बर्फवारी नहीं होने व लाखों लीटर पानी जलागम क्षेत्रों से दोहन से हुआ बुरा हाल
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नैनीताल। इस बार अब तक पर्याप्त वर्षा व बर्फवारी नहीं होने व लाखों लीटर पानी जलागम क्षेत्रों से दोहन करने के बाद जीवनदायिनी नैनी झील लगातार खतरे की ओर बढ़ रही है। एक ओर नैनी झील का जल स्तर लगातार गिर रहा है। दूसरी ओर झील के जलागम क्षेत्रों से भूमिगत जल 11 नलकूपों से आठ लाख लीटर पानी रोजाना लगातार दोहन किया जा रहा है।
यह सिलसिला पिछले तीन-चार वर्षों से लगातार चल रहा है लेकिन शासन प्रशासन महज चिन्ता ही प्रकट कर रहा है। जमीनी योजनाएं कहीं नहीं दिख रही है। तेजी से घट रहे जलस्तर नैनीताल के लिए सर्वाधिक चिन्ता का विषय बना हुआ है। दिसंबर माह के पहले पखवाड़े में ही झील का जलस्तर सामान्य स्तर से छह फीट नीचे चला गया है। चिन्ता यह है कि भीषण गर्मी के दौरान झील की हालत क्या होगी। इधर लगातार झील के जलागम क्षेत्रों से जल संस्थान लाखों लीटर पानी का रोजाना दोहन कर रहा है।
मालूम हो कि मानसून के बाद नैनीताल में पिछले तीन माह से पर्याप्त वर्षा नही हुई है। प्रमुख जलागम क्षेत्र सूखाताल पूरी तरह सूख चुका है। जलागम क्षेत्र से ही जल संस्थान नलकूपों से पानी खींच रहा है। वहीं अब तक वर्षा व बर्फवारी नहीं होने से झील रिचार्ज नहीं हो रही है। अब बर्फवारी नैनी झील 40 प्रतिशत भूमिगत जल से तथा 60 प्रतिशत बरसात के जल से रिचार्ज होती है।
झील के जल स्तर को सामान्य बनाने के लिए शीतकालीन वर्षा व पर्याप्त बर्फवारी जरूरी है। जानकारों की माने तो अगर अब भी पर्याप्त वर्षा व बर्फवारी नही हुई तो गर्मियों में जल संकट पैदा हो सकता है। इधर लगातार जलादोहन के बाद झील के जल स्तर पर भारी गिरावट आने के बाद भी सरकारी तंत्र पर कोई प्रभाव नही पड़ रहा है। कई स्थानों में पाइप लाइनों से लगातार जल रिसाव हो रहा है।
एबीडी द्वारा शहरी पेयजल सुदृढ़ीकरण योजना के बाद जलादोहन अधिक हो गया है। कई स्थानों में बनाये गये जलाशयों से लगातार पानी ओवरफ्लो हो रहा है। इसे देखने वाला महकमा कतई गंभीर नहीं है। पूर्व पालिका सभासद संजय साह का कहना है कि पानी की आपूर्ति के दौरान पेयजल लाइनों से अत्यधिक रिसाव हो रहा है। इसे सरकारी तंत्र ने गंभीरता से लेना चाहिए।