UTTARAKHAND
त्रिवेंद्र सरकार की उपलब्धियों का विरोध तो नहीं था कहीं नेतृत्व परिवर्तन का शिगूफा
माफिया के पर कतरे जाने पर विरोधी गाने लगे नेतृत्व परिवर्तन का राग
तीन साल के कार्यकाल को विफल करार देने के लिए करीबन दस बार मुख्यमंत्री परिवर्तन की अफवाह उड़ाई ताकि यह लगे कि त्रिवेंद्र का उत्तराखंड में है विरोध
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड में त्रिवेंद्र रावत सरकार के तीन साल के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों और राज्य में केंद्र सरकार के कई संस्थानों की स्थापना विरोधियों को पच नहीं रही है। यही वजह है कि विरोधियों ने उनके तीन साल के कार्यकाल को विफल करार देने के लिए करीबन दस बार मुख्यमंत्री परिवर्तन की अफवाह उड़ाई। वहीं, भाजपा हाईकमान त्रिवेंद्र रावत सरकार को मजबूती देने के लिए केंद्र के कई संस्थानों को उत्तराखंड में स्थापित कर रहा है।
भाजपा हो या कांग्रेस की सरकार, उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की अफवाहें हमेशा उड़ती रही हैं। उत्तराखंड में नित्यानंद स्वामी की सरकार को भी अस्थिर करने की कवायद उनके विरोधियों द्वारा की जाती रही। मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी की सरकार के समय में भी नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को हवा दी जाती रही। हालात यह हो गए 2012 के चुनाव में मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित होने के बाद भी खंडूड़ी को कोटद्वार में हार का सामना करना पड़ा। वहीं, भाजपा को भी सत्ता से हाथ धोना पड़ा था।
वर्तमान में त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल की बात करें तो विकास कार्यों की लंबी फेहरिस्त है। राज्य में कनेक्टिविटी से सफर को आसान करने, विनिवेश से 11 हजार से अधिक उद्योग स्थापित करके 80 हजार से ज्यादा युवाओं को रोजगार देने, सरकारी नौकरियों के लिए विशेष अभियान चलाने, राज्य में एनआईटी, कोस्ट गार्ड भर्ती सेंटर, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, सीपैट, सेंटर फार एक्सीलेंस ऑन नेचुरल फाइबर, देश के पहले ड्रोन एप्लीकेशन प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना, महिलाओं की विभिन्न योजनाएं शुरू करने, देहरादून स्मार्ट सिटी के लिए केंद्र से 1400 करोड़ रुपये स्वीकृत कराने, पर्वतीय क्षेत्रों में ग्रोथ सेंटरों की स्थापना, फिल्म उद्योग को उत्तराखंड आने के लिए प्रोत्साहित करने, किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कई योजनाएं समेत तमाम ऐसे कार्य हैं, जो त्रिवेंद्र सरकार की उपलब्धियों को बयां करते हैं।
एक और बड़ी उपलब्धि है त्रिवेंद्र सरकार के नाम, जिसके सुखद परिणाम भविष्य में दिखाई देने लगेंगे। राज्यभर में जलाशयों के निर्माण व संरक्षण का कार्य, जिनसे भविष्य में वो जल स्रोत रीचार्ज होंगे, जिनकी उम्मीद कभी खो चुके थे। उत्तराखंड के पानी के संकट से जूझ रहे अधिकतर गांवों को इन स्रोतों से पानी मिलने की संभावना है। यह बड़ी कवायद त्रिवेंद्र सरकार को एक कामयाब सरकार के रूप में ख्याति दे रही है। इससे भी विरोधी बेचैन हैं और अफवाहों को हवा देने में जुटे हैं।