कोटद्वार । पिछले एक हफ्ते से कोटद्वार की RTO कौड़िया नाटकीय घटनाक्रम का केंद्र बना हुआ है। पिछले 4 दिन तो कौड़िया चेकपोस्ट में गतिविधियां असामान्य ही हो गयी। रातभर ट्रांसपोर्टर्स , ड्राइवर और कंडक्टर्स की सैकड़ों की भीड़ । प्रभावशाली लोगों के अलावा हर तरीके के लोगों की आवाजाही । निवेदन करते और दबाव बनाते लोगों के दृश्य । कई बार बेहद तनावपूर्ण दृश्य।।धमकियों और असहनीय शब्दावलियों का दौर। यह सब दिखा।
दरअसल कौड़िया चैकपोस्ट ने इस बार ओवरलोड के विरुद्ध निस्संदेह जीरो टॉलरेंस अपनाया और ऐसे अपनाया की जो लोग जीरो टॉलरेंस का उपहास उड़ाते थे उनके हलक सुख गए। पिछले एक हफ्ते में से चार दिनों में तो RTO के चैकपोस्ट के अधिकारियों और प्रवर्तन दल ने सिर्फ दो- तीन सिपाहियों के लगभग 100 घंटे के लगातार वाहन चेकिंग और उनके थकान से निढाल होने के बावजूद लगातार कांटा कराए जाने से वाहन और ट्रक ऑपरेटर्स में हड़कंप मच गया। लगभग 100 घंटे तक एक भी वाहन बिना कांटा कराए बिना नहीं जाने दिया गया।
1 अक्टूबर की रात से 5 अक्टूबर की सुबह तक कौड़िया चैकपोस्ट से किलोमीटरों लंबी ओवरलोड वाहनों की लाइन उत्तराखंड बॉर्डर पर लग गयी। 1 अक्टूबर से 3 अक्टूबर की रात तक तो परिवहन अधिकारी हरीश सती ने अन्य सिपाहियों के चुनाव ड्यूटी में चले जाने के चलते केवल दो सिपहियों के साथ इस अभियान को दृढ़ता से शुरू किया। शुरू में तो ट्रांसपोर्टरों को यह कुछ घंटे का अभियान लगा लेकिन 3 तारीख की सुबह तक तो सबका धैर्य जवाब देने लगा तो हर तरह से दबाव बनाने के प्रयास किये गए। दरअसल कौड़िया चैकपोस्ट अपने सख्त रुख के चलते कई लोगों के निशाने में खटकती रही है। क्योंकि इससे पहले भी परिवहन कर अधिकारी हरीश कुमार सती द्वारा अपने अस्वस्थता के बावजूद कौड़िया पोस्ट के प्रयासों से जानलेवा खुली बॉडी की कोटद्वारा नजीबाबाद मैक्स पर नकेल कसने के सफल प्रयास हुए हैं।
कौड़िया चेकपोस्ट से आगे उत्तर प्रदेश बॉर्डर में सवारियों को भेड़- बकरियों की तरह ठूँसने वाले वाहन कौड़िया चेकपोस्ट के बाद उत्तराखंड में पूरे शिष्टाचार से चलते है। सारी ओवरलोडेड सवारियां पिछले वर्षों से कौड़िया की पुलिस चौकी के सामने उतार दी जाती है। लेकिन इस बार जब ओवरलोड के विरुद्ध जब चेकपोस्ट ने जब लगातार हफ्ते भर सख्त कार्यवाही की तो आश्चर्यजनक तरीके से कोटद्वार का न कोई पत्रकार इस हाइवोल्टेज ड्रामा को देखने आए और न हीं इसे अखबार के पन्नो में जगह मिली। क्योकि बहुत से ट्रांसपोर्टर्स तो स्वयं ही पत्रकार होने का दावा करते हैं और हैं भी। यह बेहद संघर्षपूर्ण अच्छा प्रयास कोटद्वारा की समाचार जगत के लिए सबसे शानदार समाचार होने के बावजूद हाशिये पर रहा।
उत्तराखंड क्या उत्तरप्रदेश में भी परिवहन विभाग के सीमित कर्मचारियों ने सीमित संसाधनों के चलते इतना आक्रामक अभियान नहीं चलाया होगा। लगातार 100 घंटे। लेकिन इस अभियान में रात को उत्तर प्रदेश सीमा पर वाहनों ,ट्रांसपोर्टर्स के दबाव के अलावा और अन्य अवांछित तत्वों के जमावड़े से निपटने में इन परिवहन कर्मियों को कहीं से कोई सहायता नहीं मिली। यहाँ तक 50 मीटर दूर स्थित पुलिस चैकपोस्ट ने भी रतो चेकपोस्ट पर बार बार रात और दिन बेहद तीक्ष्ण और तनावपूर्ण के जमावड़े के उचित दूरी ही बनाये रखी। अक्सर उधर आने वाला रात्रि गश्ती दल को देखने को भी लोगों आँखें तरसती रही। 4 तारीख की सुबह कि उत्तर प्रदेश सीमा पर लगे किलोमीटरों लंबे जाम को खुलवाने के लिए नजीबाबाद SDM द्वारा तहसीलदार नजीबाबाद को मयफोर्स भेजा।
प्रशासन भी चेकपोस्ट द्वारा तुरन्त सुरक्षा उपलब्ध कराने के मामले में औपचारिकताओं का दुहाई देने लगा।परिवहन विभाग के कौड़िया चेकपोस्ट के अधिकारियों और सिपाहियों की इस शानदार और साहसिक पहल से कई लोग सकते में हैं। बहुत अधिक तनावपूर्ण स्थिति से चेकपोस्ट के कार्मिकों का बी पी तक असामान्य हो गया । पूरी प्रक्रिया में लाखों का राजस्व- अर्जन और जमकर चालान किये गए। इस सराहनीय प्रयास में परिवहन कर अधिकारी हरीश कुमार सती, सत्येंद्र राज, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, प्रवर्तन सिपाही महिपाल, प्रेमपाल और संदीप ने अपना अमूल्य और यादगार योगदान दिया।
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