारा निर्गत क्रय आदेशों के अनुरूप पंजाब की सरदार फीड निर्माता मेसर्स सुधर्मा इंडस्ट्रीज, खन्ना (पंजाब) से रु0 3204 प्रति कुंतल की दर से 191 कुंतल (19.1 टन) पशु-आहार क्रय किया गया। ठीक इसी तरह पिथौरागढ़ के मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी ने आरटीआई के जवाब में बताया कि जिले के बारापट्टा स्थित राजकीय भेड़ प्रक्षेत्र हेतु 146.5 कुंतल (14.65 टन) पशु-आहार के क्रय हेतु रु0 3204 प्रति कुंतल की दर से पंजाब की सरदार फीड निर्माता मैसर्स सुधर्मा इंडस्ट्रीज, खन्ना (पंजाब) से खरीद की गयी।

घोटाले का यह मामला अब यहीं तक नहीं रुकता उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के मातहत अधिकारियों ने पशु आहार के साथ इस घोटाले में ढुलान यानि ट्रांसपोर्टेशन में भी बड़ा घोटला किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार देहरादून से उत्तरकाशी तक मात्र 150 किलोमीटर की दूरी तक पशु आहार जिसका वजन मात्र 19.1 टन था, के ढुलान का 96,264 रुपए भुगतान किया गया जो आज के वास्तविक बाजार दर की तुलना में लगभग पांच गुने से भी अधिक है।

इसके अलावा पांगू स्थित राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र हेतु 207 कुंतल (20.7 टन) पशु-आहार के क्रय हेतु रु0 3204 प्रति कुंतल की दर से पंजाब की सरदार फीड निर्माता मे0 सुधर्मा इंडस्ट्रीज, खन्ना (पंजाब) से खरीद की गयी एवं इसके ढुलान हेतु भी रु0 104,328 का व्यय राजकीय कोष से किया गया।

यही नहीं, उत्तरकाशी जिले के डुंडा राजकीय बकरी प्रक्षेत्र ने भी उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड द्वारा मात्र 38 कुंतल (3.8 टन) पशु आहार वित्तीय वर्ष 2019-20 में पंजाब की सरदार फीड निर्माता मे0 सुधर्मा इंडस्ट्रीज, खन्ना (पंजाब) से रु0 3033 प्रति कुंतल की दर से क्रय किया गया जिसके ढुलान हेतु रु0 19,152 जो कि बाजार भाव से 5 गुना अधिक भुगतान किया गया।

वहीं यह भी जानकारी सामने आई है कि पशु आहार निर्माता का स्थानीय आपूर्तिकर्ता देहरादून का ही निवासी है लेकिन आपूर्तिकर्ता ने देहरादून से पिथौरागढ़ तक की 485.02 किलोमीटर की दूरी केवल 14.65 टन पशु आहार के ढुलान हेतु 73,836 रुपए का भुगतान किया गया जो बाजार भाव की तुलना में छह गुने से भी अधिक लिया गया है।

कुल मिलकर उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड  के अधिकारियों ने जहां पशु आहार की खरीद में घोटाला किया है वहीं खरीद किये गए इस पशु आहार के ट्रांसपोर्टेशन में भी बड़ा घोटाला किया गया है। गौरी मौलेखी ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के अधिकारियों पर आरोप लगाया कि उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड द्वारा ऐसे अनेकों प्रकरणों में भारी भ्रष्टाचार एवं अनियमितताएं की रही हैं। इतना ही नहीं विश्व बैंक के धन का दुरपयोग किया रहा है। इन्होने उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में भेड़ बकरी चारा घोटाला की जांच किये जाने तथा राजकीय हानि की ब्याज सहित वसूली सम्बंधित दोषी अधिकारियों से किये जाने की मांग की है।

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